उत्तर प्रदेश के संभल में जामा मस्जिद के सर्वे
के दौरान भड़की हिंसा पर सियायत शुरू हो गई है। संभल के सियासी दंगल में
अबतक 4 लोगों की मौत हो चुकी है। पुलिस ने सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क और सदर
विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे सुहैल इकबाल पर हिंसा भड़काने की एफआईआर दर्ज की
है। पुलिस ने हिंसा से जुड़े मामले में 7
एफआईआर दर्ज की हैं। इनमें 6 नामजद और 2500
से ज्यादा अज्ञात हैं। अब तक 25 लोगों की गिरफ्तारी हुई है। हिंसा में जिन 4 युवकों की जान गई, पोस्टमॉर्टम के बाद उनका डेड बॉडी देर रात ही
सुपुर्दे खाक कर दिया गया। संभल तहसील में फिलहाल
इंटरनेट बैन कर दिया गया है। सभी स्कूल-कॉलेज को भी बंद रखा गया है। एक दिसंबर तक
संभल जिले में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई है।
मृतकों के परिजन का दावा है कि पुलिस की गोली
से मौत हुई है। जबकी पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि 'पुलिस फायरिंग में कोई मौत नहीं हुई है।
हमलावरों की फायरिंग में युवकों की जान गई है।'
संभल पुलिस ने हिंसा से जुड़े उपद्रवियों के
पहली बार फुटेज जारी किए हैं।
कैसे भड़की हिंसा ?
रविवार सुबह 6:30 बजे डीएम-एसपी के साथ एक टीम सर्वे करने पहुंची
थी
टीम को देखकर मुस्लिम समुदाय
के लोग भड़क गए
कुछ ही देर में करीब दो से
तीन हजार लोग जामा मस्जिद के बाहर पहुंच गए
पुलिस ने रोकने की कोशिश की
तो भीड़ में शामिल लोगों ने पथराव कर दिया
इसके बाद भगदड़ जैसे हालात हो
गए
छतों से भी जमकर पथराव किया
गया
भारी पथराव के कारण पुलिस को
कुछ देर के लिए भागना पड़ा
बवाल इतना बढ़ गया कि पुलिस
ने पहले आंसू गैस के गोले दागे
फिर लाठीचार्ज करके भीड़ को
खदेड़ा गया
भगदड़ में 4 लोगों की मौत हो गई
संभल जामा मस्जिद हिंसा में हुई
मौतों को एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी मर्डर बता रहे है। जबकी पुलिस ने इसे भगदड़
में हुई मौत करार दिया है। ओवैसी हाईकोर्ट
के सिटिंग जज से इंक्वायरी कराने की मांग की है। साथ ही आरोप लगाते हुए कहा कि 'जिस दिन कोर्ट में सुनवाई होती है, उसी दिन ऑर्डर हो जाता है और उसी
दिन सर्वे भी हो जाता है। 1948
में ऐसा हुआ
था बाबरी मस्जिद में। असदुद्दीन ओवैसी का कहना है कि संभल की चंदौसी की जामा
मस्जिद कोई 100
साल या 50 साल पुरानी नहीं है, बल्कि दो सौ, ढाई सौ या उससे भी ज्यादा साल
पुरानी है।
शाही मस्जिद पर हिंदू पक्ष का क्या है दावा ?
संभल की शाही जामा मस्जिद को
लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी
इस दावे को भारतीय पुरातत्व
सर्वेक्षण विभाग ऐतिहासिक साक्ष्यों से जोड़ने की कोशिश की गई है
ASI की 1875
की
रिपोर्ट में इस मस्जिद में मौजूद एक शिलालेख का उल्लेख सबसे बड़ा प्रमाण बताया गया
है
रिपोर्ट के अनुसार, मस्जिद में एक शिलालेख है, जिसमें लिखा है कि इसका निर्माण 933 हिजरी में मीर हिंदू बेग ने पूरा किया था
मीर हिंदू बेग बाबर का दरबारी था, जिसने एक हिंदू मंदिर को मस्जिद में परिवर्तित
किया
ASI के मुताबिक, यह शिलालेख इस बात का प्रमाण है कि मस्जिद का
निर्माण हिंदू धार्मिक स्थल को बदलकर किया गया था
संभल की जामा मस्जिद को
लेकर हिंदू पक्ष ने दावा किया है कि इसे भगवान विष्णु के हिंदू मंदिर को तोड़कर
बनाया गया था
इस दावे का आधार बाबरनामा और भारतीय पुरातत्व
सर्वेक्षण की रिपोर्ट को माना जा रहा है
ASI की 1875 की रिपोर्ट में भी कई ऐसे साक्ष्य दर्ज हैं, जो हिंदू मंदिर के अस्तित्व की ओर संकेत करते
हैं
मस्जिद के हिंदू खंभे
मुस्लिम खंभों से अलग हैं और विशुद्ध हिंदू वास्तुकला का प्रतीक हैं
ASI के अनुसार, मस्जिद के गुंबद का जीर्णोद्धार हिंदू सम्राट
पृथ्वीराज चौहान के शासनकाल में हुआ था
मस्जिद की संरचना में
हिंदू मंदिर के कई चिह्न पाए गए, जिन्हें बाद में प्लास्टर से ढक दिया गया
हिंदू
पक्ष के याचिकाकर्ता हरिशंकर जैन ने अपनी याचिका में बाबरनामा का जिक्र किया है
बाबरनामा, जिसे बाबर ने खुद लिखा था और ब्रिटिश ओरिएंटलिस्ट एनेट
बेवरिज ने अनुवाद किया
बाबरनामा
के पृष्ठ 687 पर
लिखा है कि बाबर के आदेश पर उसके दरबारी मीर हिंदू बेग ने संभल के हिंदू मंदिर को
जामा मस्जिद में परिवर्तित किया
यह विवरण
शिलालेख से मेल खाता है, जिसमें
मीर हिंदू बेग का नाम और 933 हिजरी
वर्ष में मस्जिद के निर्माण का उल्लेख है
संभल
में शाही
जामा मस्जिद, शहर के केंद्र में ऊंचे टीले
पर कोर्ट पूर्वी इलाके में बनी हुई है। इस मस्जिद को लेकर हिंदू-मुस्लिम पक्ष ने
कोर्ट में अलग-अलग दावे किए है। मुस्लिम पक्ष का दावा है कि,
मुस्लिम
पक्ष का क्या है दावा ?
शाही
जामा मस्जिद का निर्माण 1529 में
मीर बेग ने करवाया था
मीर
बेग मुगल बादशाह बाबर का कमांडर
था
मस्जिद
के अंदर बने एक शिलालेख की ओर मुस्लिम पक्ष इशारा करता हैं
शिलालेख
पर बाबर का नाम लिखा है
जामा
मस्जिद का उल्लेख बाबर नामा में मिलता है
सुप्रीम
कोर्ट के 1991 के उस
ऑर्डर को आधार बनाकर मुस्लिम पक्ष अपना विरोध दर्ज कराता है
जिसमें
अदालत ने कहा था कि 15 अगस्त
1947 से जो भी धार्मिक स्थल जिस भी स्थिति में हैं, वो अपने स्थान पर बने रहेंगे
समाजवादी
पार्टी के प्रमुख
अखिलेश
यादव ने आरोप लगाया कि संभल की घटना सरकार द्वारा जानबूझकर कराई गई थी, ताकि चुनावी
प्रक्रियाओं में की गई गड़बड़ियों से ध्यान हटाया जा सके।
संभल में शाही जामा मस्जिद के सदर जफर अली ने 'हिंसा के लिए पूरी तरीके से प्रशासन जिम्मेदार है। SDM वहां मौजूद थीं। उन्होंने मस्जिद परिसर की हौज में
भरे पानी को खाली करवाने का ऑर्डर दिया। जबकि DM और SP ये कह रहे थे कि हौज का पानी डंडे से माप लो। SDM नहीं मानी और उन्होंने हौज खाली करवा दी। ये पानी जब
मस्जिद से बाहर निकला तो पब्लिक में ये अफवाह फैल गई कि मस्जिद में खुदाई चल रही
है। इसलिए लोग उत्तेजित होने शुरू हो गए।
संभल पर सियासत लगातार जारी है। हर दल के नेता हिंसा पर खुलकर अपनी
प्रतिक्रिया दे रहे हैं। संभल हिंसा पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का कहना
है कि 'यह घटना विपक्ष की वजह से हुई, यह गोधरा कांड की तरह विपक्ष की पूर्व नियोजित
रणनीति थी। यह सर्वेक्षण टीम पर हमला नहीं था, बल्कि भारत के संविधान और लोकतंत्र पर हमला था। वे देश को जलाना चाहते हैं।
वे संभल को बांग्लादेश बनाना चाहते हैं। जो लोग मारे गए, वे हमलावरों की गोली से मारे गए, पुलिस की गोली से नहीं, यह पोस्टमार्टम से स्पष्ट है। देश इसे बर्दाश्त नहीं
करेगा।'
विश्व हिंदू परिषद ने संबल जिले में हुई हिंसा की निंदा की है। पूरे हिंसा में शामिल लोगों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मामला
दर्ज कर कार्रवाई करने की मांग की है। साथ ही विहिप के संयुक्त महासचिव सुरेन्द्र
जैन ये भी कहा है कि हिंसा में हुए नुकसान की भरपाई दोषियों से की जाय।
संभल हिंसा कि आग में जल रहा है और उधर राजनीतिक दलों का संभल में दंगल
जारी। अब देखना होगा कि हिंसा की ये आग कबतक बूझती है।
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