12 November 2024

13 नवंबर से शुरू होगा विधानसभा सत्र, शीतकालीन सत्र में विपक्ष की क्या है प्लानिंग? इनेलो ने भेजा 8 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव, सदन में जोरदार हंगामे का आसार

 हरियाणा में तीन दिवसीय विधानसभा का सत्र शुरू होने जा रहा है। इसे लेकर चंडीगढ़ में बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में यह फैसला लिया गया है। B.A.C मीटिंग के बाद मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पत्रकारों को इसपर विस्तार से जानकारी दी है। विधानसभा का यह सत्र 13, 14 और 18 नवंबर को होने वाला है। B.A.C की बैठक में CM सैनी के अलावा स्पीकर हरविंदर कल्याण, संसदीय कार्य मंत्री महिपाल ढांडा और डिप्टी स्पीकर कृष्ण मिड्ढा भी मौजूद थे।

 

शीतकालीन सत्र में विपक्षी दलों की प्लानिंग

 

शीतकालीन सत्र को लेकर विपक्षी दलों ने मेगा प्लानिंग बनाया है

 

विपक्षी दल पराली जलाने पर डबल जुर्माने वाले केंद्र के फैसले पर सैनी सरकार को घेरेंगे

 

5 बड़े मुद्दों को लेकर मुख्यमंत्री नायब सैनी को घेरने की तैयारी विपक्ष कर रहा है

इस बार कांग्रेस के साथ इंडियन नेशनल लोकदल के विधायक भी पूरी तरह से एक्टिव है

इनेलो की ओर से 8 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव विधानसभा स्पीकर को भेजे गए हैं

 

साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने भी संकेत दिए हैं कि सेशन काफी हंगामेदार होने वाला है। पिछले दिनों रोहतक में उन्होंने कहा था कि विपक्ष मजबूत है। विधानसभा में जनहित के मुद्दों को जोर-शोर से उठाया जाएगा। विपक्ष के रूख से तय है कि इसबार का सत्र काफी हंगामेदार होने वाला है।

 

इनेलो ने भेजे 8 ध्यानाकर्षण प्रस्ताव

 

1.     DAP और यूरिया खाद न मिलने से किसानों को हो रही परेशानी का मुद्दा

2.     पराली जलाने पर किसानों पर दर्ज मुकदमे और जुर्माना का प्रावधान

3.     गांव-शहर में कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग

4.     धान की फसल की MSP पर खरीद करने वाली मांग

5.     परिवार पहचान पत्र से आम जनता को हो रही परेशानी

6.     शहरों और गांव में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने हेतु कार्य

7.     प्रदेश में बढ़ रहे नशे पर विचार करने को लेकर प्रस्ताव

8.     बेरोजगारी को लेकर सरकारी भर्तियां निकालने को लेकर मांग शामिल है

 

8 अक्टूबर को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से MSP पर धान खरीदने का वादा किया था। हालांकि, अभी प्रदेश में धान की फसल 2300 रुपए प्रति क्विंटल के MSP की दर से खरीदी जा रही है। लेकिन कांग्रेस का दावा है कि प्रदेश के 60% से अधिक किसानों ने 2000 से 2100 रुपए प्रति क्विंटल पर अपनी धान की फसल बेची है। हरियाणा में किसान हमेशा से बड़ा मुद्दा रहे हैं, इसलिए कांग्रेस और INLD इस मुद्दे को सत्र के दौरान जोर-शोर से उठाएगी।

 

DAP खाद की कमी बड़ा मुद्दा बनेगी

 

विधानसभा सेशन में धान की MSP पर खरीद के बाद DAP खाद की कमी दूसरा बड़ा मुद्दा रहने वाला है

 

कांग्रेस के नेता भी सार्वजनिक रूप से आंकड़ा बता कर सरकार को सदन से पहले ही घेर रहे हैं

 

विपक्ष का कहना है कि हर जिले में खाद की कमी है

 

सिरसा में 13,000 टन DAP की आवश्यकता है लेकिन सरकार ने केवल 900 टन ही दी है

 

पानीपत में 6500 टन DAP की आवश्यकता है, मगर सरकार ने केवल 360 टन DAP उपलब्ध करवाई है

 

केंद्र की भाजपा सरकार ने हरियाणा समेत अन्य राज्यों में पराली जलाने पर अब किसानों से दोगुना जुर्माना वसूलने का फैसला किया है। पर्यावरण मंत्रालय ने जुर्माने की राशि को दोगुना कर दिया है, जो अब 5 हजार रुपए से शुरू होकर 30 हजार रुपए तक देना होगा। हालांकि, यह फैसला पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए लिया गया है। हरियाणा में अबतक 4 हजार से अधिक पराली जलाने के मामले सामने आए हैं। कई किसानों के खिलाफ केस भी दर्ज किए गए हैं। किसानों के इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दल भी लगातार हमला कर रहे हैं। सदन में यह बड़ा मुद्दा बनने वाला है।

 

नशाखोरी को लेकर सदन में होगा हंगामा

 

हरियाणा में युवाओं में बढ़ रहे नशे के चलन को लेकर विधानसभा सत्र में हंगामा होने के पूरे आसार हैं

हाल ही में सूबे के हलका उकलाना के गांव पाबड़ा में नशे का कहर देखने को मिला है

 

यहां तीन युवक नशे की लत के कारण मौत का शिकार हो चुके हैं

 

29 अक्टूबर को नशे से होने वाली पहली मौत का मामला सामने आया था

 

8 नवंबर को भी 23 साल के एक युवक की नशे के कारण मौत हो गई थी

 

इसके अलावा 5 नवंबर को भी 30 साल के एक युवक की मौत की वजह नशा बताई गई थी

 

कांग्रेस के साथ INLD ने भी अपने ध्यानाकर्षण प्रस्ताव में इसे शामिल किया है

 

हरियाणा में बेरोजगारी हमेशा से ही बड़ा मुद्दा रही है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय की सितंबर में जारी हुई पीरियॉडिक लेबर फोर्स सर्वे 2023-24 की रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा में बेरोजगारी दर 3.4 फीसदी है। हालांकि, पिछले साल के मुकाबले यह काफी कम है, लेकिन इसके बाद भी विपक्षी दल इस मुद्दे को सदन में मुद्दा बनाएंगे। इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि हाल ही में ग्रुप C-D की रुकी भर्तियों के लिए कांग्रेस के इसे बड़ा मुद्दा बनाया था। कांग्रेस अब बेरोजगारी को लेकर सदन में CM सैनी को घेरने की तैयारी कर रही है। INLD के MLA अर्जुन चौटाला की ओर से इसे लेकर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव भी दिया गया है।

 

विधानसभा के शीतकालीन सत्र का शेड्यूल

 

13 नवंबर

राज्यपाल का अभिभाषण, शोक प्रस्ताव, सदन के पटल पर रखे जाने वाले पेपर, राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा और धन्यवाद प्रस्ताव पर वोटिंग

 

14 नवंबर

अनुपूरक अनुमान की प्रस्तुति, अनुपूरक अनुमानों की मांगों पर चर्चा, अनुपूरक अनुमानों की मांगों पर वोटिंग, विधायी कार्य और अन्य विषय

 

18 नवंबर

हरियाणा विनियोग विधेयक अनुपूरक अनुमानों के संबंध में प्रस्तुत किया जाएगा। इस पर वोटिंग होगी, सदन के पटल पर पेपर रखे जाएंगे। विधायी कार्य और अन्य कई कार्य होंगे।

 

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने कहा है कि 13 नवंबर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में विपक्ष जोर-शोर से जनहित के मुद्दों को उठाएगा। हम चुनाव हारे हैं, हिम्मत नहीं। सरकार को प्रश्नकाल और शून्यकाल को सदन की कार्यवाही में शामिल करना चाहिए।

 

 

वहीं इनेलो नेता अर्जुन चौटाला ने कहा है सरकार ने तीन दिन सत्र चलाने का फैसला लिया है। हम दोनों विपक्षी विधायकों ने इसे बढ़ाने का सुझाव दिया था ताकि नवनिर्वाचित विधायक भी अपनी बात कह सकें और इस सदन में अपने डर को दूर कर सकें। बोलने से डर दूर होता है और अनुभव मिलता है। हमने अनुरोध किया था कि सभी को समय और अवसर दिया जाए। सत्र की अवधि नहीं बढ़ाई गई लेकिन स्पीकर ने हमें आश्वासन दिया था कि सभी को मौका दिया जाएगा।

 

 

कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि विधानसभा का तीन दिवसीय सत्र शुरू होने जा रहा है लेकिन कांग्रेस अपना नेता प्रतिपक्ष नहीं चुन पाई है। कांग्रेस पार्टी कई धड़ों का समूह है। ये आपस मे मिलकर कर नहीं कर सकते। इसलिए नेता प्रतिपक्ष का चुनाव नहीं हो पा रहा।

 

विधानसभा सत्र को लेकर कांग्रेस विधायक आफ़ताब अहमद कहा कि झारखंड और महाराष्ट्र के चुनाव आ गए थे। जिसकी वजह से पार्टी का नेतृत्व दोनों राज्यों के चुनाव में व्यस्त है। इसकी वजह से थोड़ा विलंब हुआ है। अब तक फैसला हो जाना चाहिए था, लेकिन इन चुनाव नतीजों के बाद जल्दी ही विपक्ष का नेता चुन लिया जाएगा। कांग्रेस विधायकों ने अपने केंद्रीय नेतृत्व को अधिकृत कर दिया है कि जो फैसला हाईकमान लेगा वह मान्य होगा। 

 

हरियाणा विधानसभा उपाध्यक्ष कृष्ण मिड्‌ढा रोहतक में विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया। 13 नवंबर से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र को लेकर मिड्‌ढा ने कहा कि...

 

इस बार करीब 40 नए विधायक चुनकर आए हैं। उनको समय दिया जाएगा, क्योंकि उनकी समय की मांग है कि समय बढ़ाया जाए। ताकि वे अपनी विधानसभा की बात रख सके और इस पर ध्यान दिया जाएगा। मेरा प्रयास रहेगा कि मर्यादित रूप से विधानसभा चले। सभी विधायक भी विधानसभा में मर्यादित भाषा का प्रयोग करें, ताकि सदन बेहतर तरीके से चल पाए। सभी विधायक अपनी विधानसभा क्षेत्र की मांग रखें। पिछली भाजपा सरकार में भी पक्ष-विपक्ष दोनों विधायकों को उचित समय दिया गया। सभी का समाधान देखा गया और जो काम रखे गए उन पर भी विशेष ध्यान दिया गया। चाहे विधायक पक्ष का हो या विपक्ष का

 

इस दौरान विधानसभा उपाध्यक्ष कृष्ण मिड्‌ढा ने कांग्रेस पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि अब कांग्रेस का काम सिर्फ मंथन करना ही रह गया है। अगले 5 साल भी वह मंथन करती रह जाएगी। क्योंकि प्रदेश की जनता ने काम पर मोहर लगाकर सरकार बनाई है। विपक्ष का मजबूत होना अच्छी बात है, हमें और भी अच्छा अवसर मिलेगा। सबको पता है कि किस प्रकार से कांग्रेस में बिखराव है। सत्र शुरू होने से पहले पक्ष और विपक्ष दोनों लगातार एक दूसरे पर हमलावर है, ऐसे में अब देखना ये होगा इस बार का शीतकालीन सत्र हंगामे की भेंट चढ़ जाएगा या फिर सरकार विधायी कामकाज निपटाने में सफल हो पाएगी।

क्या है डिजिटल अरेस्ट ? डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचें? कैसे करें डिजिटल अरेस्ट की पहचान? डिजिटल अरेस्ट निशाने पर कौन-कौन ? डिजिटल अरेस्ट महिलाएं ट्रैप ! डिजिटल अरेस्ट वर्चुअल रेप !

 

देश में लगातार डिजिटल अरेस्ट के मामले सामने आ रहे हैं। ठगों द्वारा डिजिटल अरेस्ट करके लोगों से अबतक अरबों रुपये की ठगी की जा चुकी है। अगर आप थोड़े भी सजग और जागरूक हैं, तो साइबर ठगी से खुद को बचा सकते हैं। आइए जानते हैं क्या है डिजिटल अरेस्ट, कैसे होती है इसकी शुरुआत?

 

क्या है डिजिटल अरेस्ट?


डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल करने का एक एडवांस तरीका है

 

डिजिटल अरेस्ट स्कैम के शिकार कोई भी हो सकता है

 

डिजिटल अरेस्ट का सीधा मतलब है वीडियो कॉलिंग से आपको कंट्रोल करना

 

ठग ऑनलाइन या फोन पर धमकी देकर वीडियो कॉलिंग से नजर रखते हैं

 

साइबर ठग नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं

 

आपको कंट्रोल कर केस को खत्म करने के लिए पैसे ट्रांसफर करवा लेते हैं

 

कैसे होती है डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत?

 

 

डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत एक मैसेज या फोन कॉल के साथ होती है

 

ठग खुद को पुलिस डिपार्टमेंट या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अधिकारी बताते हैं  

 

ठग बताते हैं कि आपके पैन और आधार का इस्तेमाल कर खरीदारी की गई है

 

कई बार यह भी दावा करते हैं कि वे कस्टम या CBI विभाग से बोल रहे हैं

 

ठग बताते हैं कि आपके नाम से कोई पार्सल आया है जिसमें ड्रग्स या प्रतिबंधित चीजें हैं

 

इसके बाद वे वीडियो कॉल करते हैं और सामने बैठे रहने के लिए कहते हैं

इस दौरान किसी से बात करने, मैसेज करने और मिलने की इजाजत नहीं देते हैं

 

आपको डरा कर कंट्रोल करने के बाद ठग जमानत के नाम पर लोगों से पैसे मांगते हैं। लोग अपने ही घर में ऑनलाइन कैद होकर रह जाते हैं और पैसे भी ट्रासफर कर देते हैं। जबतक सच्चाई सामने आती है, ठग आपको ऑनलाइन लूट कर कंगाल कर चुके होते हैं।


जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल हो रही है ऑनलाइन धोखाधड़ी के तरीके में भी तेजी से बदल रहे हैं। RBI के रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में करीब 30,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के बैंक फ्रॉड रजिस्टर किए गए। डिजिटल अरेस्ट साइबर क्राइम का बिल्कुल नया तरीका हैआज हम आपको इस स्कैम से बचने के उपाय के बारे में डिटेल में जानकारी देंगे, इसलिए पूरे विडियो को अंत तक जरूर देखिए।

 

 

डिजिटल अरेस्ट से बचने का रास्ता क्या है?

 

 

डिजिटल अरेस्ट से बचने का आसान रास्ता जानकारी है

 

इसकी शुरुआत ही आपके डर के साथ होती है, धमकियों से डरना नहीं चाहिए

 

आपके पास भी धमकी वाले फोन कॉल आते हैं तो आपको डरने की जरूरत नहीं है

 

कोई कॉल करके धमकाता है तो डरें नहीं, बल्कि डटकर सामना करें

 

फोन या वीडियो कॉल पर ठगों के सवालों और तर्कों का जवाब देने में जल्दबाजी न करें

 

अनजान नंबरों से किसी भी सामान्य या वीडियो कॉल पर भी कोई निजी जानकारी न दें

 

यदि आपने कोई पार्सल मंगवाया ही नहीं है तो फिर डरने की जरूरत नहीं है

 

ऐसे कोई भी कॉल आने पर तुरंत पुलिस में शिकायत करें

यदि कोई मैसेज या ई-मेल आता है तो उसे सबूत के तौर पर पुलिस को दें

यदि किसी कारण आपने कॉल रिसीव कर लिया और आपको वीडियो कॉल पर कोई धमकी देने लगा तो स्क्रीन रिकॉर्डिंग के जरिए वीडियो कॉल को रिकॉर्ड करें और तुरंत पुलिस से शिकायत करें। किसी भी कीमत पर डरें नहीं और पैसे तो बिलकुल भी ना भेजें।


पूरे देश में इस समय साइबर क्राइम का एक बड़ा मुद्दा सबके सामने छाया हुआ है। आए दिन डिजिटल अरेस्ट करने वाले शातिर ठग आम लोगों से लेकर हाई प्रोफाइल लोगों तक को अपना शिकार बना रहे हैं। इस दौरान डिजिटल अरेस्ट की चर्चा भी हर तरफ खुब हो रही है। डिजिटल अरेस्ट के दौरान ठग अपके मन में डर पैदा कर देते हैं और आपको यकीन दिलाते हैं कि, जो भी आपको बताया जा रहा है वही सच है। उनके या उनके किसी परिजन के साथ बुरा हो चूका है या होने वाला है। तो आईए हम आपको बताते हैं कि कैसे करें डिजिटल अरेस्ट की पहचान।

 

 

ऐसे करें डिजिटल अरेस्ट की पहचान

 

डिजिटल अरेस्ट के मामले में शिकार के पास फोन कॉल आता है

फोन कॉल में आपके या किसी परिजन के फंसे होने की बात बताई जाती है  

शिकार को ठग गिरफ्तारी की धमकी देते हैं और पैसे की मांग करते हैं

लोगों को नकली ऑफिसर आईडी, पुलिस स्टेशन या फिर सीबीआई ऑफिस का माहौल दिखाकर यकीन दिला दिया जाता है

शिकार को बताया जाता है कि ये पूरी कार्रवाई असली है

ठग डिजिटल अरेस्ट के दौरान अपने शिकार को पूरे समय फोन कैमरा और माइक्रोफोन चालू रखने के लिए कहते हैं

झूठी जांच के दौरान शिकार से पैसे लूट लिए जाते हैं


भारत सरकार ने ये बात पहले ही साफ कर दिया है कि भारतीय कानून में कही पर भी डिजीटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही किसी को भी वीडियो या माइक्रोफोन चालू रखने के लिए दवाब नहीं बनाया जा सकता है। गृह मंत्रालय के अनुसार ऐसी कॉल आने पर नागरिकों को मदद के लिए तत्काल साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर मामले की जानकारी देनी चाहिए।


देशभर में साइबर अपराधी लोगों को डिजिटल अरेस्ट करने के लिए पूरी प्लानिंग के साथ काम कर रहे हैं। जिस व्यक्ति से उन्हें ठगी करना है, उसका वह पूरा प्रोफाइल तैयार करते हैं। साइबर अपराधी यह जानते हैं कि किसी बड़े बिजनेसमैन, डॉक्टर और रिटायर अधिकारियों को इलीगल ट्रांजेक्शन और मनी लाउंड्रिंग जैसे मामले में डराया जा सकता है।

 

निशाने पर कौन-कौन ?

 

डिजिटल अरेस्ट के अधिकांश केस में पीड़ित हाई प्रोफाइल के लोग होते हैं

डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर और रिटायर्ड अधिकारी सबसे अधिक हो रहे शिकार

बड़े बिजनेसमैन भी डिजिटल अरेस्ट से साइबर ठगी का शिकार हुए हैं

अपराधी शिकार को बताते हैं कि उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है

गिरफ्तारी वारंट व्हाट्सएप और ईमेल आईडी पर अपने टारगेट को भेज देते हैं

डरा हुआ व्यक्ति खुद को निर्दोष बताते हुए मदद की भीख मांगता है

साइबर अपराधी अलग-अलग अकाउंट नंबर देकर लाखों रुपए की डिमांड करते हैं

सुरक्षा एजेंसियों के नाम के वारंट को देखकर लोग पैसे ट्रांसफर कर देते हैं

साइबर अपराधी किसी बड़े घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाकर ऐसे व्यक्ति को फोन करते हैं जो अधिकारी हो या अधिकारी रह चुका हो। सुरक्षा एजेंसियों के अधिकारी बनकर साइबर अपराधी फेक अरेस्ट वारंट भेजते हैं। इसके बाद वह अपने शिकार को यह विश्वास दिलातें हैं कि एजेंसी किसी भी वक्त उन्हें गिरफ्तार कर सकती है। सुरक्षा एजेंसी से बचने के लिए पढे-लिखे लोग लाखों रुपए साइबर अपराधियों के खातों में डाल देते हैं।


डिजिटल अरेस्ट में नकली पुलिस स्टेशन, नकली सरकारी कार्यालय स्थापित करने और नकली वर्दी पहनकर ठगी को अंजाम देने का काम इन दिनों बढ़ता जा रहा है। घर में रहने वालीं महिलाएं डिजिटल अरेस्ट की चपेट में सबसे ज्यादा आ रही हैं। ठग ये कहकर महिलाओं को डिजिटल अरेस्ट कर रहे हैं कि आपका बेटा या बेटी यहां फंस गया है, आपके पति को किसी फ्रॉड में अरेस्ट कर लिया गया है, उनकी या आपकी ये जानकारी जल्दी भेजो... और फिर फ्रॉडस्टर उन्हें फंसा लेते हैं।

 

सबसे अधिक महिलाएं हो रहीं डिजिटली ट्रैप

 

महिलाओं को घर में डिजिटली ट्रैप करना फ्रॉडस्टर के लिए आसान है

परिवार में बिना किसी से पूछे या बताए डर कर महिलाएं पर्सनल जानकारी दे देती हैं

साइबर स्कैम करने वाले घरेलू महिला को अपने जाल में आसानी से फंसा लेते हैं

धमकी वाले फोन कॉल को घरेलू महिलाएं नहीं पहचान पाती हैं

ऐसे कॉल आने पर तुरंत पुलिस में शिकायत करें

किसी भी अनजान फोन कॉल पर निजी जानकारी न दें

घर का एड्रेस, बैंक अकाउंट की डिटेल, आधार कार्ड, पैन कार्ड की जानकारी ना दें

पर्सनल या परिवार के किसी भी सदस्य से जुड़ी बैंक या निजी डिटेल्स देने से बचें

संदेह होने पर तुरंत फोन काट दें और नंबर ब्लॉक कर दें

पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं

 

साइबर अपराधी महिलाओं को आसानी से हिप्टोनाइज कर लेते हैं उसके बाद अपने शिकार से बैंक से जुड़ी जानकारी और निजी फोटो-विडियो से ब्लैकमेल करते हैं। शिकार फंस जाने पर पैसे ऐंठ कर नंबर ब्लॉक कर देते हैं।


डिजिटल अरेस्ट के जरिए साइबर अपराधी अब वर्चुअल रेप तक करना शुरू कर दिए हैं। साइबर किडनैपिंग के जरिए महिलाओं और लड़कियों को विडियो कॉल पर उनकी निजी विडियो और फोटो के से ब्लैकमेल कर अपराधी वर्चुअल रेप जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैँ।

 

क्या है वर्चुअल रेप, कैसे बचें ?

 

साइबर क्रिमिनल पहले पीड़ित से ऑनलाइन कनेक्ट होते हैं

महिलाओं और लड़कियों को धमका कर अश्लील टास्क करने को बोलते हैं

वर्चुअल अपराधी महिलाओं को छिप कर विडियो कॉल करने के लिए कहते हैं

ट्रैप में फंसाने के बाद महिलाओं और लड़कियों से पैसे की मांग करते हैं

वर्चुअल रेप का वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं होता है

वर्चुअल दुनिया या मेटावर्स में ऐसे कैरेक्टर बनाए जाते हैं जो देखने में असली लगे

वर्चुअल रेप से बचाव के लिए अपने पासवर्ड को बार-बार बदलते रहें

फोन, लैपटॉप या किसी अन्य डिवाइस के सॉफ्टवेयर को अप-टू-डेट रखें

जागरूकता बढ़ाएं, फोन, लैपटॉप में एंटीवायरस रखें

किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक ना करें

 

असल में ये रेप तो नहीं माना जाता, लेकिन विदेशों में माना जाता है कि ऐसा करने से पीड़िता पर असर पड़ता है। मनोचिकित्सक भी मानते हैं कि कम उम्र की लड़कियां अगर मेटावर्स या वर्चुअल रेप की 

उत्तराखंड स्थापना दिवस विशेष, वर्ष 2000 में बना देश का 27वां राज्य, हिंदुओं का पलायन जारी है, 25 वर्षों का सियासी सफर, विकास में बाधा प्राकृतिक आपदा

 

नौ नवंबर की तारीख इतिहास में उत्तराखंड के स्थापना दिवस के तौर पर दर्ज हैं। पृथक उत्तराखंड की मांग को लेकर कई वर्षों तक चले आंदोलन के बाद आखिरकार 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड को सत्ताइसवें राज्य के रूप में भारत गणराज्य में शामिल किया गया। वर्ष 2000 से 2006 तक इसे उत्तरांचल के नाम से पुकारा जाता था, लेकिन जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसका आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखंड कर दिया गया। इस बार राज्य स्थापना दिवस कार्यक्रम रजतोत्सवके रूप में मनाया जाएगा जो छह नवंबर से शुरू होकर 12 नवंबर तक चलेगा। उत्तराखंड नौ नवंबर को 25वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है।

देवभूमि रजतोत्सव कार्यक्रम

देवभूमि रजतोत्सव कार्यक्रमों की रूपरेखा को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में तय किया गया

9 नवंबर को राज्य स्थापना दिवस सहित अनेक कार्यक्रम 12 नवंबर तक भव्य तरीके से आयोजित किए जाएंगे

रजतोत्सवकार्यक्रम में युवाओं, महिलाओं, किसानों, कारीगरों, पर्यावरणविदों और राज्य आंदोलनकारियों को शामिल किया जाएगा

रजतोत्सवमें उत्तराखंड की विकास गाथा से जुड़े लोगों की सक्रिय भागीदारी और सभी के विचारों को महत्व दिया जाएगा

उत्तर प्रदेश का हिस्सा रहे उत्तराखंड की सीमाएं उत्तर में तिब्बत और पूर्व में नेपाल से लगी हैं। पश्चिम में हिमाचल प्रदेश और दक्षिण में उत्तर प्रदेश इसकी सीमा से लगे राज्य है। हिन्दी और संस्कृत में उत्तराखंड का अर्थ उत्तरी क्षेत्र या भाग होता है। उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि कई प्राचीन धार्मिक स्थलों के साथ ही यह राज्य हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र मानी जाने वाली देश की सबसे बड़ी नदियों में से एक गंगा और यमुना का उद्गम स्थल है। वर्ष 2000 से 2006 तक इसे उत्तरांचल के नाम से पुकारा जाता था, लेकिन जनवरी 2007 में स्थानीय लोगों की भावनाओं का सम्मान करते हुए इसका आधिकारिक नाम बदलकर उत्तराखण्ड कर दिया गया। उत्तराखंड राज्य में बहुत समृद्ध प्राकृतिक संसाधन हैं जिनमें ग्लेशियर, नदियां, घने जंगल और बर्फ से ढकी पर्वत चोटियां शामिल हैं। इसमें चार सबसे पवित्र हिंदू मंदिर भी हैं जिन्हें उत्तराखंड के चार धाम के रूप में भी जाना जाता है- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमनोत्री। राज्य की राजधानी देहरादून है।


उत्तराखंड से लोगों का पलायन बड़ा मुद्दा


24
वर्षों में राज्य के सैकड़ों गांव खाली हो चुके हैं

अलग राज्य बनने के बाद लगभग 32 लाख लोग पलायन कर चुके हैं

सरकारी पलायन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार यह एक बड़ी चुनौती है

पलायन के बाद उत्तराखंड के 1702 गांव वीरान हो चुके हैं

1000 गांव ऐसे हैं जहां 100 से कम लोग बचे हैं

रिपोर्ट के अनुसार 50 प्रतिशत लोग रोजगार के कारण पलायन किए हैं

15 प्रतिशत शिक्षा, 8 प्रतिशत स्वास्थ्य सुविधा की वजह से पलायन किए हैं



उत्तराखंड को देखने और समझने के लिए देहरादून और ऋषिकेश से अलग हट कर देखना होगा। चिपको आंदोलन से लेकर भारत की महान सांस्कृतिक विरासत को अपने गोद में समेटे इस राज्य ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। नवगठित उत्तंराचल की अंतरिम सरकार के पहले वित्त मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 3 मई 2001 को जब राज्य का पहला बजट पेश किया था तो उसमें कुल व्यय 4,505.75 करोड़ और राजस्व प्राप्तियां 3,244.71 करोड़ प्रस्तावित थीं। राज्य गठन के समय उत्तरांचल को लगभग 1,750 करोड़ का घाटा विरासत में मिला था और अंतरिम सरकार ने 10 करोड़ के ओवर ड्राफ्ट के साथ अपना काम शुरू किया था। नए राज्य को विरासत में भारी-भरकम कर्ज भी मिला था। जबकि 15 मार्च 2023 को मौजूदा वित्त मंत्री प्रेमचन्द अग्रवाल ने 2023-24 का सालाना बजट पेश किया तो उसमें कुल व्यय 77,407.08 करोड़ और राजस्व प्राप्तियां 76,592.54 करोड़ प्रस्तावित थीं। उत्तरांचल के नाम से जन्म लेने वाले उत्तराखण्ड के बजट की इतनी बड़ी छलांग नए राज्य की प्रगति की ओर इशारा करता है। ऐसे में आज अगर प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता और केदारनाथ की जैसी आपदाएं  न आतीं तो यह राज्य इससे भी कहीं अधिक तरक्की कर चुका होता।

 

कर्ज में डूबा राज्य प्रगति के नए शिखर पर


 

उत्तराखण्ड के जन्म के समय राज्य को विरासत में भारी भरकम घाटा और कर्ज मिलने के साथ ही 11वें वित्त आयोग से भी पूरा न्याय नहीं मिला था

 

तत्कालीन वाजपेयी सरकार ने हिमालयी राज्यों के साथ ही उत्तरांचल को भी 1 मई 2001 को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया

 

राज्य को औद्योगिक पैकेज भी मिलाजिससे राज्य का तेजी से औद्योगिक विकास के साथ राज्य की जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय बढ़ती गई


वर्ष 2002 में सी रंगराजन की अध्यक्षता में 12वां वित्त आयोग गठित हुआ तो नुकसान की काफी हद तक भरपाई हुई

  

1 जनवरी 2007 को उत्तरांचल का टैग उतारकर उत्तराखण्ड के नाम से जाने जाना वाला ये राज्य विकास यात्रा में राजनीतिक अस्थिरता और केदारनाथ जैसी आपदाओं के कारण व्यवधान अवश्य रहे फिर भी विशेष श्रेणी का दर्जा, औद्योगिक पैकेज और नये राज्य के प्रति केन्द्र सरकार की सहायता के चलते इन 24 वर्षों में राज्य की जीडीपी और प्रति व्यक्ति आय ने भी आश्चर्यजनक छलांगें लगाईं है। राज्य की जीडीपी 3.33 लाख करोड़ और प्रति व्यक्ति आय 2,33,565 तक पहुंच गई है। जबकि 1999.2000 में राज्य की प्रति व्यक्ति आय मात्र 14,086 रुपये और जीडीपी लगभग 1.60 लाख करोड़ के आसपास थी।

 


बिजली, सड़क, पानी और अस्पताल का विकास

 

वर्ष 2002 में जब पहली निर्वाचित सरकार ने सत्ता संभाली तो उस समय बैंको का ऋण जमा अनुपात मात्र 19 था

 

मतलब यह कि बैंक जनता से 100 रुपये जमा करा रहे थे तो मात्र 19 रुपये यहां कर्ज दे रहे थे

 

बाकी धन का कहीं और व्यावसायिक उपयोग कर रहे थे। आज की तारीख में यह ऋण जमा अनुपाल 51 तक पहुंच गया है

 

अब 100 में 51 रुपये लोगों को काम धंधा चलाने के लिए दिए जा रहे हैं

 

पहाड़ों में ऋण जमा अनुपात अब भी चिंताजनक स्थिति में हैं

एलोपैथिक अस्पताल की संख्या तब से अब 553 से 716 हो गई है

 

आयुर्वेदिक अस्पतालों की संख्या 415 से 544 हो गई है

 

जन्म दर 19.6 से घट कर 16.6 और बाल मृत्यु दर 6.5 से घट कर 6.3 तक आ गई है

 

वर्ष 1999 में नेशनल हाइवे से लेकर जिला और ग्रामीण मार्गों की लंबाई  14,976 किमी थी

 

वर्ष 2022 के आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण मार्गों की लंबाई  40,457.29 किमी तक पहुंच गई है



वर्ष 2001-02 की सरकारी सांख्यिकी डायरी के अनुसार उस समय राज्य में 191 उद्योग स्थापित थे

 

जिनमें से 69 के बंद होने से कुल 122 ही उद्योग शेष रह गए थे

 

अब 2021-22 की सांख्यिकी डायरी के अनुसार राज्य में वृहद उद्योगों की संख्या 329 तक पहुंच गई है

 

बड़े उद्योगों के अलावा राज्य में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की संख्या 73,961 हो गई है

 

पहाड़वासी अपनी सांस्कृतिक पहचान के लिये अनुच्छेद 371 की मांग कर रहे थे लेकिन अब  उद्योग के नाम पर पहाड़ियों की जमीनों की खुली लूट मची हुई है। वर्ष 2003 में जो भू-कानून बना था उसका 2017 के बाद निरन्तर क्षरण हो रहा है जिसके कारण पहाड़ की जनसांख्यकी बदल रही है। राज्य में कृषि जोतों का आकार निरन्तर घटता जा रहा है। वर्ष 1995-96 में राज्य में 4 से 10 हेक्टेयर के बीच जोतों का प्रतिशत 3.1 था जो कि 2021-22 तक 1.64 प्रतिशत रह गया। इसी तरह 2 से 4 हेक्टेयर आकार की जोतें 8.7 प्रतिशत थीं जो घट कर 6.59 प्रतिशत रह गयीं है। राज्य में 2015-16 में कुल कृषि जोतें 9,12,650 थी। जिनमें 6,75,246 पहाड़ की और 2,37,404 मैदान की थी। इनमें से टिहरी, देहरादून, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, अल्मोड़ा नैनीताल, बागेश्वर, चम्पावत में 6.49 प्रतिशत जोतें घट गयीं। मैदानी क्षेत्रों में जोतों की संख्या में 5.25 की वृद्धि दर्ज की गयी है। राज्य में खेती का दायरा घटता जा रहा है। वर्ष् 1998-99में राज्य में कुल शुद्ध या वास्तविक बोये गये क्षेत्र को 7,84,113 हैक्टेयर था जो कि अब 2020-21 में केवल 6,20,629 हेक्टेअर रह गया है। इसका मतलब है कि इन 24 सालों में उत्तराखण्ड का 1,63,488 हैक्टेयर कृषि क्षेत्र घट गया है। इतने बड़े पैमाने पर खेतों का सिमट जाना कृषि के प्रति लोगों की अरुचि और बड़े पैमाने पर पलायन की ओर इशारा है। खेतों की उर्वरकता घटने और जंगली जानवरों द्वारा किये जाने वाले भारी नुकसान के कारण भी लोगों में खेती का मोह बहुत घट गया है।

 

 

स्कूल बढ़े मगर छात्र घटते गए

 

पहाड़ी राज्य में नई शिक्षा नीति का भी सरकारी स्कूलों की शिक्षा की गुणवत्ता पर असर नहीं पड़ रहा है

 

सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या लगातार घटती जा है

 

राज्य गठन के समय जूनियर बेसिक स्कूलों की संख्या 12,791 थी

 

2021-22 में स्कूलों की संख्या 13,422 हो गई मगर विद्यार्थियों की संख्या घटी

 

विद्यार्थियों की संख्या 11,20,218 से घटकर 4,91,783 रह हो गई है

 

विद्यार्थी घटे तो शिक्षक भी 28,340 से घटकर 26,655 रह गए

 

राज्य गठन के समय सीनियर बेसिक स्कूलों की संख्या 2,970 थी

 

अब सीनियर बेसिक स्कूलों की संख्या बढ़कर 5,288 हो गई है

 

मगर विद्यार्थियों की संख्या 5,47,009 से घट कर 5,04,296 रह गई है

 

केंद्र सरकार के नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गेनाइजेशन के अनुसार उत्तराखंड में साल 2021-22 में बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत रही है। हालांकि, 2022-23 में बेरोजगारी दर के आंकड़ों में गिरावट आई है। राज्य गठन के समय सेवायोजन कार्यालयों में पंजीकृत बेरोजगारों की संख्या 3,08,868 थी जो कि 2021-22 में 8,39,679 हो गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दिनों कहा था कि जब उत्तराखंड के लोग अपना रजत जयंती वर्ष मनाएं तो ये प्रदेश सबसे खुशहाल प्रदेश कहलाए। आज ही के दिन वर्ष 2000 में यूपी से पहाड़ी क्षेत्रों को अलग कर उसमें तराई के उधमसिंह नगर और हरिद्वार को शामिल करते हए उत्तरांचल राज्य की स्थापना केंद्र की अटल सरकार ने की थी। उस दौरान पहाड़ी राज्य की उम्मीदें और समस्याएं भी पहाड़ जैसी ही थी।

 

उत्तराखंड का सियासी सफर

 

राज्य में सबसे पहले बीजेपी की सरकार बनी और नित्यानंद स्वामी मुख्यमंत्री  बने

फिर भगत सिंह कोश्यारी ने बीजेपी सरकार की बागडोर संभाली, लेकिन पहला विधानसभा चुनाव बीजेपी हार गई

कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी मुख्यमंत्री बने

तिवारी सरकार के जाते ही बीजेपी के भुवन चंद्र खंडूरी ने सरकार बनाई

दो साल बाद खंडूरी की जगह रमेश पोखरियाल को मुख्यमंत्री बना दिया गया

ढाई साल बाद पुनः खंडूरी को सत्ता दी गई, लेकिन बीजेपी विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाई

कांग्रेस के विजय बहुगुणा और फिर हरीश रावत मुख्यमंत्री बने

अगला चुनाव आया तो बीजेपी ने कांग्रेस को हराकर सत्ता से बाहर कर दिया

बीजेपी 57 सीटों के साथ फिर से एक बार राज्य में सरकार बनाई

मोदी की करिश्माई छवि पर विश्वास कर राज्य के लोगों ने बीजेपी को वोट दिया

फिर त्रिवेन्द्र सिंह रावत राज्य के मुख्यमंत्री बने

2021 के चुनाव में बीजेपी ने त्रिवेंद्र की जगह तीरथ रावत को सीएम बनाया

फिर तीरथ की जगह पुष्कर धामी को सीएम बनाया गया जो अबतक मुख्यमंत्री हैं

 

उत्तराखंड में राजनीतिक अस्थिरता ही सबसे बड़ी समस्या रही है। हमेशा से ही केंद्र सरकार के भरोसे ही राज्य सरकार चलती रही है। वर्तमान में केंद्र की मोदी सरकार की उत्तराखंड में एक लाख करोड़ की योजनाओं ने राज्य की प्रगति में एक बड़ी उपलब्धि है। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने विजन से यहां की चार धाम यात्रा को गढ़वाल का आर्थिक चक्र मानते हुए आल वेदर रोड, कर्णप्रयाग रेल प्रोजेक्ट और बदरीकेदार को स्मार्टसिटी की तर्ज पर विकसित करने का काम शुरू करवाया है। उत्तराखंड देवभूमि और पर्यटन राज्य है। पीएम मोदी इसी को आधार मानकर योजनाओं को सिरे चढ़ा रहे है। कुमायूं क्षेत्र में लीपुपास तक सड़क बन रही है, हवाई सेवाओं का विस्तार पर्यटन को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। हर जिले में मेडिकल कॉलेज बन रहे हैं और भी कई योजनाएं केंद्र के साथ मिलकर चल रही हैं।

 

विकास में बाधा प्राकृतिक आपदा


उत्तराखंड में 2011 से लेकर अब तक करीब हर साल आपदा आ रही है

 

जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं ने राज्य को नुकसान पहुंचाया है

 

केदारनाथ आपदा में हजारों लोग मारे गए थे

 

उत्तराखंड में हर साल सड़क दुर्घटनाओं में औसतन एक हजार लोग मर जाते हैं

 

उत्तराखंड से फौज में जाने वालों के लिए यहां का युवा सबसे आगे खड़ा मिलता है

 

यहां घर-घर में देश रक्षा में वीरता की कहानी सुनाई जाती है



उत्तराखंड में सबसे ज्यादा चुनौती, बेरोजगारी और यहां से हो रहे युवाओं के पलायन को लेकर है। पहाड़ों में रोजगार न होने, अच्छे स्कूल और स्वास्थ्य सेवाएं नहीं होने के कारण लोगों ने मैदानी क्षेत्रों की तरफ रुख कर लिया है। यही वजह है कि पीएम मोदी को यह विश्वास दिलाना पड़ रहा है कि पहाड़ की जवानी और पानी दोनों इसी राज्य के काम आएगा। पीएम मोदी ने राज्य की धामी सरकार को भी इसी विजन पर काम करने को कहा है। पहाड़ों में चकबंदी लागू करने की मांग कई सालों से लंबित है। जमीन के दस्तावेजों को व्यवस्थित करने की जरूरत है। नौजवान पीढ़ी चाहती है कि पहाड़ के लिए नया भू अध्यादेश बनाया जाए क्योंकि उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी तेजी से बढ़ती जा रही है। असम के बाद सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी उत्तराखंड में बढ़ने से देवभूमी में जनसंख्या अंसतुलन पैदा हो गया है। 


उत्तराखंड का हर गांव और हर घर बिजली से रोशन है। ऊर्जा निगम के दावों के मुताबिक, हर घर बिजली कनेक्शन लग चुका है। बिजली कनेक्शनों की संख्या 27 लाख के पार पहुंच गई है। सौभाग्य योजना से घरों को बिजली से जोड़ा गया है। दीनदयाल उपाध्याय योजना के तहत पावर सप्लाई सिस्टम मजबूत हुआ है। जल जीवन मिशन प्रोजेक्ट के तहत तेजी से काम हो रहा है। राज्य के कुल 15 लाख घरों तक नल से जल पहुंचाया जाना है। बीते दो साल में करीब दस लाख घरों में पानी पहुंचाया जा चुका है। राज्य लगातार तरक्की के पथ पर अग्रसर है।