18 October 2024

कंप्यूटर ऑपरेटर से सीएम बनने तक का सफर- नायब सिंह सैनी की राजनीतिक कहानी

 

हरियाणा में बीजेपी की हैट्र‍िक के बाद नई सरकार का गठन भी हो गया है। इसके साथ ही राज्य के मुखिया नायब सिंह सैनी एक्शन मोड में हैं। सीएम सैनी एक के बाद एक लगातार बड़े फैसले भी ले रहे हैं। मगर कुछ लोग अब भी अचंभित हैं कि आखिर ये सबकुछ महज कुछ ही दिनों में कैसे संभव हो पाया..? भारत का जाटलैंड कहे जाने वाला हरियाणा ने इस बार एक रिकॉर्ड को बनते देखा है। पहली बार किसी सरकार ने वहां हैट्रिक लगाई है। नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में बीजेपी ने एक ऐतिहासिक झंडा गाड़ दिया और कांग्रेस की खटिया खड़ी कर दी। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि जहां कांग्रेस जीत रही थी वहां अचानक बीजेपी ने बाजी पलट दी और देखते ही देखते पूरी तस्वीर बदल गई। वैसे तो कांग्रेस के स्थानीय नेतृत्व ने वहां गलतियां पर गलतियां कीं लेकिन आइए समझते हैं की नायब सिंह सैनी के बड़े कदम क्या रहे जिसके दम पर बीजेपी की नैया पार हो गई।

 

सीएम सैनी के बड़े फैसले

 

1 लाख 20 हजार कच्चे कर्मचारियों के पक्के करने का ऐलान

24 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देने की घोषणा

महिलाओं को 500 रुपये सिलेंडर देने की घोषणा

ओबीसी चेहरा होने की वजह से लोगों ने सैनी का साथ दिया

सरपंचों को 21 लाख रुपये तक का काम बिना ई-टेंडरिंग के फंड

5 लाख किसानों को 525 करोड़ रुपये को भी जारी किया

हरियाणा में भाजपा के शानदार प्रदर्शन के लिए नायब सैनी को श्रेय जाता है। सैनी ने छह महीने से भी कम वक्त में भाजपा के खिलाफ चल रही सत्ता विरोधी लहर को बेदम कर दिया और नायब सैनी के फैसलों से भाजपा को सीधा फायदा हुआ। किसान, पहलवान और जवान का मुद्दा पूरे चुनाव में भले ही छाया रहा मगर कांग्रेस के लिए सरकार बनाने में यह नाकाफी रहे। स्थानीय मुद्दों पर भाजपा ने चुनाव लड़ा। बीजेपी लगातार कांग्रेस को नौकरियों के मुद्दे पर कांग्रेस को घेरती रही और पर्ची और खर्ची के मुद्दे को कांग्रेस के खिलाफ मुहिम बने दिया। सीएम सैनी ने कई ऐसे बड़े फैसले लिए जो पार्टी को चुनाव में जीत दिलाने के लिए मिल के पत्थर साबित हुए।

सीएम सैनी ने कैसे पलटी बाजी?

दलित वोटर्स को लगातार एकजुट किया

अपने भाषण में हुड्डा परिवार को निशाने पर रखा

 रैली में 'खर्ची और पर्ची' पर जोरदार प्रहार करते रहे

अपने 40 में से 15 विधायकों के टिकट काट दिए 

नाराज कार्यकर्ताओं- नेताओं से भी सैनी मिलते रहे

सीनियर नेताओं से हमेशा तालमेल बैठाए रखा

 

चुनाव के आखिरी वक्त में नायब सैनी को सीएम बनाना भी काम आया। सैनी का सौम्य व्यक्तित्व है। सैनी शेखी बघारने वाले नहीं हैं, जो आमतौर पर भाजपा और कांग्रेस नेताओं का मुख्य गुण होता है। सैनी को समय बहुत कम मिला, लेकिन उन्होंने ओबीसी अधिकारों के लिए कई कानून बनाए। कई ऐसी योजनाएं बनाईं, जिनका सीधा फायदा आम लोगों को मिला। सैनी ओबीसी वोटों का ध्रुवीकरण करने में भी सफल रहे। मिर्चपुर और गोहाना कांड का जिक्र सीएम सैनी और पीएम मोदी ने भी जोर शोर से उठाया और इस ध्रुवीकरण को वोट में बदल दिया।

 

मिर्चपुर-गोहाना कांड को बनाया मुद्दा

 

चुनाव में दलित वोटरों की सबसे अहम भूमिका रही

पूरे प्रदेश में करीब 20 फीसदी दलित वोटर हैं

भाजपा मिर्चपुर और गोहाना कांड लेकर आई

सीएम सैनी दलित समुदाय को समझाने में सफल रहे

मोदी, शाह और सैनी ने अपनी सभाओं में मिर्चपुर का जिक्र किया

सभी ने मिर्चपुर-गोहाना की घटनाओं पर बार-बार चर्चा की

 

विधानसभा चुनावों से करीब छह महीने पहले बीजेपी ने हरियाणा में मनोहर लाल की जगह नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाया। उनके ज़रिए पार्टी ने राज्य के ओबीसी समाज को लामबंद करने की कोशिश की। हालांकि उस वक्त अधिकतर राजनीतिक विश्लेषकों का दावा था कि यह प्रयोग सफल नहीं होगा। मगर राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह और नायब सैनी ने सभी राजनीतिक विश्लेषकों के दावे और जुमले से इतर ऐसा एजेंडा सेट किया कि पार्टी ने राज्य में इतिहास रच दिया।

 

नायब सैनी का राजनीतिक सफर


2023 में हरियाणा बीजेपी के अध्यक्ष थे

ओबीसी समुदाय के लोकप्रिय बीजेपी नेता हैं

2019 से 2024 तक कुरुक्षेत्र से सांसद रह चुके हैं

2014 से 2019 तक नारायणगढ़ से विधायक भी रहे

2015 से 2019 तक हरियाणा सरकार में राज्यमंत्री रहे

अंबाला के मिर्जापुर माजरा गांव में 25 जनवरी 1970 को जन्म

पिता तेलू राम एक सेवानिवृत्त सैनिक और किसान थे

 

नायब सैनी लॉ में ग्रेजुएशन हैं। मेरठ की चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री और बीआर अंबेडकर यूनिवर्सिटी, मुजफ्फरपुर से बीए की डिग्री हासिल की हैं। नायब सैनी जब बीजेपी में शामिल हुए थे तो शुरुआत में उन्होंने अंबाला पार्टी कार्यालय में कंप्यूटर ऑपरेटर के तौर पर काम करना शुरू किया था। बाद में वह हरियाणा बीजेपी किसान मोर्चा के महासचिव बने। फिर वह बीजेपी के अंबाला युवा विंग के एक्टिव  मेंबर बन गए। उनको पहचान दिलाने का श्रेय मनोहर लाल खट्टर को जाता है। नायब सिंह सैनी को हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के करीबी नेताओं में शुमार किया जाता है। खट्टर को उनका राजनीतिक गुरु भी कहा जाता है। खट्टर के मुख्यमंत्री बनने के साथ ही गन्ना आंदोलन से जनता के बीच पहचान बनी।

 

गन्ना आंदोलन से बनी पहचान

 

2005 में युवा मोर्चा के अध्यक्ष पद की भी जिम्मेदारी संभाली

संगठन नायब सिंह सैनी के काम को लेकर खुश था

राजनीतिक करियर में बड़ा मोड़ अंबाला आंदोलन के दौरान आया

गन्ना भुगतान के लिए हुए आंदोलन में सैनी ने अहम भूमिका निभाई

आंदोलन के जरिए सैनी ने किसानों के बीच अच्छी पैठ बनाई

किसान मोर्चा के महासचिव पद की जिम्मेदारी भी मिली

बाद में किसान मोर्चा के अध्यक्ष भी बने

 

विधायक दल की बैठक में सीएम सैनी के नाम का ऐलान करने के मौके पर अमित शाह ने नायब सैनी की पीठ को थपथपा कर बड़ा संदेश दिया। नायब सिंह सैनी राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ग्रहण कर चुके हैं। सैनी को पीएम मोदी की पसंद हैं और उन्हें बीजेपी के केंद्रीय आलाकमान का पूरा आशीर्वाद है। पार्टी ने नायब सैनी के चेहरे पर 48 सीटों हासिल की। यह बीजेपी का हरियाणा में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। प्रोग्रामिंग डेस्क, जनता टीवी।

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