देश के दिग्गज उद्योगपति गौतम अडानी एक बार फिर से चर्चा में हैं। अडानी के
उपर आरोप है कि भारत में सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट्स के ठेके हासिल करने के लिए
भारतीय अधिकारियों को लगभग ₹2,250 करोड़ की रिश्वत ऑफर की। उसके बाद अडानी समूह ने इन प्रोजेक्ट्स के लिए अमेरिकी निवेशकों से फंड
जुटाया। आरोप यह भी है कि अडानी समूह ने निवेशकों को रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार की
जानकारी नहीं दी। इन प्रोजेक्ट्स से समूह को 20 वर्षों में लगभग $2
बिलियन का मुनाफा होने
का अनुमान था। इसे लेकर विपक्ष हमलावर है। संसद सत्र शुरू होने के ठीक पहले विपक्ष
को एक नया मुद्दा मिल गया है। हर बार संसद सत्र से पहले अडानी को लेकर राहुल गांधी
कोई न कोई आरोप लगाते हैं। इस बार राहुल को बना बनाया मुद्दा मिल गया है। अडानी पर
अमेरिका में धोखाधड़ी-रिश्वत देने का आरोप सामने आने के बाद कांग्रेस ने केंद्र की
बीजेपी सरकार पर तीखा वार किया है। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी का कहना है
कि
अडानी की तुरंत
गिरफ्तारी होनी चाहिए लेकिन उन्हें ना गिरफ्तार किया जाएगा, ना उनकी जांच होगी। एक सीएम 10-15 करोड़ के आरोप में जेल चला जाता है लेकिन
अडानी जी 2
हजार करोड़ रुपये का
स्कैम करते हैं और कुछ नहीं होता है। सरकार अडानी के साथ खड़ी है। राहुल गांधी इस मुद्दे
को संसद में उठाएंगे।
वहीं,
बीजेपी नेता अमित
मालवीय ने कहा कि,
किसी पर प्रतिक्रिया
व्यक्त करने से पहले पढ़ना हमेशा अच्छा होता है। जब तक दोषी ना माना जाए, तब तक वे निर्दोष हैं। संबित पात्रा ने भी राहुल गांधी गांधी के
बयान पर सवाल खड़ा किया है। संबित पात्रा
ने कहा कि भारत के बाजार पर आघात करना चाहते हैं राहुल गांधी। गांधी परिवार और
कांग्रेस पार्टी ये सहन नहीं कर पा रहा है कि भारत लगातार दुनिया की तीसरी सबसे
बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है।
सवाल उठ रहा है कि अडानी समूह का प्रोजेक्ट इंडिया में है, लेकिन अमेरिका में भारतीय अफसरों को लेकर कैसे
जांच शुरू हो गई है?
दरअसल, पूरा मामला अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी ग्रीन
एनर्जी लिमिटेड और एक दूसरे फर्म से जुड़ा हुआ है। 24 अक्टूबर 2024 को ये मामला US
कोर्ट में दर्ज किया
गया। बुधवार को इसकी न्यूयॉर्क कोर्ट में सुनवाई हुई. अमेरिका के अटॉर्नी ऑफिस का
कहना है कि अडानी ग्रुप ने भारत में सोलर एनर्जी से जुड़ा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने
के लिए भारतीय अधिकारियों को करीब 2200 करोड़ रुपए की रिश्वत पेशकश की है। अडानी पर आरोप है कि रिश्वत के इन पैसों को जुटाने के लिए उन्होंने
अमेरिकी,
विदेशी निवेशकों और
बैंकों से झूठ बोला। अमेरिका में मामला इसलिए दर्ज हुआ, क्योंकि प्रोजेक्ट में अमेरिका के इन्वेस्टर्स
का पैसा लगा था। अमेरिकी कानून के तहत उस पैसे को रिश्वत के रूप में देना अपराध है।
इसे लेकर आम आदमी ने भी सवाल खड़ा किया है।
इस संबंध में अमेरिकी अभियोजकों ने अडानी ग्रुप के अध्यक्ष गौतम अडानी, उनके भतीजे सागर अडानी, विनीत जैन और कंपनी के अन्य 6 अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है। अभियोजकों का कहना है कि राज्यों में बिजली वितरण कंपनियों के साथ सौर ऊर्जा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने के लिए अडानी ग्रुप ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को कथित तौर पर 2200 करोड़ रुपये की रिश्वत देने की डील की थी। ये रिश्वत कथित तौर पर 2020 और 2024 के बीच दी गई है। यह फैक्ट अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से छिपाया गया और सौर ऊर्जा परियोजना के लिए अरबों डॉलर का फंड जुटा लिया गया। अडानी ग्रुप को ऊर्जा कॉन्ट्रैक्ट हासिल करके 2 बिलियन डॉलर का मुनाफा कमाने की उम्मीद थी। इस मुद्दे को पूरा विपक्ष भूनाने की भरपूर प्रयास कर रहा है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी के बाद लेफ्ट के नेता भी इसमे कूद पड़े हैं।
सीपीआई (एम)
नेता बृंदा करात, गौतम अडानी के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की मांग कर रही हैं। अडानी की
गिरफ्तारी और भ्रष्टाचार के आरोपों पर मुकदमा चलाने के साथ-साथ उनके खिलाफ सभी
आरोपों की स्वतंत्र जांच की मांग कर रही हैं। हिंडनबर्ग खुलासे के बावजूद अदानी का
बचाव करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारत सरकार की
आलोचना करते हुए कहा कि अमेरिकी न्याय विभाग को हस्तक्षेप करना पड़ा, क्योंकि भारत सरकार को
अपने हितों की रक्षा करनी चाहिए। यह हमारे लिए शर्म की बात है। पीएम मोदी के
नेतृत्व वाली भारत सरकार उन्हें और उनकी कंपनियों को बचा रही है और उसे भारत और
भारत के संसाधनों को लूटने की अनुमति, लाइसेंस और संरक्षण दे रहा है।
रिश्वतखोरी के आरोप भारतीय अधिकारियों से जुड़े हैं, लेकिन, अमेरिकी कानून कहता है कि यदि कोई भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला अमेरिकी
निवेशकों या बाजार के हितों से संबंधित है तो ऐसे मामलों को कोर्ट में आगे बढ़ाया
जा सकता है। यहां गौर करने वाली बात यह भी है कि जिस अवधि में कथित तौर पर रिश्वत
दिए जाने का आरोप लगाया जा रहा है, ठीक उसी समय 2023
में अमेरिका स्थित
शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप को लेकर एक विवादित रिपोर्ट भी जारी
की थी। इस रिपोर्ट में अडानी समूह पर स्टॉक हेरफेर और अकाउंटिंग धोखाधड़ी का आरोप
लगाया गया था। इससे अडानी ग्रुप के बाजार मूल्य में 150 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ था।
रिश्वत आंध्र प्रदेश के अफसरों को मिला ?
भारतीय ऊर्जा कंपनी और
अमेरिकी इश्यूअर ने सरकारी स्वामित्व वाली सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को 12 गीगावाट सौर ऊर्जा उपलब्ध
कराने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल किया था।
SECI
को
सौर ऊर्जा खरीदने के लिए भारत में खरीदार नहीं मिल पाए। ऐसे में खरीदारों के बिना
सौदा आगे नहीं बढ़ सकता था और दोनों कंपनियों के सामने बड़े नुकसान का जोखिम था।
इस बीच, अडानी ग्रुप और एज्योर पावर
ने भारतीय सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देने की योजना बनाई। ऐसा आरोप अडानी समूह
पर लग रहा है।
तय किया गया कि सरकारी अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वो राज्य बिजली
वितरण कंपनियों को SECI
के साथ बिजली आपूर्ति
समझौते में शामिल होने के लिए तैयार करेंगे।
भारतीय अफसरों को करीब 265 मिलियन डॉलर की रिश्वत देने का वादा किया, जिसका एक बड़ा हिस्सा आंध्र प्रदेश के
अधिकारियों को दिया गया।
इसके बाद कुछ राज्य बिजली कंपनियां सहमत हुईं और दोनों कंपनियों से सौर
ऊर्जा खरीदने के लिए SECI
के साथ समझौता किया।
आरोप है कि भारतीय ऊर्जा कंपनी और अमेरिकी इश्यूअर ने मिलकर रिश्वत का
भुगतान किया।
अपनी संलिप्तता छिपाने के लिए कोड नामों का इस्तेमाल किया गया। पूरा
कम्युनिकेशन एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग के जरिए किया गया। इन दोनों कंपनियों ने कथित
तौर पर अमेरिकी बैंकों और निवेशकों से 175 मिलियन डॉलर से अधिक जुटाए थे।
हालांकि,
यूएस इश्यूअर में
नेतृत्व परिवर्तन हुए,
जिसके कारण काफी बदलाव
हुए। रंजीत गुप्ता ने 2019-2022
तक एज्योर पावर के सीईओ
के रूप में काम किया। 2022-2023
तक रूपेश अग्रवाल ने
कार्यभार संभाला. परियोजना में शामिल कुछ अधिकारियों को इस्तीफा देने के लिए कहा
गया।
रिश्वत देने का प्लान बनाने के लिए हुईं
बैठकें
?
आरोप के अनुसार बैठकें आयोजित की गईं कि रिश्वत का भुगतान कैसे किया जाए, ताकि किसी को पता ना चल सके।
विकल्पों में परियोजना के कुछ हिस्सों को ट्रांसफर करने पर भी चर्चा हुई। गौतम
अडानी ने भी इस संबंध में कथित तौर पर सरकारी अधिकारियों से व्यक्तिगत मुलाकात की।
अमेरिकी अथॉरिटीज इस मामले की जांच कर रही हैं कि क्या अडानी ग्रुप ने अपने
फायदे के लिए रिश्वत देने की कोशिश की और एनर्जी कॉन्ट्रेक्ट हासिल करने के लिए
क्या उन्होंने भारत सरकार के अधिकारियों को गलत पेमेंट्स किए हैं?
इस मामले में अमेरिका की कोर्ट में सुनवाई के बाद गौतम अडानी और उनके भतीजे
के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुए हैं।
अडानी ग्रुप ने सफाई में क्या कहा ?
अडानी ग्रुप ने सफाई में आरोप को निराधार बताया हैं।
जब तक दोष साबित नहीं हो जाता, तब तक प्रतिवादी निर्दोष माना जाता है।
सभी संभव कानूनी उपाय किए जाएंगे
अडानी ग्रुप ने हमेशा सभी सेक्टर्स में पारदर्शिता और रेग्युलेटरी नियमों
का अनुपालन किया है
हम अपने शेयरहोल्डर्स, पार्टनर और समूह की कंपनियों में काम करने वाले कर्मचारियों को आश्वस्त
करते हैं कि हम एक कानून का पालन करने वाले संगठन हैं, जो सभी कानूनों का पूरी तरह से अनुपालन करता
है।
अडानी ग्रुप ने अपने बयान में कहा, अमेरिकी न्याय विभाग और SEC ने हमारे बोर्ड के सदस्यों गौतम अडानी और सागर अडानी के खिलाफ न्यूयॉर्क के
पूर्वी जिले के अमेरिकी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने एक अभियोग जारी किया है। US स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस ने हमारे बोर्ड
के सदस्य विनीत जैन को भी इसमें शामिल किया है। इन घटनाक्रमों के मद्देनजर हमारी
सहायक कंपनियों ने फिलहाल प्रस्तावित USD नामित बॉन्ड पेशकशों के साथ आगे नहीं बढ़ने का फैसला किया है। अमेरिका से
लगे आरोपों के बाद अडानी ग्रुप की कंपनियों ने 600 मिलियन डॉलर के बॉन्ड को रद्द कर दिया है।
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