07 October 2024

नई सरकार के गठन के लिए उल्टी गिनती शुरू, बीजेपी की बनेगी सरकार ? या कांग्रेस की होगी नैया पार ? अक्टूबर 8 किसकी सरकार ?

 

हरियाणा की 90 सीटों पर मतदान खत्म होने के बाद राज्य में नई सरकार के गठन के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है। अधिकतर एग्जिट पोल ने कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने का अनुमान लगाया है। दस साल बाद हरियाणा में सत्ता वापसी के इस संकेत के बाद कांग्रेस जहां उत्साहित है, वहीं, मुख्यमंत्री पद की दौड़ को लेकर खींचतान भी शुरू हो गई है।  दूसरी ओर, एग्जिट पोल को हवा-हवाई बताकर भाजपा खुद को तीसरी बार सत्ता की दौड़ में मजबूती से शामिल होने का दावा कर रही है। भाजपा का कहना है कि आठ अक्तूबर को नतीजे चौंकाने वाले होंगे। राज्य के प्रमुख क्षेत्रीय दल इनेलो को भी पिछले चुनाव के मुकाबले सुधार की आस दिख रही है।

 

कौन आगे कौन पीछे ?

2019 में इनेलो केवल एक सीट पर सिमट गया था

इस बार तीन से पांच सीट मिलने की उम्मीद है

क्या जेजेपी के सामने अस्तित्व बचाने का संकट है?

आम आदमी पार्टी रेस निकलेगी आगे ?

कांग्रेस की सत्ता वापसी में जातिगत जुगलबंदी अहम

जाट, सिख, मुस्लिम और दलित वोटों की गुटबंदी है महत्वपूर्ण

ओबीसी व सामान्य वर्ग का वोट भी कांग्रेस को मिल सकता है

 

पिछले चुनावों की गलतियों से सीखते हुए कांग्रेस ने शुरुआत से ही पार्टी को 36 बिरादरी, जिसमें हरियाणा की सभी जातियां शामिल हैं अपने आप को हितैसी के रूप में पेश किया। कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत जाट वोटों का लामबंद होना है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खुद को मजबूत जाट नेता दिखाकर इस वोट बैंक को क्षेत्रीय दलों में बंटने नहीं दिया। चुनाव से 48 घंटे पहले भाजपा के दलित नेता अशोक तंवर को शामिल कर कांग्रेस ने भाजपा के दलित कार्ड की रणनीति को भी परास्त करने की कोशिश की। 

 

किसान- पहलवान और अग्निवीर

 

अग्निवीर योजना को लेकर भाजपा के खिलाफ नाराजगी

 

अग्निवीर विरोध का फायदा कांग्रेस को मिलता दिख रहा है

   

बीजेपी अब भी उम्मीद पर कायम


बीजेपी एग्जिट पोल को दरकिनार कर रही है

 

ओबीसी, सामान्य वर्ग बीजेपी के साथ होने का दावा

 

सरकार का लाभार्थी वोट बैंक बीजेपी के लिए मजबूत आधार

 

पार्टी का कहना है कि यदि सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर होती तो मत प्रतिशत में बढ़ोतरी होती, लेकिन इस बार मतदान प्रतिशत में करीब एक फीसदी की गिरावट देखने को मिली है। भाजपा का कहना है कि,

 

बूथ मैनेजमेंट पर भी बीजेपी को भरोसा

 

पार्टी कार्यकर्ता ने 2019 के चुनाव से ज्यादा मेहनत की है

पार्टी का बूथ मैनेजमेंट कामयाब रहा है

30 से ज्यादा सीटों पर भाजपा व कांग्रेस में सीधा मुकाबला

इन सीटों पर जीत हार का अंतर बहुत कम रहेगा

कुछ भी उलटफेर हो सकता है

भाजपा की नजर निर्दलीय उम्मीदवारों पर भी है

छह निर्दलीय चुनाव में मजबूत दिख रहे हैं

 

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली का भी दावा जीत को लेकर है,  मोहन लाल बड़ौली का कहना है कि

 

बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली का दावा

 

हमारे कार्यकर्ताओं ने खूब मेहनत की है

उनके पास जो रिपोर्ट आई है वो सटीक है

उसके आधार पर बिल्कुल भी शंका या आशंका नहीं है

हम शत प्रतिशत तीसरी बार सरकार बनाने जा रहे हैं

बीजेपी ग्राउंड पर काम करती है

हमें अपनी रिपोर्ट पर पूरा विश्वास है


 

वहीं जेजेपी और इनेलो की बात करें तो इसबार अगर कांग्रेस को बढ़त मिलती है तो जेजेपी बैंक कांग्रेस व इनेलो में शिफ्ट होना भी एक अहम फैक्टर माना जाएगा। 2019 के चुनाव में जेजेपी को करीब 14.9 फीसदी वोट मिला था। राज्य में लगातार दूसरी बार भाजपा की सरकार बनाने में उसका अहम रोल था। जेजेपी को पिछली बार जाटों समुदाय ने तीसरे विकल्प के तौर पर चुना था। इसबार चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन का कितना असर रहता है ये भी देखना होगा। 2019 के चुनाव में इनेलो को 2.5 और बसपा को 4.2 फीसदी वोट मिला था। इनेलो को सिर्फ एक सीट मिली थी।

 

अभय सिंह चौटाला का दावा

 

चुनाव पूर्व आंकड़े हमेशा गलत रहे हैं

एग्जिट पोल अबकी बार फिर से गलत साबित होंगे

एग्जिट पोल मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ का भी आया था

प्रदेश-छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत दिखाई थी

चुनाव परिणाम इनेलो-बसपा गठबंधन के पक्ष आएगा

भाजपा और कांग्रेस को पूर्ण बहुमत नहीं मिलेगा

सत्ता बनाने में उनकी भूमिका किंगमेकर की होगी

 

पिछले कुछ चुनाव के ट्रेंड को देखें तो कांग्रेस तभी अकेले सरकार बना पाएगी जब उसे 40 फीसदी से ज्यादा वोट मिलेंगे। 2005 में कांग्रेस को 42.5 फीसदी वोट मिला था। उस दौरान कांग्रेस को 67 सीटे मिली थी। 2009 में 40 फीसदी से कम वोट मिले तो कांग्रेस की सीटें खिसककर 40 पहुंच गई। वहीं, कांग्रेस के वोट प्रतिशत बढ़ने और भाजपा के वोट बैंक स्थिर रहने पर तीसरे दल की भूमिका भी खत्म होती है। 2005 में 42 फीसदी वोट मिलने पर तीसरे दल की कोई भूमिका नहीं थी। वहीं, 2019 में जब कांग्रेस का वोट प्रतिशत 30 फीसदी से नीचे आया तो तीसरे दल की भूमिका के रूप में जेजेपी उभकर कर सामने आई। कांग्रेस इस बात को अच्छी तरह से समझती है, इसलिए उसने इस चुनाव में तीसरे दल भूमिका को सामने नहीं आने दिया। आप से गठबंधन नहीं किया और इनेलो व जजपा को भी कोई भाव नहीं दिया। दूसरी तरफ भाजपा का पिछले चुनाव में मतदान प्रतिशत बढ़ गया था, लेकिन सीटें कम हो गई थी। पिछली बार भाजपा को 36.7 फीसदी वोट मिला था। सीटें 40 आई थीं। 2014 में 33.3 फीसदी वोट मिला था और सीटें 47 आई थीं। कांग्रेस की सरकार बनने के अनुमानों के बीच पार्टी के अंदर सीएम पद की खींचतान बढ़ गई है। कांग्रेस में पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा सीएम पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार के रूप में जाने जाते हैं।

 

कांग्रेस में सीएम पद की दावेदारी

 

कांग्रेस ने हुड्डा की पसंद के 72 उम्मीदवारों को उतारा है

 

हुड्डा कहते आए हैं कि न तो वे टायर्ड हैं और न ही रिटायर्ड

 

हुड्डा के रेस से बाहर होने की स्थिति में प्लान B है तैयार

 

दीपेंद्र हुड्डा भी सीएम कुर्सी के लिए प्रबल दावेदार हैं

 

भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बाद दीपेंद्र ने सबसे ज्यादा चुनाव प्रचार किया

 

कुमारी शैलजा को भी सीएम पद के लिए एक प्रमुख दावेदार हैं

 

सबके अपने-अपने दावे हैं, फाईनल नतीजे आने में महज कुछ ही घंटे रह गए हैं जब साफ हो जाएगा कि हरियाणा का अगला सीएम कौन होगा। प्रोग्रमिंग डेस्क, जनता टीवी।

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