मैं हरियाणा हूं। आज 58 वर्ष का हो गया। 58वां
स्थापना दिवस मना रहा हूं। 1 नवंबर
1966 को
पंजाब से अलग राज्य के तौर पर अस्तित्व में आया। देश का 17वां राज्य बना। कभी मेरी पहचान रेतीले और कीकर
के जंगलों तक सीमित थी। बुनियादी सुविधाएं न के बराबर। 58 वर्ष
के सफर में अनेक उतार-चढ़ाव देखे, पर
कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1960 के दशक में पंजाब के पुनर्गठन की मांग तेज हुई। 1966
में मैं अस्तित्व
में आया। राजधानी अब भी चंडीगढ़ ही है। आजादी के बाद वर्ष 1950 में चंडीगढ़ को राजधानी घोषित किया
गया था। राज्य पुनर्गठन अधिनियम के तहत पंजाब से अलग होकर हरियाणा तो बन गया लेकिन
राजधानी अलग नहीं हुई। चंडीगढ़ आज भी हरियाणा और पंजाब की संयुक्त राजधानी है। राज्य का कुल क्षेत्रफल 44,212
वर्ग किलोमीटर है और आबादी 3.09
करोड़
है।
निरंतर प्रगति के पथ पर अग्रसर
हरियाणा
पंजाब की तुलना में मेरी
आर्थिक स्थिति काफी सुदृढ़ है
मैंने अनेक क्षेत्रों में
विकास की नई इबारत लिखी है
प्रति व्यक्ति आय 2.41 लाख रुपये तक पहुंच चुकी है
राज्य की एसजीडीपी 8.5 फीसदी है
देश का हर दसवां सैनिक मेरे
यहां से है
औद्योगिक हब के रूप में विकसित
हुआ
सड़कों का जाल बिछा
गुरुग्राम, फरीदाबाद, पानीपत, बहादुरगढ़, अंबाला, करनाल, यमुनानगर अपने उत्पादों को
लेकर विश्व मानचित्र पर हैं
मेरे आंचल में अब ऊंचे-ऊंचे भवन, बड़े शिक्षण संस्थान, स्वास्थ्य सेवाएं, चौड़े-चौड़े हाईवे, औद्योगिक नगरी, आईटी हब हैं। मेरी पहचान खेलों के सिरमौर के तौर पर पूरे विश्व में है।
युवा हर क्षेत्र में देश-विदेश में झंडे गाड़ रहे हैं। सेना, खेल, व्यापार, शिक्षा, राजनीति, अंतरिक्ष, कृषि शोध के अलावा अनेक क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित किए हैं। मेरा रहन-सहन, खान-पान और
बोली मुझे सभी राज्यों से अलग बनाती है। पंचकूला अघोषित राजधानी के तौर पर विकसित
हुआ है। हालांकि, मुझे अपनी राजधानी,
हाईकोर्ट और
विधानसभा नसीब नहीं हुई। एसवाईएल के पानी का इंतजार है। इनके लिए प्रयास तो खूब
हुए पर बात बन नहीं पाई। अलग विधानसभा बनाने का मामला विचाराधीन है। ‘देसां में देस
हरियाणा,
जित दूध-दही का
खाणा’
यहां की
प्रचलित कहावत है। हालांकि, दूध-दही व अन्य सेहतमंद खानपान के
बावजूद कुछ समय से नशाखोरी कलंकित कर रही है। पंजाब से लगते जिलों में नशे का
प्रकोप ज्यादा है। वक्त के साथ-साथ सियासी करवटें भी बदलती रहीं। छोटा सा प्रदेश
अपने राजनीतिक घटनाक्रमों के लिए कई बार सुर्खियों में भी रहा।
दल-बदल की राजनीति के लिए पहचान
मिसाल के तौर
पर आया-राम, गया-राम के रूप में दलबदल की राजनीति के लिए हरियाणा
पूरे देश में पहचाना गया
1967 में ‘गया लाल’ पलवल की हसनपुर
विधानसभा से विधायक चुने गए
‘गया लाल’ एक ही दिन में तीन बार पार्टी बदली
पहले ‘गया लाल’ कांग्रेस का हाथ छोड़कर जनता पार्टी का दामन
थामा
फिर थोड़ी देर में कांग्रेस में वापस आ गए
करीब 9 घंटे बाद उनका हृदय परिवर्तन हुआ
एक बार फिर जनता पार्टी में चले गए
उसके बाद वापस कांग्रेस में आए
तब कांग्रेस नेता राव बीरेंद्र सिंह ‘गया लाल’ को लेकर चंडीगढ़
पहुंचे
मीडिया से रू-ब-रू होते हुए कहा था कि ‘गया राम अब आया राम हैं’
इसके बाद दलबदलुओं के लिए ‘आया राम, गया राम’ इस्तेमाल होने लगा
हरियाणा
में कुल 22 ज़िले
हैं। हरियाणा के सबसे बड़ा जिला सिरसा है, जबकि सबसे
छोटा जिला फ़रीदाबाद है। फ़रीदाबाद
जिले में सबसे ज्यादा आबादी है।
कौन सा जिला कब बना?
रोहतक, गुरुग्राम,
महेंद्रगढ़,
हिसार,
जींद,
अंबाला और
करनाल: 1
नवंबर,
1966
सोनीपत, भिवानी: 22 दिसंबर, 1972
कुरुक्षेत्र:
23 जनवरी, 1973
सिरसा:
26 अगस्त, 1975
यमुनानगर, रेवाड़ी, पानीपत, कैथल: 1 नवंबर,
1989
पंचकूला:
15 अगस्त, 1995
फरीदाबाद:
15 अगस्त, 1997
झज्जर, फतेहाबाद: 5 जुलाई, 1997
नूंह:
4 अप्रैल, 2005
पलवल:
15 अगस्त, 2008
चरखी दादरी: 1 दिसंबर, 2016
पंजाब व हरियाणा का हाईकोर्ट अब तक संयुक्त है। छोटे राज्य होने के
बावजूद सिक्किम, त्रिपुरा, उत्तराखंड,
झारखंड,
मणिपुर,
मेघालय,
छत्तीसगढ़,
हिमाचल प्रदेश
आदि के अपने अलग हाईकोर्ट हैं। कई बार मांग उठी, प्रदेश सरकार
ने केंद्र को प्रस्ताव भी भेजे लेकिन बात बनी नहीं। दक्षिण हरियाणा में हाईकोर्ट
की एक खंडपीठ का प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में है। सतलुज यमुना लिंक नहर विवाद अब भी
बरकरार है। पंजाब अपने पड़ोसी हरियाणा को नहर का पानी देने के लिए नहीं मान रहा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नहर निर्माण के लिए पंजाब ने इंकार कर दिया।
केंद्र सरकार मध्यस्थता कर रही लेकिन पंजाब टस से मस नहीं हो रहा। पंजाब से हिस्से
का पानी न मिलने के कारण हरियाणा का दक्षिणी हिस्सा गंभीर जल संकट झेल रहा है।
पंजाब ने तो अपने हिस्से में बनी नहर मिट्टी से भर दी है।
हरियाणा को अलग राज्य बनाने की मांग सबसे पहले 1923
में स्वामी
सत्यानंद ने लाहौर (पाकिस्तान) में उठाई थी
इसके बाद दीनबंधु छोटूराम की अध्यक्षता में मेरठ में ऑल इंडिया
स्टूडेंट कॉन्फ्रेंस में हरियाणा को अलग राज्य बनाने की मांग रखी गई
देशबंधु गुप्ता, पंडित नेकीराम शर्मा और पंडित श्रीराम
शर्मा ने भी राज्य के गठन के लिए प्रयास किए
1952 में पहले आम चुनाव हुए,
जिनमें हरियाणा
क्षेत्र से चौ. देवीलाल सहित कांग्रेस के 38 विधायक चुने गए
अलग राज्य के
लिए चौ. देवीलाल व चौ. चरण सिंह ने उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा क्षेत्र से 125 विधायकों का हस्ताक्षरयुक्त ज्ञापन
दिया था
ज्ञापन तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री जीबी पंत को दिल्ली में दिया गया
था
1953 में चौ. देवीलाल ने भारत सरकार द्वारा बनाए गए
राज्य पुनर्गठन आयोग के सामने अलग हरियाणा राज्य बनाने की मांग रखी
1955 में
अकाली नेताओं ने धर्म के आधार पर पंजाब को बांटने की मांग की
केंद्र सरकार ने संसदीय समिति की सिफारिशों को सैद्धांतिक आधार पर
स्वीकार कर लिया
23 अप्रैल 1966 को अलग राज्य
के गठन के लिए पंजाब सीमा आयोग का गठन किया गया
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 12 जून,
1966 को
रेडियो पर हरियाणा को अलग राज्य बनाने की घोषणा की
7 सितंबर 1966 को संसद में
विधेयक पारित हुआ, 18 सितंबर को
राष्ट्रपति ने राज्य गठन को मंजूरी दी
1 नवंबर 1966 को हरियाणा
अस्तित्व में आया
एक नवंबर 1966
को पंजाब से अलग होकर
अस्तित्व में आया तो मेरी पहचान एक बिमारू राज्य की तरह थी। आज जब मैं हरियाणा 58
साल का हो गया हूं, यह प्रदेश आधारभूत ढांचे से लेकर खेल, शिक्षा, संस्कृति सहित विकासात्मक गतिविधियों में दूसरे राज्यों के लिए नजीर बन रहा
है। 58वां स्थापना दिवस मना रहे इस प्रदेश ने लंबे
सफर में अनेक उतार-चढ़ाव देखे, पर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। विकसित राज्यों में आज पहले पायदान पर है।
गठन से लेकर अब तक यूं आया बदलाव
वर्ष 1966-67
वर्ष 2023-24
प्रति व्यक्ति आय- 608
रुपये
2,96,685 रुपये
निर्यात- 4.50
करोड़ रुपये
2,45,453 करोड़ रुपये
खाद्यान्न उत्पादन- 25.92
लाख टन
185.05
लाख टन
दुग्ध उत्पादन- 10.89
लाख टन
116.19 लाख टन
प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दूध उपलब्धता- 357
ग्राम
1081 ग्राम
चीनी मिल्स- 2
14
महाविद्यालय- 45
182
विश्वविद्यालय- 1
56
राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान- 60
192
मेडिकल कालेज- 1
15
स्वास्थ्य संस्थान- 797
4266
प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर खर्च (रुपये)- 1.90
2109
बिजली उपभोक्ता (लाख)- 3.12
76.65
पक्की सड़कों की लंबाई (किलोमीटर)- 5100 28,077
केंद्र सरकार ने डबल इंजन की
सरकार का पहला फायदा 1947 करोड़ रुपये के तौर पर दिया है। केंद्र सरकार ने हरियाणा के
विकास के लिए 1947 करोड़ रुपये की राशि हस्तांतरित की है। हरियाणा लगातार प्रगति
के पथ पर है।
हरियाणा में हुए कई बदलाव
11 लाख जन शिकायतों का पारदर्शिता से समाधान किया गया
डायल 112 से आपातकालीन कॉल पर औसतन आठ मिनट में सहायता
दैनिक मजदूरी 357
रुपये है जो देश में
सर्वाधिक है
देश में सर्वाधिक 62
हजार 578 सोलर पंप हरियाणा में स्थापित
70 हजार नए पंप लगाने की प्रक्रिया जारी है
मेडिकल कॉलेजों की संख्या 15 हुई
एमबीबीएस की सीटें 2185 हो गई है
54 विभागों की 675
योजनाएं आनलाइन है
हर जिले में महिला पुलिस थाना तथा साइबर अपराध थाना स्थापित
खर्ची न पर्ची,
बल्कि योग्यता के आधार
पर मिल रही नौकरियां
75 प्रतिशत नौकरियां हरियाणा के युवाओं के लिए आरक्षित की गई हैं
महिलाओं को पंचायतों और शहरी निकायों में 50 प्रतिशत आरक्षण
गरीबों को अच्छे स्वास्थ्य की गारंटी
32 लाख से अधिक गरीब परिवारों को मुफ्त टेस्ट
पानी बचाने के लिए धान की जगह वैकल्पिक फसलों को प्रोत्साहन
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 14 फसलों की खरीद करने वाला पहला राज्य
देश में सबसे ज्यादा मेडल लाने वाला राज्य भी हरियाणा है। पेरिस ओलंपिक 2024 में हरियाणा छाया रहा। हरियाणा के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन
करते हुए देश के लिए मेडल जीते। देश के 6 मेडल में से
4 हरियाणा के
खिलाड़ियों के नाम है, वहीं जिस हॉकी टीम ने मेडल जीता, उसमें भी
हरियाणवी खिलाड़ियों ने अहम भूमिका निभाई है। आखिर क्यों हरियाणा के खिलाड़ी खेलों
के मैदान में बाजी मार रहे हैं?. वो कौन सी बातें हैं जिसके चलते देश में हरियाणा खेलों का
सिरमौर बना हुआ है?
हरियाणा सरकार की खेल नीति का असर
खेल के मैदान में हरियाणा के खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन के
पीछे राज्य की लंबे वक्त से चल रही खेल नीति है
खेल नीति खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है
अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जीतने वाले खिलाड़ियों को बड़ी
रकम इनामी राशि के तौर पर दी जाती है
नौकरी के साथ साथ खेलों की तैयारी के दौरान भी वित्तीय मदद दी
जाती है
राज्य स्तर और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने के लिए भी
सरकार बड़ी भूमिका निभाती है
हरियाणा देश का एक ऐसा राज्य है जो पदक जीतने वाले खिलाड़ियों
को पुरस्कार के तौर पर सबसे ज्यादा राशि देता है। हरियाणा ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर
की प्रत्येक प्रतियोगिता के मुताबिक पुरस्कार राशि तय की हुई है।
हरियाणा में ओलंपिक
खेलने वालों के लिए पुरस्कार
गोल्ड मेडल जीतने वाले को छह करोड़
सिल्वर मेडल जीतने वाले को चार करोड़
ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले को ढाई करोड़
ओलंपिक में शामिल होने पर 15 लाख की राशि
सरकार की ओर से दी जाती है
खेल नीति के मुताबिक हर प्रतियोगिता के हिसाब से पुरस्कार राशि
दी जाती है
एशियाई खेलों के लिए भी पुरस्कार राशि तय की गई है
हरियाणा में पुरस्कार राशि अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा है
एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाले को तीन करोड़
सिल्वर मेडल जीतने वाले को डेढ़ करोड़
ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले को 75 लाख की राशि दी जाती है
कॉमनवेल्थ खेलों में गोल्ड मेडल जीतने वाले को डेढ़ करोड़
सिल्वर मेडल जीतने वाले को 75 लाख
ब्रॉन्ज मेडल जीतने वाले को 50 लाख की राशि दी जाती है
राज्य सरकार खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने के लिए कई और योजना पर
भी काम करती है, जिसके तहत
अर्जुन पुरस्कार, द्रोणाचार्य
पुरस्कार के साथ ही ध्यानचंद पुरस्कार पाने वालों को 20 हजार का मानदेय हर महीने देती
है। इतना ही मानदेय खेलरत्न अवार्ड, तेनजिंग
नोर्गे राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता को भी देती है। वहीं भीम पुरस्कार विजेताओं को
भी पांच हजार का मानदेय हर महीने दिया जाता है। इसके साथ ही हरियाणा में सरकार ने
स्टेट गवर्नमेंट फंड बनाया है। सरकार की ओर से ओलिंपिक और पैरा ओलिंपिक क्वालीफाई
करने वाले खिलाड़ियों को तैयारी के लिए पांच लाख दिए जाते हैं।
हरियाणा सरकार की नौकरियों में खिलाड़ियों के लिए मौके
हरियाणा सरकार ने नौकरियों में भी खिलाड़ियों के लिए प्रावधान किया
हुआ है
योग्यता वाले खिलाड़ियों को प्रथम से तृतीय श्रेणी में तीन
प्रतिशत
चतुर्थ श्रेणी में दस प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है
अलग-अलग खेलों के लिए एक्सीलेंस सेंटर बनाए गए हैं
1100 के करीब खेल नर्सरियां, 1100 के करीब
व्यायाम शालाएं खोली गई हैं
स्कूलों से ही खिलाड़ियों पर काम करने के लिए कार्यक्रम भी चलाए
जा रहे हैं
सात सौ से हजार रुपए तक छात्रवृति का भी प्रावधान है
ग्रामीण स्तर के खेलों को बढ़ावा देने के लिए खेल परिसर बनाए गए
हैं
हर तरह की सुविधाएं और कोच तक तैनात किए गए हैं
हरियाणा में खेल भावना और
एथलेटिक की प्रवृत्ति है, इसके साथ ही दूसरे क्षेत्र
सशस्त्र बलों में यहां का बड़ा योगदान है। भारत की 2% आबादी वाला राज्य हरियाणा,
जीते गए सभी ओलंपिक पदकों का
30% और भारत के पेरिस ओलंपिक दल का 21% हिस्सा रखता है।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में शानदार रिकॉर्ड
इस बार 2024 ओलंपिक में 4 पदक हरियाणा के नाम हैं
नीरज चोपड़ा ने जैवलिन में सिल्वर मेडल
मनु भाकर ने शूटर के तौर पर ब्रॉन्ज मेडल
सरबजोत ने मनु भाकर के साथ शूटर के तौर पर ब्रॉन्ज मेडल
अमन सहरावत ने कुश्ती में ब्रॉन्ज मेडल जीता है
2023 के एशियन गेम्स में 33 मेडल हरियाणा के खिलाड़ियों के नाम
रहे
कॉमनवेल्थ खेल 2022 में 17 पदक हरियाणा के नाम रहे
2020 में टोक्यो ओलंपिक में 3 मेडल हरियाणा के नाम रहे
खेलो इंडिया खेलों में खिलाड़ियों ने हरियाणा का परचम लहराया है
हरियाणा
ने कृषि के क्षेत्र में भी विकास के कई आयाम स्थापित किए हैं। इस समय देश में
हरियाणा एकमात्र ऐसा राज्य है जो 14 फसलों को एमएसपी पर खरीदता है। इतना ही नहीं
बीते साल को छोड़ दें तो गन्ने पर भी हरियाणा सबसे ज्यादा प्रति क्विंटल दाम देता
था। पंजाब की तर्ज पर ही हरियाणा कृषि क्षेत्र में आगे चलता गया और आज उससे भी आगे
है।
कृषि
क्षेत्र में हरियाणा का अहम योगदान
ग्रीन
रिवॉल्यूशन में हरियाणा सफल रहा है
हरियाणा
को अन्नदाता के तौर पर देखा जाता है
हरियाणा
14 फसलों को एमएसपी पर खरीदने वाला राज्य है
कृषि
के क्षेत्र में हरियाणा ने कई आयाम स्थापित किए हैं
हरियाणा
उद्योग के क्षेत्र में भी मिसाल कायम किया है
गुरुग्राम
में देश हीं नहीं विदेश की बड़ी-बड़ी कंपनियों के भी कार्यालय हैं। हरियाणा को इस
बात का भी फायदा मिलता है कि यह राजधानी दिल्ली को तीन तरफ से लगा हुआ है।
गुरुग्राम हो या फरीदाबाद हरियाणा ने औद्योगिक क्षेत्र में काफी विकास किया है। हरियाणा
अपने 58 साल के सफर में ढांचागत विकास में भी बहुत तेजी के साथ काम किया है। बात
चाहे सड़क मार्गों की हो या फिर मेट्रो की या अन्य ढांचागत विकास के पैमाने, हरियाणा
ने इन सभी मोर्चों पर सफलता के नए आयाम स्थापित किए हैं।
हरियाणा
के चारों तरफ एक्सप्रेस वे का जाल
हरियाणा
के चारों तरफ एक्सप्रेस वे का जाल बिछा हुआ है
दिल्ली
से मुंबई के लिए एक्सप्रेस वे बन रहा है
वह भी
हरियाणा से होकर गुजर रहा है
इसका
लाभ भी हरियाणा को मिलेगा
ईस्टर्न
पेरिफेरल एक्सप्रेस वे का लाभ भी हरियाणा को मिलेगा
ईस्टर्न
पेरिफेरल एक्सप्रेस वे से विकास को नई गति मिलेगी
राज्य
के तौर पर हरियाणा का सफर शानदार रहा है। हरियाणा को हमेशा पंजाब का छोटा भाई कहा
जाता है, लेकिन
हरियाणा का बजट साइज पंजाब से बड़ा है। बात चाहे शिक्षा की हो या फिर
इंफ्रस्ट्रअचर की...हरियाणा अन्य राज्यों से बहुत आगे है। इसके साथ ही कई बड़े
संस्थान भी हरियाणा में स्थापित हुए हैं। हरियाणा ने विकास की बहुत लंबी छलांग
लगाई है। साथ ही दिन दुनी रात चौगुनी राज्य लगातार प्रगति के पथ पर अग्रसर है।
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