30 March 2013

क्या आज शिवाजी महाराज के विचारों की जरूरत नहीं है ?

आज के इस भौतिकवादी युग में षिवाजी महाराज कि उतनी ही जरूरत है जितना कि उनके षाशनकाल में हुआ करती था। बात चाहे हिन्दू ह्रदय सम्राट बिरषिवाजी महाराज की कुषल प्रशासनिक कार्यषैली कि हो, या फिर गरीब और असहाय लोगों के आसुओं के पोछने कि हर मोड़ पर वे आदर्ष और प्रखर राश्ट्रवाद के योध्दा साबित हुए। यही कारण है कि षिवाजी के विचारों को देष में आज कही जयादा जरूरत महसूस हो रही है। जिस षिवाजी के आदर्षो पर आज के युवा पीढ़ी को चलना चाहिए आज उनके आदर्षो को महाराष्ट्र में ही इतिहास की पुस्तकों से शिवाजी राजे का नाम धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है। सेकेण्डरी स्कूल की इतिहास की पुस्तकों में शिवाजी का नाम कहीं नहीं है। सन 2008 तक इन बच्चों को यह भी पढ़ाया जा रहा था कि दादो कोंडदेव शिवाजी के गुरु थे। 2010 आते-आते यह तथ्य कुछ लोगों के आंखों में चुभने लगा। और चार सौ साल पुराने इतिहास के विरुद्ध आंदोलन छेड़ दिया गया। साथ ही लाल महल से उनकी मूर्ति हटाने की बात होने लगी है। आखिर आज के राजनीतिज्ञ क्या चाहते हैं। क्या वे नहीं चाहते कि आज की युवा पीढ़ी शिवाजी जैसे जुझारू, देश के बारे में पढ़े, उन्हें जाने, उनसे प्रेरणा ले और उनका अनुशरण करे। या उन्हें यह डर है कि अगर युवा पीढ़ी सचमुच शिवाजी की अनुशरणकर्ता बन गर्इ तो उनकी अपनी राजनीति का क्या होगा? आज हमारे देश में जातिगत राजनीति खेली जा रही है। ऊपर-ऊपर से हम खुद को धर्म निरपेक्ष और जाति निरपेक्ष कहते हैं पर हकीकत कुछ और ही बयान कर रही है। एैसे में षिवाजी के कुषल और दक्ष प्रतिभा की यहा पर हम सब को सख्त जरूरत है।
 
 शिवाजी महाराज की गणना श्रेष्ठ हिंदू राजाओं में की जाती है वे जितने लोकप्रिय महाराष्ट्र में हैं, उतने ही लोकप्रिय देश के अन्य हिस्सों में भी हैं। अपने अधिकारों, समुदाय, समाज, इतिहास, स्वतन्त्रता के समर्थन में षिवाजी ने हमेषा लड़ा और लोगों को न्याय दिलाने के लिए आगे लाए। आज राजनीति की खातिर इतिहास को बदलने की कोशिश और उन्हे भूलने कि आदत कर्इ अहम सवाल खड़े करता है। एक तरफ औरंगजेब की पांच लाख की सेना का आक्रमण तो दूसरी तरफ साम्राज्य की अंतर कलह ऐसी विकट परिसिथति में जिस महापुरुष ने 22 वर्ष कि अल्प आयु में क्षत्रपति जैसे दायित्व का भार सुशोभित किया जिसने नौ वर्षो तक सफलता पूर्वक शासन ही नहीं किया बलिक हिन्दवी साम्राज्य का विस्तार भी किया ऐसे महान देश धर्म वीर कि जरूरत आज के इस भारतभूमी की एक बार फिर से आवष्यकता है। राजनीति, संघर्ष और स्वाभिमान के साथ जीना षिवाजी के चरितार्थ से सिखने की जरूरत है। शिवाजी के जीवन से सम्बद्ध लगभग सभी प्रसंग प्रेरणा दायी व आदर्श हैं। तो एैसे में क्या षिवाजी महाराज के विचारों की जरूरत पहले से कही जयादा नहीं है।

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