30 August 2013

क्या आज सुदर्शनधारी श्री कृष्ण की जरुरत है ?

                                               बिना शक्ति के भक्ति भावना पंगु अधूरी है।
                                               आज बांसुरी नहीं सुदर्शन चक्र जरुरी है।।

सुदर्शन चक्र भगवान विष्णु का एक अमोघ अस्त्र है। इस चक्र ने देवताओं की रक्षा तथा राक्षसों के संहार में अतुलनीय भूमिका का निर्वाह किया है। सुदर्शन चक्र एक ऐसा अस्त्र है जो चलाने के बाद अपने लक्ष्य पर पहुँचकर वापस आ जाता है। यह चक्र भगवान विष्णु को शंकर भगवान से प्राप्त हुआ था। सुदर्शन चक्र को विष्णु ने उनके कृष्ण के अवतार में धारण किया था। श्रीकृष्ण ने इस चक्र से अनेक राक्षसों का वध किया था। आज सामाज के अंदर जिस रूप में कुरीतियों को बढ़ावा मिल रहा है और भय-भूख, भ्रष्टाचार हर ओर ब्याप्त है। ऐसे समय में आज एक बार फिर से सुदर्शनधारी कृष्ण कि जरूरत हर ओर महसूस होने लगा है।

प्राचीन काल में श्रीदामा नाम से विख्यात एक महान असुर राजा ने सारे संसार को अपने अधीन करके लक्ष्मी को भी अपने वश में कर लिया। उसके यश और प्रताप से तीनों लोक श्रीहीन हो गये। उसका मान इतना बढ़ गया था कि वह भगवान विष्णु के श्रीवत्स को ही छीन लेने की योजना बनाने लगा। इसका सामना करने के लिए भगवान विष्णु जगन्नाथ के पास जाकर एक हजार वर्ष तक पैर के अंगूठे पर खड़े रह कर परब्रह्म की उपासना की। भगवान विष्णु की इस प्रकार कठोर साधना से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने तब उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान किया। ऐसे में आज लोगों के अंदर भी सब्र का बांध टूट रहा है, क्योंकि आज हर कोई धैर्य और सहनशीलता के आगे अपने आप को ठगा और हारा हुआ समझ रहा है। तो सवाल भी खड़ा होता है की लोगों के इस धैर्य और सहनछमता को बनाए रखने के लिए क्या  सुदर्शनधारी कृष्ण कि पूजा और चक्र की पराक्रम आज सामाज को नहीं है?   

सुदर्शनचक्र बारह अरों, छह नाभियों एवं दो युगों से युक्त, तीव्र गतिशील और समस्त आयुधों का नाश करने वाला है। सज्जनों की रक्षा करने के लिए इसके अरों में देवता, राशियाँ, ऋतुएँ, अग्नि, सोम, मित्र, वरुण, शचीपति इन्द्र, विश्वेदेव, प्रजापति, हनुमान, धन्वन्तरि, तप तथा चैत्र से लेकर फाल्गुन तक के बारह महीने प्रतिष्ठित हैं। भगवान श्री कृष्ण के पास यह देवी की कृपा से प्राप्त हुआ था। आज के संसार में भगवान कृष्ण और मुरली कि बासुड़ी कि जगह सुदर्शन चक्र की जरूरत है। यही कारण है कि आज हर कोई कह रहा है,,,,,,,,,

                                                हरी मंडप में जब तक हाहाकार नहीं होगा
                                               शत्रु पक्ष में जब तक भला पार नहीं होगा
                                               गद्दारों का जब तक खुला शिकार नहीं होगा
                                           तब तक भारत माता का सपना साकार नहीं होगा।
                                                   कौवों को नहीं दी जाती कभी अंगूरी है
                                                  आज बांसुरी नहीं सुदर्शन चक्र है जरुरी
                                                           सुदर्शन चक्र है जरूरी।।

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