पश्चिम बंगाल में एक बार फिर से दंगे की आग भड़की है, और इस दंगे में हर बार की तरह इस बार भी हिन्दुओं को ही निशाना बनाया गया है। पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के नालीखली गांव में एक धार्मिक नेता की गुंडों द्वारा हत्या के बाद वहां पर हिंसा भड़क गई। नेता की मौत से गुस्साई भीड़ ने 200 घरों को आग के हवाले कर दिया। कथित तौर पर 60 साल के एक धार्मिक नेता जामतला गांव में किसी समारोह में गए हुए थे। सोमवार रात जब वह मोटरसाइकल पर लौट रहे थे, तभी गुंडों के एक दल ने उन पर गोली चला दी और उनकी मौत हो गई। इसके बाद अफवाहों का बाजार गर्म हो गया और हवा में यह बात तैरने लगी कि धार्मिक नेता की हत्या नालीखली गांव के किसी शख्स ने ही की है। इसके बाद लोग घटनास्थल पर जमा होने लगे। शुरू में पुलिस ने इस समस्या को हलके में लिया और लोगों को हटाने के लिए एक जूनियर ऑफिसर और दो कॉन्स्टेबल को भेजा। मगर देखते ही देखते भीड़ उग्र हो गई और दंगा पर उतारू हो गई। दंगाईयों ने सड़क तक को जाम कर दिया और रेलवे ट्रैक को भी बाधित कर दिया।
हमलावरों ने कई गांवों में लूट-खसोट भी की। मगर यहा सबसे चैकाने वाली बात ये है की पुलिस पूरे घटनाक्रम पर मूकदर्शक बनी रही। हमलावरों का एक गुट कोलकाता से ट्रक में चढ़कर आया था। खुफिया एजेंसियों ने भी इस बात की पुष्टि की है। दंगे का दंश झेलरहा ये नालीखली गांव केनिंग सबडिविजन के अंर्तगत आता है। यहां पर स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है और ऐसी आशंका जताई जा रही है कि हिंसा जिले के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती है। हमलावरों ने हिन्दुओं के घरों पर हमला कर दिया मगर पुलिस वहां खड़ा होकर मुंह ताक रही थी। हमला कितना कायरतापूर्ण था ये तस्वीरे खुद ब खुद बयां कर रही है। ये हमला पूरी तरह सुनियोजित थी कयोंकि इन दंगाईयों के हाथों में बम, तलवार, और धारदार हथियार थी।
दंगाईयों ने पेट्रोल झिड़क कर हिन्दुओं के घरों में आग लगा दिए। जिन लोगों ने उनका विरोध किया उनकी हमलावरों ने जमकर पिटाई की। हमलावर 3 घंटे तक लोगों का घर जलाते रहे और पुलिस कुछ नहीं कर पा रही थी। यहा सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ममता बनर्जी क्यों सोई रही। इतनी बड़ी संख्या में दंगाई यहा कैसे इकट्टे हुए? आखिर ममता और ममता की पुलिस क्या कर रही थी ? ये अपने आप में एक बेहद गंभिर सवाल खड़ा करता है। ये वही ममता बनर्जी है जिन्होने अल्पसंख्यक दंगाईयों के लिए स्पेशल हॉस्पिटल बनवाने का एलान किया था। दंगाईयों द्वारा हिन्दू दुकानदार की दुकाने भी जला कर राख कर दिया गया है, यही कारण है यहा से हिन्दु जान बचाने के लिए दुकानें छोड़कर भाग गए है।
जो दुकाने बच गई थी उन्हें लूट कर राख कर दिया गया है। इस घटाना के बाद से आसपास के गांवों के हिन्दू भी बेहद खौफजदा हैं। प्रियोर मोर की स्थिति मुस्लिमों के भयानक आतंको की पृष्ठिभूमि में सुरू से ही बेहद संवेदनशील रही है, इसके बावजूद पुलिस ने दंगाईयों के हिंसक विनाशलीला को रोकने के लिए पहले से कोई कदम नहीं उठाए। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या पश्चित बंगाल की ममता सरकार हिन्दुओं का महाविनाश करने पर उतारू है? क्या बंगाल को बांगलादेश बनाया जा रहा है ?
हमलावरों ने कई गांवों में लूट-खसोट भी की। मगर यहा सबसे चैकाने वाली बात ये है की पुलिस पूरे घटनाक्रम पर मूकदर्शक बनी रही। हमलावरों का एक गुट कोलकाता से ट्रक में चढ़कर आया था। खुफिया एजेंसियों ने भी इस बात की पुष्टि की है। दंगे का दंश झेलरहा ये नालीखली गांव केनिंग सबडिविजन के अंर्तगत आता है। यहां पर स्थिति अब भी तनावपूर्ण बनी हुई है और ऐसी आशंका जताई जा रही है कि हिंसा जिले के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती है। हमलावरों ने हिन्दुओं के घरों पर हमला कर दिया मगर पुलिस वहां खड़ा होकर मुंह ताक रही थी। हमला कितना कायरतापूर्ण था ये तस्वीरे खुद ब खुद बयां कर रही है। ये हमला पूरी तरह सुनियोजित थी कयोंकि इन दंगाईयों के हाथों में बम, तलवार, और धारदार हथियार थी।
दंगाईयों ने पेट्रोल झिड़क कर हिन्दुओं के घरों में आग लगा दिए। जिन लोगों ने उनका विरोध किया उनकी हमलावरों ने जमकर पिटाई की। हमलावर 3 घंटे तक लोगों का घर जलाते रहे और पुलिस कुछ नहीं कर पा रही थी। यहा सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर ममता बनर्जी क्यों सोई रही। इतनी बड़ी संख्या में दंगाई यहा कैसे इकट्टे हुए? आखिर ममता और ममता की पुलिस क्या कर रही थी ? ये अपने आप में एक बेहद गंभिर सवाल खड़ा करता है। ये वही ममता बनर्जी है जिन्होने अल्पसंख्यक दंगाईयों के लिए स्पेशल हॉस्पिटल बनवाने का एलान किया था। दंगाईयों द्वारा हिन्दू दुकानदार की दुकाने भी जला कर राख कर दिया गया है, यही कारण है यहा से हिन्दु जान बचाने के लिए दुकानें छोड़कर भाग गए है।
जो दुकाने बच गई थी उन्हें लूट कर राख कर दिया गया है। इस घटाना के बाद से आसपास के गांवों के हिन्दू भी बेहद खौफजदा हैं। प्रियोर मोर की स्थिति मुस्लिमों के भयानक आतंको की पृष्ठिभूमि में सुरू से ही बेहद संवेदनशील रही है, इसके बावजूद पुलिस ने दंगाईयों के हिंसक विनाशलीला को रोकने के लिए पहले से कोई कदम नहीं उठाए। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या पश्चित बंगाल की ममता सरकार हिन्दुओं का महाविनाश करने पर उतारू है? क्या बंगाल को बांगलादेश बनाया जा रहा है ?
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