अमेरिका के आम चुनाव की
उल्टी गिनती शुरू हो गई है। राष्ट्रपति पद की जंग में एक तरफ डेमोक्रेटिक पार्टी
की उम्मीदवार उपराष्ट्रपति कमला हैरिस हैं तो दूसरी रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार
और पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हैं। डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस में मुकाबला
काफी कड़ा है। हर चार साल में होने वाले इस चुनाव की प्रक्रिया काफी जटिल है। यहां
तक की उम्मीदवार बनने के लिए भी चुनाव होता है। अमेरिका चुनाव की प्रक्रिया एक साल पहले ही शुरू हो जाती है। इसमें दो मुख्य दल हैं, एक डेमोक्रेटिक और एक रिपब्लिकन। अमेरिकी
राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया को कई प्रमुख चरणों में बांटा गया है, जिसमें प्राइमरी और कॉकस, राष्ट्रीय
सम्मेलन, आम चुनाव अभियान और इलेक्टोरल कॉलेज वोट शामिल है। चुनाव में कई चरण शामिल होते हैं, आइए देखते हैं अमेरिकी चुनाव की पूरी प्रक्रिया...।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया
सबसे पहले सभी 50 राज्यों, कोलंबिया और अमेरिकी क्षेत्रों में राष्ट्रपति उम्मीदवार चुनने का चुनाव होता है
इसमें पार्टी के सदस्य ही वोटिंग के बाद अपना सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार चुनते हैं
इसके बाद कॉकस उम्मीदवार को चुना जाता है, जो दोनों डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी में
होता है
प्राइमरी चुनावों के दौरान पंजीकृत मतदाता
अपने पसंदीदा उम्मीदवार के लिए मतदान करते हैं
आयोवा, न्यू हैम्पशायर,
नेवादा और साउथ
कैरोलिना के नतीजों पर सबसे ज्यादा फोकस होता है
फोकस क्षेत्र यह निर्धारित करते हैं कि
प्रत्येक पार्टी के लिए अंतिम राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार कौन होगा
प्राइमरी और कॉकस के बाद
डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टियां अपने नेशनल कन्वेंशन आयोजित करती हैं
भाषण, रैलियां और राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति
पद के लिए प्रत्येक पार्टी के उम्मीदवार का आधिकारिक घोषणा होती है
कुछ महीनों पहले ही जो बाइडेन
और डोनाल्ड ट्रंप को उम्मीदवार बनने के लिए पूर्ण समर्थन मिला था
घोषणा से कुछ समय पहले
सर्वों में पिछड़ता देख बाइडन की जगह डेमोक्रेटिक पार्टी ने कमला हैरिस को उम्मीदवार
बनाया
नेशनल कन्वेंशन में ही
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अपना उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुनता है
हर बार नवंबर के पहले सोमवार
के बाद पहले मंगलवार को ही अमेरिका में चुनाव होते हैं
इस दिन देश भर के मतदाता
राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों के लिए अपने वोट डालते हैं
दूसरे लोकतांत्रिक देशों के
विपरीत अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव सीधे लोकप्रिय वोट से नहीं होता है
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में
इलेक्टोरल कॉलेज एक निर्णायक भूमिका निभाता है
जब लोग अपना वोट डालते हैं, तो वास्तव में वो एक ऐसी टीम
को वोट करते हैं जिन्हें इलेक्टर (निर्वाचक) कहा जाता है
राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव
लड़ने वाले प्रत्येक उम्मीदवार के पास इलेक्टर का अपना ग्रुप होता है जिसे (स्लेट)
के रूप में जाना जाता है
इसमें प्रत्येक राज्य को
कांग्रेस में उसके प्रतिनिधित्व के आधार पर एक निश्चित संख्या में निर्वाचक आवंटित
होते हैं
इसमें सीनेटरों की संख्या
हमेशा दो और आबादी के अनुसार प्रतिनिधियों की संख्या शामिल होती है
कुल 538 निर्वाचक होते हैं और चुनाव
के बाद यही निर्वाचक राष्ट्रपति को चुनते हैं।
जिस उम्मीदवार को 270 इलेक्टोरल
वोट मिलता है, वो जीता माना जाता है
चुनाव के बाद दिसंबर में इलेक्टर अपने-अपने राज्यों में अपने इलेक्टोरल वोट डालने के लिए मिलते हैं
फिर ये वोट कांग्रेस को भेजे
जाते हैं, जहां जनवरी की शुरुआत में इनकी गिनती की जाती है
जिस उम्मीदवार को इलेक्टोरल
वोटों का बहुमत मिलता है, उसे आधिकारिक तौर पर 20 जनवरी को अमेरिका का अगला
राष्ट्रपति घोषित किया जाता है
राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले मतदान से पहले दोनों दलों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। न्यूयार्क टाइम्स/सिएना कालेज के सर्वे के अनुसार, हैरिस को नेवादा, उत्तरी कैरोलिना और विस्कान्सिन में मामूली बढ़त है, जबकि ट्रंप एरिजोना में आगे हैं। मिशिगन, जार्जिया और पेंसिल्वेनिया में करीबी मुकाबला है। वहीं, डेस मोइनेस रजिस्टर/ मीडियाकाम के सर्वे में हैरिस ने आयोवा में ट्रंप को पीछे छोड़ दिया है। यहां ट्रंप ने 2016 और 2020 में आसानी से जीत हासिल की थी। आयोवा में ट्रंप के 44 प्रतिशत के मुकाबले हैरिस को 47 प्रतिशत समर्थन मिला है। सितंबर के आयोवा में हुए सर्वे से बदलाव नजर आ रहा है, जिसमें ट्रंप को चार अंकों की बढ़त मिली थी।
अमेरिका में अर्ली वोटिंग की सुविधा के तहत करोड़ों लोग मतदान कर चुके हैं
न्यूयार्क में शुरुआती वोटिंग में करीब 140,000 वोट पड़े
इलेक्शन लैब ट्रैकर के आंकड़ों के अनुसार, 7.6 करोड़ से अधिक अमेरिकी पहले ही मतदान कर चुके हैं
अमेरिका में करीब 18.65 करोड़ मतदाता है
मतदाता मेल-इन मतपत्रों के माध्यम से या व्यक्तिगत मतदान स्थलों पर पहुंचकर अर्ली वोटिंग का लाभ उठा रहे हैं
अर्ली वोटिंग मतदाताओं को खराब मौसम, लंबी कतारें या चुनाव के दिन टाइम मैनेजमेंट से बचाने में सहयोग करता है
No comments:
Post a Comment