06 August 2013

पाठ्य पुस्तक में राहुल गांधी को जगह देना कितना सही ?

इस देश को अपनी सत्ता की जागीर समझने वाला गांधी नेहरू परिवार हमेशा से ही पाठ्य पुस्तकों की सुर्खियां रहा है। मगर अब इसी कड़ी में अब एक और नया नाम जुड़ गया है। जी हां, अब राहुल गांधी कर्नाटक कि पांचवी के पाठ्य पुस्तक में महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू, के साथ नज़र आएंगे। राहुल गांधी को अब छोटे छोटे बच्चों को पढ़ाया जाएगा। कांगे्रस के पप्पू अब पुस्तको में अपनी पहचान बनाने के लिए तैयार है। भले ही इस देश में राहुल गांधी को कोई नई पहचान नहीं मिली हो मगर, मगर अब पुस्तकों में उनकी महानता बच्चों पर थोपने कि कोशिश जरूर की गई है। 5 वीं क्लास में पढ़ाई जानेवाली किताब गाइडबुक ’टुगेदर विद इंग्लिश’  के एक चैप्टर में राहुल गांधी को भी जगह दी गई है। मैसूर का प्रमाति स्कूल सी.बी.एस.ई. से मान्यता प्राप्त है और इसी स्कूल में 5 वीं क्लास की अंग्रेजी की किताब में यह चैप्टर रखा गया है। इस पुस्तक को रचना सागर पब्लिशर्स ने प्रकाशित कि है। 

आज इस देश के पाठ्य पुस्तक में औरंगजेब, अकबर, बाबर और अलकायदा के नेताओं की कबिताओं को जगह जरूर मिल रही है, मगर शिवाजी-महाराणा प्रताप को भगोड़ा और भगत सिंह को आतंकवादी बताने से बिल्कुल परहेज नहीं किया जा रहा है। ऐसे में इस देश युवा पीढ़ी को ऐसे सेलेबस के माध्यमों से कौन सी सिक्षा देने कि कोशिश कि जा रही है। इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते है।  

झारखंड का गठन भले ही आदिवासी सभ्यता, संस्कृति को संरक्षण व बढ़ावा देने के लिए हुआ, पर यहा कि स्कूल की किताबों में झारखंड के इतिहास और यहां के महापुरुषों की पढ़ाई नहीं होती है। आज झारखंड जैसे कई ऐसे राज्य है जहा पर एैसी घटनाएं आम हो चली है। 

शिक्षा से नैतिक मूल्य हटाने से आज बच्चे स्कूल-कॉलेजों से स्वार्थी, और शरारती बनते जा रहे है। मगर इन्हें आदर्शवादी  महापुरुषों के बारे में बढ़ाने के बजाय आधुनिक राजनेताओं का महिमामंडन किया जा रहा है। ऐसे में आज ये  देश कैसे हमारे महापुरुषों की राह पर चलेगा ये एक बड़ा सवाल है। 

देश के लिए सर्वस्व बलिदान करने वाले क्रांतिकारियों की गाथा स्कूली किताबों से लगातार गायब होती जा रही है। स्कूलों में पढ़ाई जाने वाली राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद यानी कि (एनसीईआरटी) की किताबों में ऐसे कई क्रांतिकारियों की जीवनी हटा दी गई है। जो सरकार कि शिक्षा व्यवस्था कि पोल खोलती है। 

एनसीईआरटी में पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों में वर्ष 2007 से पहले 8वीं की इतिहास की किताब में क्रांतिकारियों के बारे में 500 शब्द और 12वीं की इतिहास की किताब में 1250 शब्दों में जानकारी दी गई थी। 2012 के पाठ्यक्रम में 12वीं की किताब ‘हमारा अतीत भाग-3’ में सिर्फ 87 शब्दों में क्रांतिकारियों से संबंधित जानकारी रखी गई। यही नहीं, 8वीं की किताब में क्रांतिकारियों का इतिहास हटा दिया गया है। आठवीं कक्षा से लेकर 12वीं तक की किताबों में चंद्रशेखर आजाद और सुखदेव सहित करीब 3 दर्जन क्रांतिकारियों और महापुरुषों का इतिहास गायब है। स्वामी विवेकानंद के बारे में सिर्फ 26 शब्द हैं। इन क्रांतिकारियों की जगह क्रिकेट और कपड़ों के इतिहास पर ज्यादा स्थान दिया गया है। ये सारे तथ्य इस बात कि ओर इशारा करते है कि आज हमारी वर्तमान इशारा किस दिशा में जा रही है, और सरकार हमारे युवाओं को कैसा भविष्य देना चाहती है। एैसे में सवाल खड़ा होता है कि महापुरूशों को हटा कर पाठ्य पुस्तक में राहुल गांधी को जगह देना कितना सही?

No comments:

Post a Comment