03 March 2013

बांग्लादेश में हिंदु अत्याचार पर भारत सरकार चुप क्यों है ?

सर्वधर्म समभाव और वसुधैव कुटुंबकम को जीवन का आधार मानने वाले हिंदुओं की आज के दौर में काफी दयनीय हालात बनती जा रही है। खासकर बंग्लादेष और पाकिस्तान में, इन देषों में लगातार हिंदुओं पर अत्याचार के मामले बढ़े रहें हैं। यहा जबरन धर्मातरण, यौन उत्पीड़न, धार्मिक स्थलों पर आक्रमण, सामाजिक भेदभाव, संपत्ति हड़पना आम बात हो गयी है। आज भारत से बाहर रह रहे हिंदुओं की आबादी लगभग 30 करोड़ है। हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की आठवीं वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में बांग्लादेष में हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार उन्हें इस्लामिक मदरसों में रखकर जबरन मतांतरण का दबाव डाला जाता है। बांग्लादेश ने वेस्टेड प्रापर्टीज रिटर्न, एमेंडमेंट बिल 2011 को लागू किया गया है, जिसमें जब्त की गई या मुसलमानों द्वारा कब्जा की गई हिंदुओं की जमीन को वापस लेने के लिए क्लेम करने का अधिकार नहीं है। इस बिल के पारित होने के बाद हिंदुओं की जमीन कब्जा करने की प्रवृति में काफी जयादा बढ़ोतरी हुई है। सवाल यहा पर भारत सरकार को लेकर भी है कि एैसे मामले को अंतरराश्ट्रीय स्तर पर क्यों नहीं उठाई जा रही है। इसके अलावा हिंदू इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर भी हैं।

 ये कटरपंथी उनके साथ मारपीट, अपहरण, मंदिरों में तोडफोड़ और शारीरिक उत्पीड़न जैसे घटनाओं को अंजाम दे रहे है। बांग्लादेश में हिंदुओं के साथ अत्याचार आज आम बात हो गई है। बांग्लादेश में हो रही हिंसा की गाज अक्सर वहां के हिन्दुओं और उनके मंदिरों पर गिर है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी तीन दिन के दौरे पर बांग्लादेश जा रहे हैं। एैसे में उनसे बंग्लादेषी हिंन्दु काफी उमिंदे लगाए हुए है। बीते षनिवार को ही जमात-ए-इस्लामी समर्थकों ने मोरेलगंज इलाके में एक मंदिर में आग लगा दी। पूरे देश में कई हिन्दुओं के घरों और दुकानों को निशाना बनाया गया है। करीब 70 हिंदू परिवारों को अपना घर-बार छोड़कर अन्य जगह शरण लेनी पड़ी है क्योंकि जमात के लोग हिंदुओं के घर जलाने के साथ-साथ उनकी पिटाई भी कर रहे हैं। बांग्लादेश में फैली इस हिंसा पर अमेरिका ने भी चिंता व्यक्त की है। मगर भारत सरकार अब भी मौन बरती हुई है। इन घटनाओं ने बांगलादेषी हिंदुओं को 1971 के दौर की याद दिला दी है। तो एैसे में सवाल खड़ा होता है की बांग्लादेष में हिंदु अत्याचार पर भारत सरकार चुप क्यों है।

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