अमेरिका में राष्ट्रपति
चुनाव 5 नवंबर को होने वाले हैं। दोनों ही उम्मीदवारों, डेमोक्रेटिक पार्टी की कमला
हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के डोनाल्ड ट्रंप के बीच कांटे की टक्कर है। लिहाजा
कौन राष्ट्रपति बनेगा, ये अब स्विंग स्टेट पर निर्भर हो गया है। अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाला
राज्य पेंसिल्वेनिया 2024 के राष्ट्रपति चुनावों के लिए ग्राउंड जीरो बनकर उभरा है।
डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और उनके रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी डोनाल्ड ट्रंप
के बीच राज्य में कड़ी टक्कर होने वाली है।
राष्ट्रपति चुनाव में राज्यों की भूमिका
अमेरिका के 50
राज्यों में से
प्रत्येक में इलेक्टोरल कॉलेज वोटों की संख्या अलग-अलग है
पेंसिल्वेनिया में 19
जबकि डेमोक्रेटिक गढ़
कैलिफोर्निया में 54
इलेक्टोरल कॉलेज वोट
हैं
टेक्सास रिपब्लिकन का गढ़ है, जहां 40 इलेक्टोरल कॉलेज हैं
5 नवंबर को जो वोटिंग होने वाली है, उसमें जो उम्मीदवार जीतेगा, उसे विजेता नहीं माना जाएगा
बल्कि जो उम्मीदवार इलेक्टोरल कॉलेज में 270 से ज्यादा वोट लेकर आएगा, उसे विजयी माना जाएगा
दोनों उम्मीदवारों के लिए पेनसिल्वेनिया राज्य को जीतना जरूरी हो गया है
कमला हैरिस और ट्रंप, दोनों के समर्थक 'युद्ध के मैदान वाले राज्य' में जोर लगा रहे हैं
डोनाल्ड ट्रंप ने 2016 में पेंसिल्वेनिया में एक प्रतिशत से भी कम
अंतर से जीत हासिल की थी और 2020 में लगभग एक प्रतिशत से हार गए थे। कमला हैरिस वहां प्रतिस्पर्धी बनी हुई
हैं, ऐसे में राज्य को 'टॉस-अप'
के रूप में वर्गीकृत
किया गया है।" यही कारण है कि हैरिस और ट्रंप, दोनों "किसी भी अन्य स्थान की तुलना में
पेंसिल्वेनिया में ज्यादा धन, समय और ऊर्जा लगा रहे हैं, और पूरे राज्य में विज्ञापन युद्ध इस वक्त चल रहा है।"
हैरिस और ट्रंप का प्रचार युद्ध
कमला हैरिस ने कहा है
कि ग्रॉसरी की कीमत गैर वाजिब ढंग से बढ़ाने पर प्रतिबंध लगाएंगी
पहली बार घर खरीद रहे
लोगों की मदद के लिए क़दम उठाएंगी
ये सुनिश्चित करेंगी
कि अधिक से अधिक मकान बनाए जाएं इसके लिए वो इन्सेंटिव देने की व्यवस्था करेंगी
ट्रंप ने ब्याज दरों
को कम करने का वादा किया है, हाउसिंग पर बोझ कम कर लोगों को मकान उपलब्ध कराएंगे
कमला हैरिस ने
गर्भपात के अधिकार को अपने चुनावी अभियान के केंद्र में रखा है
हैरिस ऐसे कानून का
समर्थन कर रही हैं जो पूरे देश में लोगों के लिए एक जैसे प्रजनन अधिकारों का
रास्ता साफ़ करेगा
जबकि हाल के कुछ
हफ़्तों में गर्भपात विरोधी रुख़ के समर्थन के मामले में ट्रंप संघर्ष करते दिख
रहे हैं
कमला हैरिस बड़ी
कंपनियों, उद्योगों और साल भर
में चार लाख डॉलर कमाने वाले अमेरिकियों पर टैक्स बढ़ाना चाहती हैं
दूसरी ओर ट्रंप ने
खरबों डॉलर की टैक्स कटौती के कई प्रस्ताव रखे हैं
ट्रंप के मुताबिक़ 2017 में उनकी सरकार ने जो टैक्स कटौतियां
की थीं उन्हें विस्तार दिया जाएगा
हैरिस का कहना है कि
रूस के साथ युद्ध में यूक्रेन को दी जाने वाली उनकी मदद जारी रहेगी
जबकि ट्रंप अलग-थलग विदेश
नीति के पैरोकार हैं,
वो चाहते हैं कि अमेरिका दुनिया में कहीं भी होने वाले संघर्षों से खुद को दूर रखे
चर्चा के दौरान
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उप राष्ट्रपति कमला हैरिस की नस्लीय
पहचान पर तीखा हमला बोला। ब्लैक जर्नलिस्ट के
एक सम्मेलन में बहस के दौरान ट्रंप ने कमला हैरिस की काली और भारतीय पहचान पर सवाल
खड़े किए। इसके बाद से लगातार दोनों नेताओं पर एक दुसरे के प्रति जुबानी हमले जारी
हैं। ट्रंप ने कमला हैरिस को कहा था कि 'अब वो एक काली
व्यक्ति बन गई हैं' "कुछ साल पहले तक मैं
नहीं जानता था कि वो काली हैं, अब वो खुद को काले
व्यक्ति के रूप में पेश करना चाहती हैं।" "इसलिए मैं नहीं जानता
कि क्या वो भारतीय हैं? या वो काली हैं।"
कमला हैरिस का ट्रंप
को जवाब
ट्रंप की टिप्पणी 'पुराने समय का विभाजनकारी और अपमानजनक
व्यवहार' है
अमेरिकी लोग बेहतरी
के हक़दार हैं, हमें एक ऐसा नेता चाहिए जो ये समझे कि हमारे बीच का अंतर हमें बांटता
नहीं है
न्यूयॉर्क के
रिप्रेजेंटेटिव रिची टोरेस ने भी सवाल खड़ा करते हुए पूछा, "ब्लैक पहचान तय करने के लिए ट्रंप को
किसने नियुक्त किया है?"
नस्ल के आधार पर अपने
विरोधियों पर हमला बोलने का रिपब्लिकन उम्मीदवार और पूर्व राष्ट्रपति का अतीत रहा
है
देश के पहले काले
राष्ट्रपति बराक ओबामा पर भी झूठा आरोप लगाया था कि वो अमेरिका में नहीं जन्मे थे
निकी हेली पर भी ग़लत
आरोप लगाए थे कि जब उनका जन्म हुआ, उनके माता पिता अमेरिकी नागरिक नहीं थे
कमला हैरिस अपनी
भारतीय पहचान का ज़िक्र ज़्यादातर मां पर बात करने के दौरान ही करती आई हैं। साल 2023 में कमला हैरिस ने
ट्वीट किया था,
"19
की उम्र में मेरी मां श्यामला अमेरिका अकेली आ गई थीं। वो एक शक्ति थीं - एक
वैज्ञानिक, सिविल राइट
एक्टिविस्ट मां थीं, जिन्होंने
अपनी दोनों बेटियों में गर्व के भाव भरे।" श्यामला जब भारत आतीं तो कमला साथ
होती थीं। अपने नाम का मतलब कमला ने अपनी आत्मकथा 'द ट्रुथ वी टोल्ड' में समझाया था। कमला
ने लिखा था,
"मेरे
नाम का मतलब है ‘कमल का फूल’...भारतीय संस्कृति
में इसकी काफ़ी अहमियत है। 2020
में चुनाव प्रचार के दौरान कमला एक वीडियो में भारतीय खाना बनाती और दक्षिण भारत
पर बात करती दिखी थीं। तब कमला ने कहा था कि वो ख़ूब सारा चावल, दही, आलू की रसदार सब्जी, दाल और इडली खाते हुए
बड़ी हुई हैं।
कौन हैं भारतवंशी कमला हैरिस ?
कमला हैरिस का जन्म 1964 में ओकलैंड, कैलिफ़ोर्निया में हुआ था
मां श्यामला गोपालन का जन्म चेन्नई में हुआ था
वह एक कैंसर शोधकर्ता थीं
पिता डोनाल्ड हैरिस, जमैका के एक अर्थशास्त्री थे, जो अमेरिका में आकर बस गए
हैरिस के माता-पिता की मुलाकात कैलिफोर्निया
विश्वविद्यालय में हुई थी
हैरिस सात साल की थीं, तब उनके माता-पिता का तलाक हो गया था
हॉवर्ड से स्नातक करने के बाद 1989 में कानून की डिग्री हासिल की
1990 में कैलिफोर्निया के स्टेट बार में एंट्री
मिली
हैरिस 2003 में सैन फ्रांसिस्को जिला अटॉर्नी के लिए चुनाव लड़ीं
2016 में बाइडेन के समर्थन से अमेरिकी सीनेट के रेस में
उतरीं
कैलिफ़ोर्निया में सीनेट उम्मीदवार को हरा कर ऊपरी
सदन में पहुंची
ऊपरी सदन में शामिल होने वाली दूसरी अश्वेत
महिला बन गईं
2024 के राष्ट्रपति चुनाव में हैरिस डेमोक्रेटिक
पार्टी की उम्मीदवार हैं
वहीं अमेरिकी
राष्ट्रपति चुनाव में लगातार तीन बार उम्मीदवार बनने वाले डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका
के सबसे चमक दमक वाले अरबपति हैं। साल 2015-16 में
राष्ट्रपति चुनावों से पहले के दशकों में न्यूयॉर्क के 'रियल
एस्टेट मुग़ल' डोनाल्ड
ट्रंप के जीवन के बारे में टैबलॉयड्स और टेलीविजन में ख़ूब कहानिया छपा करती थीं। डोनाल्ड
ट्रंप के मशहूर नाम और चुनाव अभियान की शैली की वजह से उन्हें अनुभवी राजनेताओं को
हराने में मदद मिली। लेकिन विवादों की वजह से उन्हें एक ही कार्यकाल के बाद
राष्ट्रपति चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
कौन हैं डोनाल्ड
ट्रंप?
राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी की ओर
से उम्मीदवार हैं डोनाल्ड ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप
न्यूयॉर्क के रियल एस्टेट टायकून फ्रेड ट्रंप की चौथी संतान हैं
ट्रंप अपने पिता की
कंपनी में सबसे छोटी नौकरी करना चाहते थे
वार्टन स्कूल से
डिग्री लेने के बाद पिता के उत्तराधिकारी बने
ट्रंप ने साल 1971
में कंपनी का नाम बदल कर 'ट्रंप ऑर्गनाइजेशन' कर दिया
डोनाल्ड ट्रंप अपने
पिता को 'अपनी प्रेरणा' मानते हैं
साल 1999 में उनके
पिता की मौत हो गई थी
कैसिनो, साझेदारियां, गोल्फ़ कोर्स और होटल समेत डोनाल्ड
ट्रंप की कई संपत्तियां हैं
संपत्तियां, शिकागो
और लास वैगास से लेकर भारत, तुर्की फिलीपींस तक
फैली हैं
मिस यूएसए और मिस टीन
यूएसए ब्यूटी प्रतियोगिताओं के कर्ताधर्ता भी रहे हैं
ट्रंप ने कई किताबें
लिखी हैं, कई फिल्मों में अभिनय
भी किया है
पहली पत्नी इवाना
ज़ेलनिकोवा एक चेक एथलीट और मॉडल थीं
साल 1990 में तलाक से
पहले इन दोनों के तीन बच्चे हुए
इसके बाद ट्रंप ने
अभिनेत्री मार्ला मेपल्स से साल 1993 में शादी की
शादी के दो महीने बाद
इकलौते बच्चे टिफ़नी को जन्म दिया
साल 1999 में दोनों
में तलाक हो गया
अमेरिका में जैसे-जैसे
राष्ट्रपति चुनाव नजदीक आ रहा है, वैसे ही राजनीतिक आधार पर कौन किसका समर्थन कर रहा है, ये भी जाहिर होता जा रहा है। अमेरिका में चुनावी
अभियान चरम पर हैं। इस समय मुक़ाबला बेहद कांटे का है। ट्रंप और कमला हैरिस में
कड़ी टक्कर दिख रही है। अमेरिका
में इस बार कॉर्पोरेट जगत के लोग भी खुलकर अपनी-अपनी पसंद के उम्मीदवार को समर्थन
दे रहे हैं। आईटी,
बैंकिंग, ऑयल समेत कई बड़ी कंपनियां और अन्य क्षेत्रीय
व्यवसायों पर आधारित कंपनियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों का समर्थन शुरू कर दिया है।
किसके
पक्ष में हैं टेक्नोक्रेट?
इस चुनाव में तकनीकी दिग्गज किसके समर्थन में हैं अब यह साफ हो चुका है
बड़ी टेक कंपनियों के कर्मचारियों ने कमला
हैरिस के चुनावी अभियान में लाखों डॉलर का योगदान दिया है
इन कंपनियों के कर्मचारियों की ओर से कमला
हैरिस को दिया गया चुनावी चंदा ट्रंप की तुलना में बहुत ज्यादा है
टेस्ला के मालिक एलन मस्क, फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग और पेपल के
मालिक पीटर एंड्रियास थिएल ट्रंप का समर्थन कर रहे हैं।
दोनों की बयानबाजी से ट्रंप की ओर उनका झुकाव
साफ नजर आ रहा है
जुकरबर्ग
के पत्र को ट्रंप ने बनाया चुनावी हथियार
ट्रंप ने जुकरबर्ग के हाउस न्यायपालिका समिति
को लिखे पत्र को भी चुनावी हथियार बना लिया है
जुकरबर्ग ने दावा किया था कि कोविड के दौरान
बाइडेन प्रशासन ने मेटा पर सामग्री हटाने का दबाव बनाया था
जब उनकी टीम ने ऐसा नहीं किया तो बाइडेन
प्रशासन ने टीम को परेशान किया
अमेरिकी राष्ट्रपति
चुनाव में डेमोक्रेट उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार
डोनाल्ड ट्रंप के बीच मुकाबला है। जहां कमला हैरिस उदार और वामपंथी विचारधारा का
प्रतिनिधित्व कर रही हैं तो ट्रंप संरक्षणवादी और दक्षिणपंथी नीति का समर्थन कर
रहे हैं।
ट्रंप
का समर्थन क्यों कर रहीं बैंकिंग और तेल कंपनियां?
जहां बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियां कमला हैरिस का
सपोर्ट कर रही हैं
वहीं बैंकिंग और तेल कंपनियां डोनाल्ड ट्रंप
के समर्थन में हैं
ट्रंप ने टैक्स और रूल-रेगुलेशन में ढील देने
का वादा किया है
ट्रंप जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए
नेट-जीरो मिशन को फर्जी बता रहे हैं
ट्रंप ने कोयला और तेल पर भरोसा जताया है
चुनाव भले ही अमेरिका
में हो रहा है लेकिन इसका असर भारत पर भी पड़ता है। इस चुनाव पर भारत के भी कई
वर्गों की नजर बनी हुई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अमेरिका भारत का एक महत्वपूर्ण
व्यापारिक और रणनीतिक साझेदार है। पहले, भारत के
बुद्धिजीवी आमतौर पर अमेरिका में डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन करते थे। लेकिन, अब ऐसा नहीं है क्योंकि डेमोक्रेटिक पार्टी अब 'वोक' विचारधारा का
समर्थन कर रही है, जिससे कुछ भारतीय सहमत नहीं हैं। वहीं दूसरी
तरफ, हिंदू-अमेरिकी रिपब्लिकन पार्टी में ईसाई
धर्म के प्रभाव को लेकर चिंतित हैं।
हैरिस की नीतियों से भारतीयों पर
असर
भारतीय-अमेरिकियों
के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर न तो ट्रंप और न ही हैरिस ने अपने विचार रखे हैं
ट्रंप ने भारत
के टैरिफ नियमों की आलोचना की है
साथ ही यह भी सुनिश्चित किया है कि चीन व्यापार और
सेना के मामले में कोई भी गलत कदम न उठाए
हैरिस की आर्थिक
नीतियों के बारे स्पष्टता की कमी के कारण भारतीय उन पर कम भरोसा कर रहे हैं
भारत को बाइडेन
सरकार की विदेश नीतियों को लेकर जो चिंताएं हैं, वो कमला हैरिस
के राष्ट्रपति बनने पर भी जारी रह सकती है
अमेरिका ने
बांग्लादेश में सरकार बदलने में भूमिका निभाई और एक ऐसी सरकार को सत्ता में लाने
में मदद की जो इस्लाम के प्रति नरम रुख रखती है
बांग्लादेश में
हिंदू अल्पसंख्यकों पर अत्याचार बढ़े हैं और देश में अराजकता फैली हुई है
अगर बाइडेन
सरकार अपने अलग-अलग विभागों पर बेहतर नियंत्रण रखती तो ऐसा नहीं होता
इस बात की
संभावना है कि अगर हैरिस राष्ट्रपति चुनी जाती हैं तो अमेरिका इसी तरह की नीतियां
अपनाना जारी रख सकता है
जिस माहौल पर हैरिस की अध्यक्षता निर्भर करेगी वह भारत मोदी सरकार के प्रति सहानुभूति नहीं रखती है। अमेरिका में नए डेमोक्रेटिक नेतृत्व में यूनिवर्सिटी का बहुत प्रभाव है, जिससे इजरायल और भारत दोनों को ही नकारात्मकता का सामना करना पड़ सकता है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय एनजीओ और मिशनरी संगठनों पर कुछ प्रतिबंध लगाए थे, जो बांग्लादेश के मामले में अमेरिका की विदेश नीति के उद्देश्यों को आगे बढ़ाने से भी नहीं कतराते थे और इससे अमेरिका नाराज हो गया था।
कनाडा में ट्रूडो सरकार को अमेरिका का समर्थन उपराष्ट्रपति हैरिस के कार्यालय द्वारा मिला था। हालांकि, यह उन पहले से मौजूद तनावों पर आधारित है जिन्हें जॉर्ज सोरोस जैसे लोग उजागर करने से नहीं कतराते हैं।
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