विश्व हिंदू परिषद द्वारा प्रस्तावित 84 कोसी परिक्रमा यात्रा को उत्तर प्रदेश सरकार ने यह कहकर प्रतिबंधित कर दिया कि राम जन्मभूमि में होने वाली यात्रा सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने वाली है जिसकी वजह से क्षेत्र की शांति और व्यवस्था चरमरा सकती है। विभिन्न हिंदू धार्मिक संगठन समाजवादी पार्टी सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध कर रहे हैं वहीं सरकार अपने निर्णय पर अटल है। यूं तो भारत में राजनीति और धर्म साथ-साथ चलते हैं लेकिन इस बार धर्म की आड़ में राजनीति खेली जा रही है या राजनीति को धर्म के आगे कमजोर किया जा रहा है यह बात एक बड़े विवाद का विषय बन गई है।
संघ परिवार समेत अन्य कई धार्मिक संगठनों का यह कहना है कि भगवान राम की नगरी में परिक्रमा रोकने का निर्णय सरासर गलत है। विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल ने तो सरकार के इस कदम को जेहादी मानसिकता का प्रतीक तक कह दिया है। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी इस यात्रा को धार्मिक और सांस्कृतिक मसला बताया है। उनका कहना है कि क्षेत्र में इस तरह के हालात पैदा करना और धर्म को राजनीति का नाम देना किसी भी रूप में सही नहीं है। संत-महात्माओं का भी यही कहना है कि परिक्रमा रोकने के लिए क्षेत्र को छावनी बनाने से अच्छा था कि शांतिपूर्वक यात्रा करने दी जाती और सुरक्षा की दृष्टि से जितनी पुलिस की जरूरत थी उतनी ही तैनात की जाती।
संघ परिवार समेत अन्य कई धार्मिक संगठनों का यह कहना है कि भगवान राम की नगरी में परिक्रमा रोकने का निर्णय सरासर गलत है। विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल ने तो सरकार के इस कदम को जेहादी मानसिकता का प्रतीक तक कह दिया है। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भी इस यात्रा को धार्मिक और सांस्कृतिक मसला बताया है। उनका कहना है कि क्षेत्र में इस तरह के हालात पैदा करना और धर्म को राजनीति का नाम देना किसी भी रूप में सही नहीं है। संत-महात्माओं का भी यही कहना है कि परिक्रमा रोकने के लिए क्षेत्र को छावनी बनाने से अच्छा था कि शांतिपूर्वक यात्रा करने दी जाती और सुरक्षा की दृष्टि से जितनी पुलिस की जरूरत थी उतनी ही तैनात की जाती।
वहीं दूसरी ओर सरकार का कहना कुछ और है। उत्तर प्रदेश सरकार और इस यात्रा के विरोध में खड़े अन्य राजनैतिक दलों का पक्ष यह है कि जो गलती वर्ष 1990 में हुई थी उसे दोहराना समझदारी नहीं है। सपा की ओर से यह भी कहा गया कि सरकार ऐसा कोई भी काम नहीं करेगी जिससे राज्य में सांप्रदायिक तनाव बढ़े। इस परिक्रमा का कड़ा विरोध करते हुए सपा का कहना है कि विहिप, आरएसएस और भाजपा जिस परिक्रमा के बहाने सियासी साजिश रच रही हैं, उसके होने का कोई पूर्व प्रमाण नहीं है। अगस्त-सितंबर में अयोध्या में कोई परिक्रमा नहीं होती, 1992 में भाजपा, संघ और विहिप ने ऐसे ही भाषा प्रयोग की थी, जिससे बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ।
सरकार का कहना है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के जख्म अभी तक भरे नहीं हैं और ऐसे में एक और जोखिम नहीं उठाया जा सकता। प्रदेश की सत्तासीन सरकार का यह भी कहना है कि अयोध्या को किसी भी रूप में गुजरात नहीं बनने दिया जाएगा। धार्मिक संगठनों पर निशाना साधते हुए उत्तर प्रदेश सरकार का कहना है कि उन्हें हमारी सामाजिक विवशताओं और परिस्थितियों के बारे में समझना चाहिए।
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