देषद्रोह के आरोपी अकबरुद्दीन ओवैसी को आखिरकार जमानत मिल गई। मगर इस आरोपी को मिली जमानत से कई अहम सवाल खड़ा हो गया है। निजामाबाद जिले की एक अदालत ने इस आरोपी को शुक्रवार को जमानत दे दी, वो भी मात्र दस हजार के मुचलके पर। ओवैसी के वकील के मुताबिक अदालत ने स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मंजूर की है। ओवैसी को अदालत ने 10,000 रुपये का मुचलका और दो जमानत राशियां चुकाने का निर्देश दिया। एमआईएम विधायक ओवैसी हैदराबाद से 300 किलोमीटर दूर आदिलाबाद की एक जेल में बंद था। मगर यहा सवाल खड़ा होता है की क्या इतने बड़े आरोपी को सिर्फ दस हजार के मुचलके पर छोड़ने से इसका मनोबल नहीं बढ़ेगा। क्या इतने बड़े देषद्रोही को खुला घुमने की छुट दिया जाना चाहिए। ये तमाम एैसे सवाल है जिसका जवाब आंध्रप्रदेष की सरकार को भी देना होगा। ओवैसी के उपर जो धारा लगाई गई थी वो पूरी तरह से गैरजमानती थी। यही कारण है की ओवैसी ने जमान लेने के लिए स्वास्थ्य को अधार बनाया। इस आरोपी को जमानत मिलते है उसके समर्थकों में खुषी की लहर दौड़ पड़ी, इस कट्टरपंथी के समर्थकों ने हैदराबाद, निजामाबाद, और आसपास के षहरों में जम कर उत्पात मचाया और ओवैसी के समर्थन में नारे भी लगाये।
औवैसी को भले ही निजामाबाद के अदालत से जमात मिल गई है मगर भड़काऊ भाषण के मामले में निर्मल टाउन की एक अदालत में भी ओवैसी के खिलाफ मुकदमा चल रहा है। यहां से जमानत पाने के लिए औवेसी को कड़ी मषक्कत करनी होगी। निर्मल टाउन में 22 दिसंबर को हिन्दु देवीदेवताओं को अपमान करने और राश्ट्रविरोधी भाशण देने के अरोप में ओवैसी को आठ जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। तभी से वह जेल में बंद था। उनसे खिलाफ ऐसा ही एक मामला आठ दिसंबर को निजामाबाद में भी दर्ज किया गया था। दोनों ही अदालतों में उसकी आवाज रिकार्ड की गई और सीडी को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया। हैदराबाद जिले के चंद्रायनगुट्टा विधानसभा क्षेत्र से विधायक ओवैसी देषद्रोह, देश के विरुद्ध युद्ध छेड़ने और लोगों के बीच विद्वेष फैलाने जैसे आरोपों का सामना कर रहा हैं। एैसे में इस बात की क्या गारंटी है की वह आग फैलाने वाली अपनी भाशणबाजी पर लगाम लगा पाएगा ? क्या इस देषद्रोही को जमानत से छुटने पर देष की एकता और अखंडता पर इसका असर नहीं पड़ेगा, जो हमेसा से ही हिन्दुओं के खिलाफ आग उगलता रहा है, जो देष को तोड़ने वाली बात करता है। जिसका सिधा सरोकार पाकिस्तान के साथ है। जो देष में रहकर ही देष को तोड़ने, हिन्दुओं के मंदिरों को तोड़ने, यहा तक कि हिन्दुओं को जिंदा काटडालने की बात करता है। जिसके चलते देष की एकता और अखंडता पर हमेषा घतरे की घंटी नजर आती है। जहा पर कभी भी दंगा भड़क सकता है तो एैसे में सवाल खड़ा होता है की एैसे देषद्रोही को सिर्फ दस हजार रूपये की जमानत पर छोड़ा जाना चाहिए ?
औवैसी को भले ही निजामाबाद के अदालत से जमात मिल गई है मगर भड़काऊ भाषण के मामले में निर्मल टाउन की एक अदालत में भी ओवैसी के खिलाफ मुकदमा चल रहा है। यहां से जमानत पाने के लिए औवेसी को कड़ी मषक्कत करनी होगी। निर्मल टाउन में 22 दिसंबर को हिन्दु देवीदेवताओं को अपमान करने और राश्ट्रविरोधी भाशण देने के अरोप में ओवैसी को आठ जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। तभी से वह जेल में बंद था। उनसे खिलाफ ऐसा ही एक मामला आठ दिसंबर को निजामाबाद में भी दर्ज किया गया था। दोनों ही अदालतों में उसकी आवाज रिकार्ड की गई और सीडी को फॉरेंसिक जांच के लिए भेज दिया गया। हैदराबाद जिले के चंद्रायनगुट्टा विधानसभा क्षेत्र से विधायक ओवैसी देषद्रोह, देश के विरुद्ध युद्ध छेड़ने और लोगों के बीच विद्वेष फैलाने जैसे आरोपों का सामना कर रहा हैं। एैसे में इस बात की क्या गारंटी है की वह आग फैलाने वाली अपनी भाशणबाजी पर लगाम लगा पाएगा ? क्या इस देषद्रोही को जमानत से छुटने पर देष की एकता और अखंडता पर इसका असर नहीं पड़ेगा, जो हमेसा से ही हिन्दुओं के खिलाफ आग उगलता रहा है, जो देष को तोड़ने वाली बात करता है। जिसका सिधा सरोकार पाकिस्तान के साथ है। जो देष में रहकर ही देष को तोड़ने, हिन्दुओं के मंदिरों को तोड़ने, यहा तक कि हिन्दुओं को जिंदा काटडालने की बात करता है। जिसके चलते देष की एकता और अखंडता पर हमेषा घतरे की घंटी नजर आती है। जहा पर कभी भी दंगा भड़क सकता है तो एैसे में सवाल खड़ा होता है की एैसे देषद्रोही को सिर्फ दस हजार रूपये की जमानत पर छोड़ा जाना चाहिए ?
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