13 August 2013

जोधा अकबर का झूठ आखिर और कब तक ?

भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा झूठ एक बार फिर लोगों के उपर थोपने का दुश्चक्र रचा गया है। जिसे कभी माफ नहीं किया जा सकता है। इस देश की सभ्यता, संस्कृति को हमेशा से ही मीटाने कि कोशिश होती रही है। मगर आज जिसे वो मिटा न सके उसे अब गलत तरीके से तोड़ मरोड़ कर भ्रामक रूप से टीवी और फिल्मों में पेश करने कि कोशिश कर रहे है। इस दुश्चक्र को रचने का दुसाहस किया है बालाजी टेलिफिल्म्स ने। जी टीवी पर दिखाए जा रहे एकता कपूर के सीरियल जोधा अकबर को लेकर हिन्दू सामाज में गुस्से का माहौल है। हर तरफ आज इस सीरियल को बंद करने के लिए लोग सड़को पर उतर कर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे है।

इस सीरियल का विरोध जम्मू कश्मीर से लेकर कन्यकुमारी तक हो रहा है। लोग सड़क से लेकर संसद तक अपना विरोध दर्ज करा रहे है। मगर सरकार क्षत्रियों कि भावनाओं को लगातार नज़र अंदाज कर रही है। इस झूठी कहानी पर रोक लगाने के लिए माननीय राजस्थान उच्च न्यायलय, जोधपुर के समक्ष पूर्व कुलपति डॉ. एल. एस. राठौर द्वारा सीरियल जोधा अकबर की झूठी कहानी के विरुद्ध एक याचिका दायर की गई है। उच्च न्यालय इस मामले में संज्ञान लेते हुए केन्द्र सरकार, राजस्थान सरकार, बालाजी टेलीफिल्म्स, एकता कपूर, जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेस लिमिटेड, इंडियन ब्रोडकास्टिंग फेडरेशन, ब्रोडकास्टिंग कंटेंट कम्प्लेट कमेटी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया किया है।

सीरियल भारत सरकार द्वारा स्वयं बनाए गए प्रोग्राम कोड का उल्लंघन है, प्रोग्राम कोड के अनुसार किसी भी सीरियल में किसी भी जाति की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाया जा सकता, अर्धसत्य नहीं हो सकता और महिलाओं को अपमानजनक स्थिति में नहीं दिखाया जा सकता है। जोधा अकबर सीरियल के विरुद्ध देश भर के अलग अलग शहरों में राजपूतो द्वारा विरोध प्रदर्शन किये जा रहें हैं लेकिन सरकार ने अभी तक कोई भी कदम नहीं उठाया है। केबल टेलीविजन एक्ट 1995 की धाराओं के अनुसार सरकार को किसी भी प्रसारण को रोकने के सम्पूर्ण अधिकार हैं। फिर भी सरकार तमाशबीन बनी हुई है। ऐसे में सवाल सरकार और प्रशासन  दोनों को लेकर खड़ा होता है कि क्या किसी बड़े सांप्रदायिक हिंसा होने का इंतजार किया जा रहा है।

केबल टीवी नेटवर्क एक्ट की धारा 16 के तहत कलेक्टर, एस डी एम या कमिश्नर के पास अधिकार है की कोई भी कार्यक्रम यदि प्रोग्राम कोड का उलंघन करता है तो वह उसे खिलाफ क्रिमिनल कमप्लेंट दायर कर सकता है। साथ ही केबल टीवी नेटवर्क एक्ट की धारा 20 के तहद भारत सरकार को सम्पूर्ण भारत में प्रोग्राम को रोकने का अधिकार है, यदि प्रोग्राम कोड का उल्लंघन होता है।

क्षत्रिय संगठन और इतिहासकारों का अस्पस्ट तौर पे मानना है कि जोधा ने अकबर से कभी शादी की ही नहीं थी। ये राजपूतों के जज्बात, षौर्य और वीरता के इतिहास के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। क्षत्रिय संगठनों ने सरकार और प्रसारक को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि अगर इसे नहीं रोका गया तो, वे 18 अगस्त से दिल्ली के जंतर मंतर सहित देश भर में आंदोलन करेंगे।
अगर अकबरी इतिहास कि पुस्तक “अकबर ए महुरियत” आईने अकबरी, जहाँगीर नामा को देखे तो कही भी जोघा अकबर की शादी के बारे में कोई भी जिक्र नहीं है। इसके अलावे तजुक ए जहांगीरी जिसमें जहांगीर की आत्मकथा है उसमें जोधा बाई का कही भी उल्लेख नहीं है। तो ऐसे में फिर आज के तथाकथित इतिहासकार और फिल्मकार स्वयं का नया इतिहास सृजित करने में क्यों लगे हुए है?

1960 के दशक में निर्देषित पृथ्वीराज कपूर का बेमिसाल अभिनय तमाम ऐतिहासिकताओं पर भारी कैसे हो सकता है? जिस फिल्म में कही भी मुगलों से हिन्दू राजकुमारीयों की शादी का जिक्र तक नहीं है, और ना ही जोधा कि कोई चर्चा। अबुल फज्ल के अकबरनामा तक में अकबर की 34 रानियों में से किसी का भी नाम जोधाबाई नहीं था, तो के. आसिफ और आशुतोष गोवरिकर और एकता कपूर कौनसा नया अकबरनामा लिखने की कोशिश कर रहे हैं? इन सभी तथ्यों का अध्ययन करने के बाद सवाल खड़ा होता है की जोधा अकबर का झूठ आखिर और कब तक ?

जोधा अकबर विवाह की हक़ीकत !

अकबर का विवाह जोधाबाई के नाम पर दीवान वीरमल की बेटी पानबाई के साथ रचाया गया था. दीवान वीरमल का पिता खाजूखाँ अकबर की सेना का मुखिया था. किसी बड़ी गलती के कारण अकबर ने खाजूखाँ को जेल में डालकर खोड़ाबेड़ी पहना दी और फाँसी का हुक्म दिया. मौका पाकर खाजूखाँ खोड़ाबेड़ी तोड़ जेल से भाग गया और सपरिवार जयपुर आ पगड़ी धारणकर शाह बन गया. खाजूखाँ का बेटा वीरमल बड़ा ही तेज और होनहार था, सो दीवान बना लिया गया. यह भेद बहुत कम लोगों को ही ज्ञात था.! दीवान वीरमल का विवाह दीवालबाई के साथ हुआ था. पानबाई वीरमल और दीवालबाई की पुत्री थी. पानबाई और जोधाबाई हम उम्र व दिखने में दोनों एक जैसी थी. इस प्रकरण में मेड़ता के राव दूदा राजा मानसिंह के पूरे सहयोगी और परामर्शक रहे. राव दूदा के परामर्श से जोधाबाई को जोधपुर भेज दिया गया. इसके साथ हिम्मत सिंह और उसकी पत्नी मूलीबाई को जोधाबाई के धर्म के पिता-माता बनाकर भेजा गया, परन्तु भेद खुल जाने के डर से दूदा इन्हें मेड़ता ले गया, और वहाँ से ठिकानापति बनाकर कुड़की भेज दिया. जोधाबाई का नाम जगत कुंवर कर दिया गया और राव दूदा ने उससे अपने पुत्र का विवाह रचा दिया. इस प्रकार जयपुर के राजा भारमल की बेटी जोधाबाई उर्फ जगत कुंवर का विवाह तो मेड़ता के राव दूदा के बेटे रतन सिंह के साथ हुआ था. विवाह के एक वर्ष बाद जगत कुंवर ने एक बालिका को जन्म दिया. यही बालिका मीराबाई थी. इधर विवाह के बाद अकबर ने कई बार जोधाबाई (पानबाई) को कहा कि वह मानसिंह को शीघ्र दिल्ली बुला ले. पहले तो पानबाई सुनी अनसुनी करती रही परन्तु जब अकबर बहुत परेशान करने लगा तो पानबाई ने मानसिंह के पास समाचार भेजा कि वें शीघ्र दिल्ली चले आये नहीं तो वह सारा भेद खोल देगी. ऐसी स्थिति में मानसिंह क्या करते, उन्हें न चाहते हुए भी मजबूर होकर दिल्ली जाना पड़ा. अकबर व पानबाई उर्फ जोधाबाई दम्पति की संतान सलीम हुए, जिसे इतिहास जहाँगीर के नाम से जानता है !

अकबर का घमंड !

ज्वालामुखी मंदिर के संबंध में एक कथा काफी प्रचलित है। यह 1542 से 1605 के मध्य का ही होगा तभी अकबर दिल्ली का राजा था। ध्यानुभक्त माता जोतावाली का परम भक्त था। एक बार देवी के दर्शन के लिए वह अपने गांववासियो के साथ ज्वालाजी के लिए निकला। जब उसका काफिला दिल्ली से गुजरा तो मुगल बादशाह अकबर के सिपाहियों ने उसे रोक लिया और राजा अकबर के दरबार में पेश किया। अकबर ने जब ध्यानु से पूछा कि वह अपने गांववासियों के साथ कहां जा रहा है तो उत्तर में ध्यानु ने कहा वह जोतावाली के दर्शनो के लिए जा रहे है। अकबर ने कहा तेरी मां में क्या शक्ति है ? और वह क्या-क्या कर सकती है ? तब ध्यानु ने कहा वह तो पूरे संसार की रक्षा करने वाली हैं। ऐसा कोई भी कार्य नही है जो वह नहीं कर सकती है। अकबर ने ध्यानु के घोड़े का सर कटवा दिया और कहा कि अगर तेरी मां में शक्ति है तो घोड़े के सर को जोड़कर उसे जीवित कर दें। यह वचन सुनकर ध्यानु देवी की स्तुति करने लगा और अपना सिर काट कर माता को भेट के रूप में प्रदान किया। माता की शक्ति से घोड़े का सर जुड गया। इस प्रकार अकबर को देवी की शक्ति का एहसास हुआ। बादशाह अकबर ने देवी के मंदिर में सोने का छत्र भी चढाया। किन्तु उसके मन मे अभिमान हो गया कि वो सोने का छत्र चढाने लाया है, तो माता ने उसके हाथ से छत्र को गिरवा दिया और उसे एक अजीब (नई) धातु का बना दिया जो आज तक एक रहस्य है। यह छत्र आज भी मंदिर में मौजूद है।

अकबर के लिए आक्रोश की हद एक घटना से पता चलती है। हिन्दू किसानों के एक नेता राजा राम ने अकबर के मकबरे, सिकंदरा, आगरा को लूटने का प्रयास किया, जिसे स्थानीय फौजदार, मीर अबुल फजल ने असफल कर दिया। इसके कुछ ही समय बाद 1688 में राजा राम सिकंदरा में दोबारा प्रकट हुआ और शाइस्ता खां के आने में विलंब का फायदा उठाते हुए, उसने मकबरे पर दोबारा सेंध लगाई, और बहुत से बहुमूल्य सामान, जैसे सोने, चाँदी, बहुमूल्य कालीन, चिराग, इत्यादि लूट लिए, तथा जो ले जा नहीं सका, उन्हें बर्बाद कर गया। राजा राम और उसके आदमियों ने अकबर की अस्थियों को खोद कर निकाल लिया एवं जला कर भस्म कर दिया, जो कि मुस्लिमों के लिए घोर अपमान का विषय था।

मरियम के मकबरे का हक़ीकत !

आगरा के निकट सिकन्दरा में अकबर के मकबरे के सामने सड़क के दूसरी ओर कुछ आगे एक मकबरा और है जिसे मरियम का मकबरा कहा जाता है. इस मकबरे के प्रवेश द्वार के निकट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा एक बोर्ड लगाया हुआ है जिसमें बताया गया है कि मरियम अकबर की पत्नी जोधाबाई की ही उपाधि थी और इस प्रकार इस मकबरे को जोधाबाई का मकबरा सिद्ध किया गया है. भारत के अकबर कालीन इतिहास का पूरा लेखा-जोखा उपलब्ध है किन्तु उसमें ऐसा कोई उल्लेख नहीं है कि जोधाबाई को कबी मरियम भी कहा गया था. यदि ऐसा कोई प्रमाणित सूत्र उपलब्ध हो तो मेरा भारत के प्रतिष्ठित इतिहासकारों से निवेदन है कि वे उसे प्रकाश में लायें. पुरातत्व सर्वेक्षण जैसा छल अकबर के मकबरे के बारे में हो रहा है, मरियम के मकबरे में उससे कहीं अधिक घिनोना छल कर रहा है. भारत के तथाकथित इतिहासकार जीसस तथा मरियम को भारत के इतिहास के पात्र नहीं मानते, इसलिए सदा-सदा से जाने गए मरियम के मकबरे को जोधाबाई का मकबरा कहा जा रहा है.

अकबर के मकबरे के सामने सड़क के दूसरी ओर का विशाल क्षेत्र इसाई समुदाय की संपत्ति है, जिसपर एक चर्च, एक स्कूल तथा अनेक आवास बने हैं. इन्ही के मध्य उक्त मरियम का मकबरा है. भारत में जहाँ कहीं भी प्राचीन भवनों एवं स्थलों पर मुगल शासन काल में इस्लामी तख्तियां लगाई गयीं, उन सब को मुस्लिमों के अधिकार में दे दिया गया था, फलस्वरूप, तःमहल प्रांगण के अनेक भवन, फतहपुर सीकरी के भवन, तथा आगरा के अनेक ऐतिहासिक भवनों पर मुसलामानों का अधिकार है. अकबर के तथाकथित मकबरे पर भी मुस्लिम अधिकार बना हुआ है. इस सबके रहते हुए भी मरियम के मकबरे पर कोई मुस्लिम अधिकार नहीं है और इसके ईसाई संपत्ति होने से सिद्ध होता है कि यह मकबरा किसी ऐसी स्त्री का है जिसका सम्बन्ध ईसाई धर्म से है. इस कारण से मुगल साम्राज्य काल में भी इसे इस्लाम से सम्बंधित नहीं कहा गया और इस पर अधिकार नहीं किया गया. इससे स्पष्ट है कि यह मकबरा जोधाबाई का न होकर जीसस की बहिन मरियम का है.

मरियम के मकबरे का आतंरिक अभिकल्प (ऊपर का चित्र) अन्य किसी भी मकबरे से भिन्न है और यह पशिमी बंगाल में स्थित विष्णुपुर में बने प्राचीन कालीन महलों (नीचे का चित्र) से मेल खाता है. मेरे द्वारा भारत के शोधित इतिहास में महाभारत युद्ध के पश्चात जब देवों की संख्या क्षीण हो गयी थी तब विष्णु (लक्ष्मण) ने मरियम से विवाह किया था जिसने चन्द्रगुप्त को जन्म दिया था. इस युद्ध में पांडव पक्ष का  नीतिकार कृष्ण था और कौरव पक्ष के नीतिकार शकुनी के छद्म रूप में स्वयं विष्णु थे. महाभारत युद्ध के बाद कृष्ण और सिकंदर के आग्रह पर महा पद्मानंद को भारत का सम्राट बनाया गया था.

महाभारत की पराजय का बदला लेने के लिए विष्णु ने अपना नाम विष्णुगुप्त चाणक्य रखा और जीसस ने अपना नाम चित्रगुप्त रखा और भारत को महा पद्मानंद के शासन से मुक्त कराने का बीड़ा उठाया जिसमें वे सफल रहे और चन्द्रगुप्त को भारत का सम्राट बनाया गया. यहीं से गुप्त वंश के शासन का आरम्भ हुआ और भारत विश्व प्रसिद्द सोने की चिडिया कहलाया. अतः उक्त मकबरा वास्तविक मरियम का ही मकबरा है, जो जीसस की बहिन, विष्णु की पत्नी, एवं चन्द्र गुप्त की माँ थीं !

अकबर की हक़ीकत !

अकबर के शासनकाल में वेश्यावृति को सम्राट का संरक्षण प्रदान था। अकबर अपने हरम में स्त्रियों को बलपूर्वक अपहृत करवा कर रखाता था। अकबर अपने हरम में सती होने वाली महिलाओं को बलपूर्वक उठवा कर रखता था अकबर सामूहिक रूप से स्त्रियों का नग्न प्रदर्शन आयोजित करने के लिए अपने प्रजा को बाध्य करता था। अकबर इसे खुदारोज (प्रमोद दिवस) नाम दिया हुआ था। इस आयोजन से अकबर सुन्दरियों को अपने हरम के लिए चुनना था। गोंडवाना की रानी दुर्गावती पर भी अकबर की कुदृष्टि थी। अकबर रानी दुर्गावती को प्राप्त करने के लिए उसके राज्य पर आक्रमण किया था। अकबर द्वारा बंदी बनाए जाने से पहले ही रानी दुर्गावती ने आत्महत्या कर ली थी अकबर ने रानी दुर्गावती की बहन और पुत्रबधू को बलपूर्वक अपने हरम में डाल दिया था। अकबर ने यह प्रथा भी चलाई थी कि उसके पराजित शत्रु अपने परिवार एवं परिचारिका वर्ग में से चुनी हुई महिलायें उसके हरम में भेजे। 

 हिन्दुओं का इस्लामीकरण !

अकबर ने हिन्दुओं पर लगे जजिया कर लगाया था। अकबर ने गरीब हिन्दुओं को गरीबी से विवश होकर इस्लाम की शरण लेने के लिए जजिया कर लगाया था। गरीब हिन्दू विवश हो कर इस्लाम कबूल कर लिया करते थे। जजिया कर इस्लाम को बढ़ावा देने के लिए लगाया गया था। अकबर ने बहुत से हिन्दुओं को उनकी इच्छा के विरुद्ध भी इस्लाम ग्रहण करवाया था। अकबर ने बहुत से हिन्दू तीर्थ स्थानों के नाम भी इस्लामी किया था। अकबर ने प्रयाग का नाम इलाहाबाद रखा था। हिन्दुओं को बलपूर्वक भेदभाव दर्शक बिल्ले उनके कंधों और बांहों पर लगाने को विवश किया था।

2 comments:

  1. aapse milkar khushi hui tajmahal ke bare main aap puri jankari dein

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  2. जोधा-अकबर की सच्चाई हम एकता कपूर के बाप अभिनेता जितेन्द्र को अच्छी तरह समझा चुके. जितेन्द्र ने हमारे द्वारा प्रस्तुत ऐतिहासिक तथ्यों को माना और कहा भी कि उसे पहले पता होता तो वो सीरियल नहीं बनाते पर अब चूँकि हमारा बहुत पैसा खर्च हो चूका अत: हम हट नहीं सकते. लेकिन जब हमने उसकी फिल्मों का प्रदर्शन बाधित करने की धमकी दी तब फरवरी २०१४ से सीरियल से बालाजी टेलीफिल्म्स का नाम हट गया !
    बहुत कोशिश करने के बाद भी इस सीरियल को रोकने में हम असमर्थ रहे इसका अफ़सोस जीवनभर रहेगा :( :(

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