17 August 2013

क्या कश्मीर से हिन्दुओं को पलायन कराया जा रहा है ?

कश्मीर एक बार फिर से जल रहा है। इस बार भी एक खास समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया है। इन सभी तथ्यों के उप रज़र डालने से पहले हमे 1990 के दशक को टटोलना होगा। ये बात इसलिए भी महत्वपूण हो चली है कि आज के भारत और 1990 के भारत दोनों में कोई समानता नहीं है या फिर बदलते कश्मीर को आज के दौर में 1990 कि तरह बदलने कि साजि़ष हो रही है? 1990 में सारे कश्मीरी पंडितो के घर के दरवाजों पर एक खास प्रकार के नोट लगा दिया गया था। जिसमे लिखा था “या तो मुस्लिम बन जाओ या कश्मीर छोड़ कर भाग जाओ या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ”। पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने टीवी पर कश्मीरी मुस्लिमो को भारत से आजादी के लिए भड़काना शुरू कर दिया। सारे कश्मीर के मस्जिदों में एक टेप चलाया गया। जिसमे मुस्लिमों को कहा गया की वो हिन्दुओ को कश्मीर से निकाल बाहर करें। उसके बाद सारे कश्मीरी मुस्लिम सड़कों पर उतर आये। उन्होंने कश्मीरी पंडितों के घरो को जला दिया। इस घटना के चलते 3 लाख 50 हजार कश्मीरी पंडित अपनी जान बचा कर कश्मीर से भाग गए।

आज एक बार फिर से इस इतिहास को दुहराया जा रहा है। वहां सब कुछ पूर्व नियोजित तरीके से हो रहा है। आज भी वहां के घरों में चिराग की रौशनी बुझी हुई है। ऐसे में सवाल मानवाधिकार, केन्द्र सरकार और जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री को लेकर खड़ा होता है कि क्या कश्मीर से पलायन कराया जा रहा है, या फिर सरकार जान बूझकर अनजान बनी हुई है ? हिंसा प्रभावित किश्तवाड़ जिले में आज भी लोग अपने घरों में डरे सहमे हुए है। केन्द्र और राज्य सरकार आरोप प्रत्यारोप के महासागर में डूबी हुई है। 9 अगस्त की सुबह 10: 30 बजे जब लोगों ने ईद के दौरान जुलूस निकाला और भारत विरोधी नारे लगाए। इसके बाद यहां हिंसा भड़क उठी जो धीरे-धीरे पूरे शहर में फैल गई।

किश्तवाड़ में एक खास समुदाय के लोगों को चुन चुनकर निशाना बनाया गया। उनको मारा गया पीटा गया। उनकी दुकानों और घरों को जलाया गया। मगर यहा सबसे अहम बात ये है कि प्रशासन की तरफ से कोई कदम नहीं उठाया गया। गृह राज्य मंत्री सज्जाद किचालू खुद वहा मौजूद थे। आगजनी, लूटपाट, हिंसा होती रही लेकिन वे बाहर नहीं निकले। अगर गृह राज्य मंत्री सज्जाद अहमद किचलू चाहते तो कानून व्यवस्था की स्थिति को संभाल सकता थे। लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।

किश्तवाड हिंसा पर गृह मंत्री की अनुपस्थिति में पी.चिदम्बरम नें सदन को जानकारी दी कि किश्तवाड में हिंसा भारत विरोधी नारों के कारण ही भड़की थी। कश्मीर में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे आम बात है। इसके बाद वहाँ के मुख्यमंत्री का हैरान कर देने बयान मीडिया में आया जिसमें उन्होंने कहा कि इसमें नया क्या है ये तो वहाँ 20 -22 सालों से चल रहा है। जब किसी राज्य के मुख्यमंत्री के लिए देशविरोधी हरकतें और नारे सामान्य बात हो तो सवाल खड़ा होता है कि क्या कश्मीर से पलायन कराया जा रहा है ?

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