26 October 2024

महाराष्ट्र का महासंग्राम: महायुति Vs महाअघाड़ी में कांटे की टक्कर ! Maharashtra Election में BJP की क्या है नई रणनीति? मराठवाड़ा में कौन है मजबूत?

 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए तारिखों का ऐलान हो चुका है। मौजूदा समय में महाराष्ट्र विधानसभा की बात करें तो 288 विधानसभा सीटों में सत्तापक्ष यानी महायुति गठबंधन के पास 218 सीटें हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा 145 है। लेकिन इस मैजिक नंबर को हासिल करने के लिए महायुति और एमवीए को खासकर 31 सीटों पर अपना दम दिखाना होगा। जहां पिछले चुनाव में जीत-हार का मार्जिन 5 हजार वोटों से कम रहा था।

महाराष्ट्र का महासंग्राम

महायुति की अगुवाई वाली बीजेपी हरियाणा चुनाव में जीत से उत्साहित है

लोकसभा चुनाव के नतीजों के बदौलत सत्ता में लौटने की तैयारी में है MVA

लोकसभा चुनाव में महागठबंधन ने महाराष्ट्र में 31 सीटें जीती थीं

वोट प्रतिशत के हिसाब से महा विकास अघाड़ी को 158 विधानसभा सीटों पर बढ़त मिली थी

दूसरी ओर महायुति को लोकसभा में 17 सीटों से संतोष करना पड़ा था

महायुति के लिए मराठवाड़ा, पश्चिम महाराष्ट्र और मुंबई की सीटें चुनौती हैं

कांटे की टक्कर में महायुति ने 15 और महाविकास अघाड़ी ने 16 सीटों पर जीत हासिल की थी

2019 में जिन 31 सीटों पर कड़ा मुकाबला रहा, उनमें धुले, नेवासा, भोकरदान, पुसद और रामटेक शामिल हैं

हाटगांव, भोकर, नयागांव, देगलूर, मुखेड, उदगीर, अहमदपुर, सोलापुर सेंट्रल, शिरोल, कराड नॉर्थ और कराड साउथ में भी कांटे की टक्कर रही

संगोला, म्हाडा, पुणे कैंट, मावल, चेंबूर, कांदिवली, जलगांव, भांडुप, मलाड वेस्ट, डिंदोसी, नासिक सेंट्रल, दहानु और धुले सिटी पर भी अंतर कम रहा

लोकसभा चुनाव के दौरान भी इन सीटों पर दोनों गठबंधनों के बीच जबरदस्त टक्कर हुई थी

 

लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में राजनीतिक हालात बदल चुके हैं। पहले जहां दो गठबंधनों के चार दल आमने-सामने थे, लेकिन अब 6 दल आमने-सामने होंगे। सारा दारोमदार टिकट बंटवारे पर टिका है। महायुति में बीजेपी 155 से अधिक सीटों सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि शिवसेना (शिंदे) को 78 और अजित पवार को 55 सीटें देने का फॉर्मूला लगभग तय हुआ है। लेकिन सबसे बड़ी समस्या महायुति में वोट ट्रांसफर की है। शिवसेना और बीजेपी 1984 में करीब आईं। 2014 में कुछ समय के लिए इस गठबंधन में दरार आई। हालांकि 2019 विधानसभा चुनाव दोनों पार्टियों ने मिलकर लड़ा और जीता। इसके बाद दोनों पार्टियों में मतभेद हुए। इसके बाद उद्धव ने विपरीत विचारधारा वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाई। इसके पीछे दो अन्य वजहें भी रहीं। पहली उद्धव महाराष्ट्र में बीजेपी के पीछे नहीं रहना चाहते थे। दूसरी वो अपने बेटे आदित्य ठाकरे का पॉलिटिकल करियर सुरक्षित करना चाहते थे। 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर उद्धव ठाकरे सीएम बने। वो किसी संवैधानिक पद पर बैठने वाले ठाकरे परिवार के पहले व्यक्ति बने थे। उद्धव सरकार ने कई उतार-चढ़ावों से गुजरते हुए ढाई साल पूरे किए।

 

शिंदे की बगावत से दो टुकड़ों में बंटी शिवसेना

 

शिंदे कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बनाने के खिलाफ थे

2019 में उद्धव ने शिंदे को विधायक दल का नेता बना दिया

उस समय माना जा रहा था कि शिंदे ही महाराष्ट्र के CM बनेंगे

लेकिन NCP और कांग्रेस उद्धव को ही मुख्यमंत्री बनाना चाहती थीं

इस तरह शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए

मई 2022 में एकनाथ शिंदे ने 39 विधायकों के साथ बगावत कर दी

एकनाथ शिंदे ने मणिपुर के नबाम रेबिया केस का फायदा उठाया

रेबिया केस में सुप्रीम कोर्ट ने सत्ता से बागी हुए विधायकों की सरकार बना दी थी

शिंदे ने विधानसभा के डिप्टी स्पीकर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दे दिया

ताकि डिप्टी स्पीकर शिंदे गुट के 16 विधायकों की अयोग्यता पर फैसला न ले पाएं

इसी बीच राज्यपाल ने उद्धव ठाकरे को बहुमत सिद्ध करने के लिए कह दिया

पॉलिटिकल ड्रामे के बीच उद्धव ठाकरे ने CM आवास छोड़ दिया

एक भावुक संदेश में उद्धव ने कहा था कि अगर मेरे अपने ही लोग मुझे मुख्यमंत्री बने नहीं देखना चाहते तो मैं कुर्सी छोड़ दूंगा

गुवाहाटी फाइव स्टार होटल में एकनाथ शिंदे ने 42 शिवसेना और 7 निर्दलीय विधायकों के साथ फोटो जारी कर शक्ति प्रदर्शन किया

शिंदे को बागी खेमे ने शिवसेना विधायक दल का नेता घोषित किया

29 जून 2022 को उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया

24 घंटे के अंदर शिंदे ने सीएम और बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने डिप्टी सीएम के रूप में शपथ ली

 

NCP के 25वें स्थापना दिवस पर 10 जून 2023 को शरद पवार ने पार्टी के दो कार्यकारी अध्यक्ष प्रफुल्ल पटेल और सुप्रिया सुले के नाम की घोषणा की। अजित पवार को लेकर शरद से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वो नेता विपक्ष का पद संभाल रहे हैं। अजित को कन्फर्म हो गया कि अब उनका कुछ नहीं हो पाएगा। इसके बाद अजित पवार ने BJP नेताओं से मुलाकातें बढ़ाईं। 2 जुलाई 2023 को अजित पवार ने 41 विधायकों के साथ महायुति जॉइन कर लिया और शिंदे सरकार में डिप्टी सीएम बन गए।

 

अजित पवार की बगावत से जब टूट गई एनसीपी!

 

अजित पवार ने BJP नेताओं से मुलाकातें बढ़ाईं और NCP में बगावत की रणनीति तैयार की

2 जुलाई 2023 को अजित पवार ने भी 41 विधायकों के साथ महायुति जॉइन कर लिया

 

महायुति जॉइन करने के बाद शिंदे सरकार में अजित पवार डिप्टी सीएम बन गए

 

शिवसेना और एनसीपी के दो अलग-अलग धड़े बन जाने के बाद पार्टी के नाम और चुनाव चिह्न को लेकर खींचतान हुई

 

चुनाव चिह्न को लेकर फैसला इलेक्शन कमीशन ने किया, शिवसेना (शिंदे) को धनुष-बाणऔर शिवसेना (उद्धव) को मशालचुनाव चिह्न मिला

 

वहीं एनसीपी (अजित) को घड़़ीऔर एनसीपी (शरद) को तुरही वादकसिंबल मिला

 

2019 में जब विधानसभा के चुनाव हुए तो महाराष्ट्र में मुख्य रूप से 4 पार्टियां बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना मैदान में थीं। इसके अलावा एक दर्जन से ज्यादा छोटी पार्टियां भी मैदान में थीं। पिछले 5 साल में एनसीपी और शिवसेना के दो-दो धड़े बन चुके हैं। यानी अब 2024 के इस विधानसभा चुनाव में 6 बड़ी पार्टियों के बीच मुकाबला है। बीजेपी, शिवसेना (शिंदे), एनसीपी (अजित), कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव), एनसीपी (शरद) के प्रत्याशी इस बार चुनावी मैदान में हैं। महाराष्ट्र में पिछले 5 साल में मतदाताओं की संख्या भी बढ़ी है। 2019 में 8.68 करोड़ मतदाता थे। 2024 में मतदाताओं की संख्या 9.53 करोड़ पर पहुंच गई है। यानी 5 साल में 85 लाख नए मतदाता जुड़े हैं। इस वक्त मतदाताओं में 4.9 करोड़ पुरुष और 4.6 करोड़ महिलाएं शामिल हैं।

 

महाराष्ट्र में कांग्रेस की साख दांव पर!

 

हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तमाम उम्मीदें धराशायी हो गईं

कई सीटों पर अपने ही बागियों ने पार्टी का सारा गणित चौपट कर दिया

'जाट लैंड' में हुई चूक, कांग्रेस 'मराठा लैंड' महाराष्ट्र में नहीं दोहराना चाहती

कांग्रेस ने अपने सीनियर नेताओं को चुनाव कार्य में लगा दिया है

नेताओं को ऑब्जर्वर बनाने की रणनीति में कांग्रेस ने बदलाव की है

इस बार ऑब्जर्वर्स को खास तौर पर ब्रीफ किया गया है

ऑब्जर्वर्स सदस्यों पर नजर रखे हुए हैं जो उम्मीदवारों को चुनौती दे सकते हैं

कांग्रेस की यह चिंता हाल ही में खत्म हुए हरियाणा चुनाव के नतीजों से उपजी है

महाराष्ट्र के हर क्षेत्र के लिए सीनियर नेताओं को कांग्रेस ने ऑब्जर्वर बनाया है

कांग्रेस को हरियाणा में 'बागी नेताओं' से तगड़ी चोट लगी थी

बागी हुए नेताओं ने प्रमुख सीटों पर पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवारों के वोट काटे

सभी अनुमान गलत साबित हुए, बीजेपी फिर से राज्य की सत्ता पर काबिज हो गई

 

कांग्रेस अपने नाराज नेताओं को माइक्रो-मैनेज करने पर खास ध्यान दे रही है। महाराष्ट्र के लिए पार्टी ने जिन्हें ऑब्जर्वर बनाया है, वे जाने-माने सदस्य हैं और उनकी सामाजिक छवि भी मजबूत है। इसके अलावा, राज्य के पांचों क्षेत्रों में से हर एक के लिए दो या तीन ऑब्जर्वर नियुक्त किए गए हैं। मुंबई/कोंकण क्षेत्र के लिए अशोक गहलोत और कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर, विदर्भ के लिए पूर्व सीएम भूपेश बघेल और चरणजीत सिंह चन्नी और एमपी में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार, मराठवाड़ा के लिए सचिन पायलट और तेलंगाना के वरिष्ठ मंत्री उत्तम रेड्डी को ऑब्जर्वर बनाया है। पार्टी ने लोकल पैठ वाले AICC पदाधिकारियों- मुकुल वासनिक और अविनाश पांडे को सीनियर को-ऑर्डिनेटर भी बनाया है। इन नेताओं का अपना राजनीतिक कद है और वे पार्टी नेतृत्व के भी करीबी हैं। कांग्रेस को उम्मीद है कि वे बगावती तेवर अपनाने वाले नेताओं को मनाने में कामयाब रहेंगे। वहीं महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में AIMIM अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सक्रिय नजर आ रही है। संगठनात्मक बदलाव से लेकर अपनी राजनीतिक रणनीति में भी बदलाव AIMIM कर रही है। इसका सीधा असर इस बार के विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिलेगा। 

 

AIMIM की रणनीति से बदलेगा सियासी गणित?

 

महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन में शामिल होने के लिए असदुद्दीन ओवेसी की पार्टी कई बार अपनी इच्छा जाहिर कर चुकी है

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लिमीन (AIMIM) महाराष्ट्र के चुनावों में एक परसेंट के करीब वोट हासिल करने में सफल होती रही है

इंडिया गठबंधन के दल अक्सर AIMIM पर वोट काटने का आरोप लगाते रहे हैं

विपक्ष आरोप लगाता रहा है कि ओवैसी की पार्टी से BJP को मदद मिलती रही है

एआईएमआईएम खुद इंडिया गठबंधन में शामिल होने की बात कर रही है

2019 के विधानसभा चुनावों में AIMIM ने 44 सीटों पर चुनाव लड़ा, दो जीते और कुल वोटों का 1.34% प्राप्त किया

AIMIM खुद को मुस्लिम समुदाय में तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियों के मुकाबले खुद को मुसलमानों के हितैषी बताती रही है

हरियाणा में  मात्र एक परसेंट से कम वोटों के चक्कर में कांग्रेस को विपक्ष में बैठना पड़ा है

लोकसभा चुनाव में 0.7 परसेंट वोट की बढ़त के बदौलत महाविकास आघाड़ी सत्तारूढ़ महायुति पर भारी पड़ी थी

एक परसेंट से भी कम वोटों के चलते महायुति को 17 सीटें मिलीं जबकि  MVA ने 31 सीटें हथिया लीं

0.7 परसेंट वोट से सीटों की संख्या में इतना बड़ा डिफरेंस होने का मतलब है कि एक-एक वोट की लड़ाई है

इंडिया गठबंधन वाली एमवीए को ओवैसी को दूर रखने का मतलब है महायुति की जीत के लिए सेफ पैसेज देना

 

AIMIM ने लोकसभा चुनावों के दौरान उत्तर प्रदेश और बिहार में भी जिस तरह प्रत्याशी उतारे थे उससे साफ लग रहा था कि बीजेपी को लाभ पहुंचाने के लिए पार्टी ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे हैं। एआईएमआईएम लगातार इस कोशिश में है कि वह बीजेपी को लाभ पहुंचाने के लिए चुनाव लड़ने के आरोपों से मुक्त हो सके। यही कारण है कि कांग्रेस और NCP के साथ गठबंधन का प्रस्ताव पार्टी ने दिया है। जिसमें 28 सीटों पर सहयोग की पेशकश की गई है। हालांकि कांग्रेस इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के लिए अनिच्छुक दिख रही है, पर शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत का बयान पॉजिटिव दिख रहा था। इसके अलावे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए इसबार बीजेपी ने डबल एक्सपेरिमेंट किया है। अमूमन एंटी इम्कबेंसी से निपटने के लिए बीजेपी राज्यों में चेहरा बदलती रही है। साथ ही विधायकों के टिकट भी काटे जाते रहे हैं। मगर महाराष्ट्र में बीजेपी ने 99 कैंडिडेट की लिस्ट जारी कर डबल एक्सपेरिमेंट किया है। चुनाव से पहले ढाई साल पुरानी सरकार में फेरबदल नहीं किया और पहली लिस्ट में सिर्फ 3 विधायकों के टिकट काटे गए। 75 पुराने खिलाड़ी ही मैदान में हैं। भाजपा ने दूसरे प्रयोग के तौर पर हारी हुई सीटों पर नए चेहरों पर दांव लगाया है।

 

महाराष्ट्र में बीजेपी की नई रणनीति

 

बीजेपी ने महाविकास अघाड़ी से पहले कैंडिडेट की घोषणा कर दी है

मध्यप्रदेश और हरियाणा की तरह विधायकों के टिकट नहीं काटी है

हर चुनाव में बीजेपी करीब 20 प्रतिशत विधायकों को बदलती रही है

हरियाणा में बीजेपी ने पांच मंत्रियों समेत 11 विधायकों के टिकट काटे थे

इसका नतीजा रहा की 88 सीटों में 48 सीटों पर बीजेपी के कैंडिडेट जीत गए

महाराष्ट्र में बीजेपी ने यूपी से सबक लेते हुए पुराने विधायकों को रिपीट किया है

अगर यह ट्रिक्स काम कर गया तो महाराष्ट्र में भी बीजेपी की हैट्रिक तय है

जहां पार्टी के विधायकों की सीटों पर एंटी इनकंबेंसी है, वहां एकनाथ शिंदे या अजित पवार का प्रत्याशी लड़ेगा

जहां उन दोनों दलों के विधायकों के खिलाफ लहर होगी, वो सीट बीजेपी लड़ेगी

इंटरनल रिपोर्ट पर महायुति के घटक दल सीट बदलने को राजी हुए हुए हैं

अगर ऐसा होता है तो सत्ता विरोधी लहर का असर कम हो जाएगा

बीजेपी ने हरियाणा में काफी विधायकों के टिकट काट दिए थे

बीजेपी ने निगेटिव फीडबैक वाली सीट पर नया अल्टरनेट खोज निकाला है

 

मौजूदा समय में महाराष्ट्र विधानसभा की बात करें तो 288 विधानसभा सीटों में सत्तापक्ष यानी महायुति गठबंधन के पास 218 सीटें हैं। बीजेपी ने 2019 मे 105 सीटें जीती थीं। 2014 में बीजेपी को 122 सीटें मिली थी।

महाराष्ट्र विधानसभा की मौजूदा स्थिति 

भाजपा 106             शिवसेना (शिंदे) 40            एनसीपी (अजित) 40

बीवीए 3          पीजेपी 2               मनसे 1

आरएसपी 1       पीडबल्यूपीआई 1         जेएसएस 1

निर्दलीय 12

 

महाअघाड़ी (विपक्ष) के पास 77 सीटें हैं

 

कांग्रेस 44             एनसीपी (शरद पवार) 13           शिवसेना (यूबीटी)- 16

माकपा 1              एसडब्ल्यूपी 1                             निर्दलीय 1

 

                चार विधायकों ने किसी गठबंधन को समर्थन नहीं दिया है। एक सीट खाली है।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना, बीजेपी और अजित पवार की एनसीपी का महायुति गठबंधन फिलहाल सत्ता बरकरार रखने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहा है। वहीं, सत्ता पाने के लिए शिवसेना (यूबीटी), एनसीपी (शरद चंद्र पवार) और कांग्रेस की महा विकास अघाड़ी चुनाव में जोर आजमाइश कर रही हैं। लोकसभा चुनावों में बीजेपी को बड़ा झटका जरूर लगा था लेकिन हरियाणा की जीत ने पार्टी को बड़ी संजीवनी दे दी है। इस विधानसभा चुनाव में चीनी कारखानों की बहुलता वाले पश्चिम महाराष्ट्र में मुख्य टक्कर चाचा शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के बीच ही देखने को मिलेगी। इसके बाद अधिकांश सीटों पर कांग्रेस का मुकाबला भाजपा से और शिवसेना का शिवसेना (यूबीटी) से होगा।

 

सत्ता का रास्ता तय करेगा पश्चिम महाराष्ट्र

 

वसंत दादा पाटिल, यशवंतराव चव्हाण, विट्ठलराव विखे पाटिल, शरद पवार जैसे दिग्गज नेता इसी क्षेत्र की देन हैं

स्वतंत्र भारत में सहकारिता आंदोलन की स्थापना करने एवं उसे परवान चढ़ाने का श्रेय भी इसी क्षेत्र को जाता है

महाराष्ट्र के इस क्षेत्र में छह जिले पुणे, सातारा, सांगली, कोल्हापुर, सोलापुर और अहमदनगर आते हैं

अहमदनगर का कुछ हिस्सा उत्तर महाराष्ट्र से लगा हुआ है, लेकिन इसकी गिनती पश्चिम महाराष्ट्र में ही होती है

1999 में शरद पवार के कांग्रेस से अलग होकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनाने के बाद इस क्षेत्र पर कांग्रेस से भी ज्यादा पवार की पकड़ मजबूत हो गई

2009 तक तो इस पूरे क्षेत्र में इन दोनों दलों के अलावा किसी और दल की दाल गलती दिखाई नहीं देती थी

भाजपा ने धीरे-धीरे पश्चिम महाराष्ट्र में अपनी पैठ बनाई और अभी काफी मजबूत स्थिति में है

2019 के विधानसभा चुनाव में भी पश्चिम महाराष्ट्र में कांग्रेस-राकांपा का ही पलड़ा भारी रहा था

अविभाजित राकांपा को 27 और कांग्रेस को 12 सीटें मिली हुई थीं

भाजपा को 20  और अविभाजित शिवसेना को पांच सीटें मिली थी

बड़े दलों के बीच इस क्षेत्र में स्थानीय छत्रपों की भी अच्छी स्थिति है

पिछले चुनाव में भी इस क्षेत्र से चार निर्दलीय और दो अलग-अलग छोटे दलों के विधायक जीतकर आए थे

अजित पवार के साथ आने वाले ज्यादातर विधायक पश्चिम महाराष्ट्र के हैं, इसलिए उनके हिस्से में ज्यादातर सीटें भी पश्चिम महाराष्ट्र की ही आई हैं

अजित पवार का सीधा मुकाबला इस बार भी राजनीति की सभी कलाओं के माहिर अपने चाचा शरद पवार से ही होगा

दो नेता छत्रपति संभाजीराजे एवं किसान नेता राजू शेट्टी का प्रभाव क्षेत्र भी यही है

 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले गठबंधनों का गणित सेट होने लगा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाली महायुति में शामिल एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना और अजित पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) में सीट शेयरिंग पर बातचीत अंतिम दौर में है। बीजेपी ने विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम का ऐलान भी कर दिया है। वहीं, विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) में सीट बंटवारे का पेच अब तक नहीं सुलझ सका है। दोनों गठबंधनों में जारी कवायद के बीच अब सूबे के चुनावी रण में एक तीसरे गठबंधन की एंट्री हो गई है। बीजेपी से राज्यसभा सांसद रहे संभाजी राजे छत्रपति की अगुवाई में हुए इस नए गठबंधन में राजू शेट्टी की पार्टी स्वाभिमानी शेतकारी पक्ष, बच्चू कुडू की अगुवाई वाली प्रहार जनशक्ति पार्टी भी शामिल है। छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज संभाजी ने मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल और वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के प्रकाश आंबेडकर को भी इस तीसरे गठबंधन में शामिल होने का न्योता दिया है।

 

नए गठबंधन से किसे होगा फायदा?

 

परिवर्तन महाशक्ति के गठन ने महायुति और एमवीए, दोनों ही गठबंधनों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं

इस गठबंधन को अगर मनोज जरांगे पाटिल भी समर्थन देते हैं, तो यह विपक्षी एमवीए के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है

लोकसभा चुनाव नतीजे देखें तो मराठवाड़ा रीजन की 46 विधानसभा सीटों में से 31 सीटों पर एमवीए की पार्टियों के उम्मीदवार आगे रहे थे

किसान नेता राजू शेट्टी का प्रभाव पश्चिम महाराष्ट्र में अधिक है

विदर्भ रीजन की सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी की फाइट को ही निर्णायक माना जाता है

परिवर्तन महाशक्ति की एंट्री से सरकार से नाराज एकमुश्त वोट की उम्मीद लगाए एमवीए की टेंशन बढ़ गई है

 

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन का गढ़ रहे मराठवाड़ा पर विधानसभा चुनाव में सभी की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि जातीय ध्रुवीकरण से प्रभावित इस क्षेत्र की 46 विधानसभा सीटें क्या गुल खिलाएंगी, इसका अनुमान अभी किसी को नहीं है। मराठवाड़ा ने 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना (अविभाजित) गठबंधन को 28 सीटें दी थीं। भाजपा को 16 और शिवसेना को 12 सीटें मिली थीं। कांग्रेस और राकांपा को आठ-आठ सीटें और अन्य को दो सीटें मिली थीं। लेकिन 2023 के मध्य से मराठा समुदाय को कुनबी (खेतिहर मराठा) का दर्जा देकर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) कोटे में आरक्षण दिलवाने के लिए शुरू हुए आंदोलन ने पूरे मराठवाड़ा की हवा बदल दी है।

मराठवाड़ा में कौन है मजबूत?

मराठवाड़ा आंदोलन ने पिछले लोकसभा चुनाव में मराठवाड़ा से भाजपा को एक भी सीट नहीं जीतने दी

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए मराठवाड़ा के दिग्गज नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण भी उसकी कोई मदद नहीं कर पाए थे

मराठवाड़ा क्षेत्र की कुल आठ लोकसभा सीटों में से तीन कांग्रेस जीती, तीन शिवसेना (यूबीटी) एवं राकांपा (शरदचंद्र पवार) एवं एक शिवसेना (शिंदे) ने जीती

जातीय गणित के आधार पर देखें तो आठ में से सात मराठा उम्मीदवार जीते

आठवीं सीट लातूर की अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यहां भी उम्मीदवार कांग्रेस का ही जीता

छत्रपति संभाजी महाराज नगर से मतदाताओं ने शिवसेना (यूबीटी) के ओबीसी उम्मीदवार चंद्रकांत खैरे को हराकर शिवसेना (शिंदे) के मराठा उम्मीदवार संदीपन भुमरे को जिताया

गोपीनाथ मुंडे मराठवाड़ा क्षेत्र के बड़े ओबीसी नेता रहे हैं। आज उनकी विरासत उनकी बेटी पंकजा मुंडे संभाल रही हैं

अजित पवार के महायुति सरकार में शामिल होने के बाद पंकजा के चचेरे भाई धनंजय मुंडे भी अब पंकजा के साथ आ चुके हैं

विजयदशमी के दिन 11 साल बाद दोनों बहन-भाई एक साथ एक मंच पर नजर आए थे

पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में मराठों की आबादी 28 प्रतिशत, तो ओबीसी की आबादी 52 प्रतिशत है

मराठा और ओबीसी ध्रुवीकरण के साथ-साथ मराठवाड़ा की 15 प्रतिशत मुस्लिम आबादी भी अपना असर दिखाने से नहीं चूकेगी

खासतौर से असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम इस क्षेत्र में अपना अच्छा असर रखती है

मराठवाड़ा कभी हैदराबाद के निजाम की रियासत का हिस्सा हुआ करता था

2019 में हैदराबाद के बाद औरंगाबाद देश की दूसरी ऐसी सीट बनी, जहां एआईएमआईएम के उम्मीदवार इम्तियाज जलील ने जीत हासिल की थी

हालांकि इस बार एआईएमआईएम के उम्मीदवार इम्तियाज जलील चुनाव हार गए

इम्तियाज जलील कुछ ही दिनों पहले छत्रपति संभाजी महाराज नगर से मुंबई तक एक बड़ी कार रैली निकालकर शक्ति प्रदर्शन कर चुके हैं

ये सारे समीकरण मिलकर तय करेंगे कि मराठवाड़ा में ऊंट इस बार किस करवट बैठेगा

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में अपना सिक्का चलाने में सफल हुए हैं। सीटों के बंटवारे में सीएम शिंदे, मुंबई में अपनी पार्टी के लिए 15 सीटें हासिल करने में कामयाब हो गए हैं। जबकि मुंबई की 36 विधानसभा सीटों में से 18 पर बीजेपी तथा 3 पर उप मुख्यमंत्री अजित पवार की एनसीपी के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे। ऐसे में ये भी जानना जरूरी है कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में कौन कितना मजबूत है।

मुंबई में कौन आगे कौन पीछे?

 

इस इलाके में मुंबई शहर और मुंबई उपनगर जिले हैं

इन दो जिलों में कुल 36 विधानसभा सीटें हैं

2019 में यहां BJP ने 16 और शिवसेना ने 14 सीटें जीती थीं

कांग्रेस ने 4 और NCP ने 1 सीट हासिल की थी

1 सीट अन्य को मिली थी

शिवसेना और NCP के दो-दो धड़ों में टूटने के बाद के समीकरण बदले

लोकसभा चुनाव के विधानसभावार नतीजों के आधार पर BJP 9 सीटें

शिवसेना (शिंदे) 7 सीटें जीती

शिवसेना (उद्धव) को 15 और कांग्रेस 5 सीटें जीती

 

विदर्भ में कौन आगे कौन पीछे?

 

विदर्भ महाराष्ट्र का सबसे बड़ा इलाका है

इसमें कुल 11 जिले और 62 विधानसभा सीटें हैं

विदर्भ में अकोला, नागपुर, अमरावती, बुलढाणा, यवतमाल, वाशिम, भंडारा, चंद्रपुर, गढ़चिरौली, गोंदिया और वर्धा जिले शामिल हैं

2019 में इस क्षेत्र की 29 सीटों पर BJP और 4 सीटों पर शिवसेना ने जीत हासिल की थी

कांग्रेस ने 15 और NCP ने 6 सीटें हासिल की थी

अन्य के हिस्से 6 सीटें आई थी

लोकसभा चुनाव 2024 के विधानसभावार नतीजे देखें तो BJP को 14 सीटों का नुकसान हुआ

कांग्रेस की 14 सीटें बढ़ी। 4 सीटों पर शिवसेना (शिंदे) जीती, जबकि NCP (अजित) को किसी सीट पर बढ़त नहीं मिली

विदर्भ में RSS और BJP के नितिन गडकरी की मजबूत पकड़ है

 

 

कोंकण में कौन आगे कौन पीछे?

 

इस इलाके में ठाणे, पालघर, रायगढ़, रत्नागिरी और सिंधुदुर्ग जिले हैं

इन 5 जिलों में कुल 39 सीटें हैं

ये इलाका समुद्र से लगा हुआ है, इसलिए इसे कोस्टल रीजन भी कहते हैं

ये इलाका शिवसेना का गढ़ माना जाता है

2019 में यहां BJP ने 11 और शिवसेना ने 15 सीटें जीती थीं

NCP 5 सीटों पर काबिज हुई थी और कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था

अन्य ने 8 सीटें जीती थीं

एक सीट राज ठाकरे की पार्टी MNS ने जीती थी

लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट के हिसाब से देखें तो BJP 11 सीटें जीती

शिवसेना के वोट बंट गए, शिंदे गुट 4 सीटें और उद्धव गुट 9 सीटों पर जीता

कोंकण में ये चुनाव 'शिवसेना (शिंदे) वर्सेज शिवसेना (उद्धव)' होने वाला है

इस इलाके में असली और नकली शिवसेना का चुनावी मुद्दा बन सकता है

 

मराठवाड़ा में कौन आगे कौन पीछे?

 

मराठवाड़ा में औरंगाबाद, बीड, जालना, उस्मानाबाद, नांदेड़, लातूर, परभणी और हिंगोली जिले शामिल हैं

मराठवाड़ा के 8 जिलों में कुल 46 विधानसभा सीटें हैं

मराठवाड़ा इलाके में आरक्षण, पानी और विकास तीन बड़े मुद्दे हैं

2019 में यहां पर BJP ने 16 और शिवसेना ने 12 सीटें जीती थीं

कांग्रेस और NCP 8-8 सीटें जीतने में कामयाब हुई थी

2 सीटों पर अन्य ने जीत हासिल की थी

लोकसभा चुनाव 2024 के विधानसभावार नतीजों के हिसाब से BJP को 9 सीटों का नुकसान हुआ

6 सीटों की बढ़त के साथ कांग्रेस ने 14 का आंकड़ा छू लिया

शिवसेना (उद्धव) 15 और NCP (शरद) 3 सीटें जीती

मराठवाड़ा में महाविकास अघाड़ी का मोमेंटम है

इस चुनाव में यहां जाति और रिजर्वेशन अहम रोल निभाएंगे

जो अलायंस इसे साध पाएगा वो मराठवाड़ा में बाजी मार सकता है

 

पश्चिमी महाराष्ट्र में कौन आगे कौन पीछे?

 

पश्चिमी महाराष्ट्र में कुल 5 जिले और 58 विधानसभा सीटें है

पश्चिमी महाराष्ट्र में पुणे, सांगली, सतारा, सोलापुर और कोल्हापुर शामिल हैं

शक्कर का कटोरा कहलाए जाने वाले इस इलाके में पवार परिवार की पकड़ मजबूत है

यहां से ज्यादातर विधायक NCP के ही जीतते हैं

2019 में यहां BJP ने 17 और शिवसेना ने 5 सीटें जीती थीं

वहीं कांग्रेस ने 10 और NCP ने सबसे ज्यादा 21 सीटें जीती थीं

अन्य 5 सीटों पर जीत हासिल की थी

लोकसभा चुनाव 2024 के विधानसभावार नतीजों को देखें तो BJP 14 और शिवसेना (शिंदे) 7 सीटें जीती थी

NCP (अजित) केवल 2 ही सीटें जीत सकी

NCP (शरद) सबसे ज्यादा 16 सीटें जीती थी

कांग्रेस इस क्षेत्र में 10 और शिवसेना (उद्धव) 4 सीटों पर काबिज हुई

इस चुनाव में पश्चिमी महाराष्ट्र में 'शरद पवार वर्सेज अजित पवार' हो सकता है

यहां चाचा-भतीजे के बीच राजनीतिक लड़ाई है

यहां भी असली और नकली NCP का मुद्दा हावी रहेगा

 

उत्तरी महाराष्ट्र में कौन आगे कौन पीछे?

 

उत्तरी महाराष्ट्र में अहमदनगर, धुले, जलगांव, नंदुरबार और नासिक जिले हैं

5 जिलों में कुल 47 विधानसभा सीटें हैं

2019 में उत्तरी महाराष्ट्र में BJP ने 16 और शिवसेना ने 6 सीटें जीती थीं

NCP ने 13 और कांग्रेस ने 7 सीटें जीती थीं

2024 के लोकसभा चुनाव को विधानसभावार नतीजों को देखें तो यहां सबसे ज्यादा 23 सीटें BJP जीती

BJP को 7 सीटों का फायदा हुआ

शिवसेना (शिंदे) 6 सीटें जीती

NCP (अजित) का खाता भी नहीं खुला

कांग्रेस 5 और शिवसेना (उद्धव) 6 सीटें जीती

इस इलाके में शिवसेना और NCP में टूट का मुद्दा भी बड़ा है

 

महाराष्ट्र में एक बार फिर कमल खिलेगा या उद्धव ठाकरे सत्ता हासिल करने में कामयाब रहेंगे? यह देखने वाली बात होगी। ऐसे में दोनों ही एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए जोर लगा रहे हैं। लेकिन मुकाबला किसी भी राजनीतिक दल के लिए आसान नहीं है।

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