देश में लगातार डिजिटल
अरेस्ट के मामले सामने आ रहे हैं। ठगों द्वारा डिजिटल अरेस्ट करके लोगों से अबतक
अरबों रुपये की ठगी की जा चुकी है। अगर आप थोड़े भी सजग और जागरूक हैं, तो साइबर
ठगी से खुद को बचा सकते हैं। आइए जानते हैं क्या है डिजिटल अरेस्ट, कैसे होती है इसकी शुरुआत?
क्या है डिजिटल अरेस्ट?
डिजिटल
अरेस्ट ब्लैकमेल करने का एक एडवांस तरीका है
डिजिटल
अरेस्ट स्कैम के शिकार कोई भी हो सकता है
डिजिटल
अरेस्ट का सीधा मतलब है वीडियो कॉलिंग से आपको कंट्रोल करना
ठग
ऑनलाइन या फोन पर धमकी देकर वीडियो कॉलिंग से नजर रखते हैं
साइबर
ठग नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं
आपको
कंट्रोल कर केस को खत्म करने के लिए पैसे ट्रांसफर करवा लेते हैं
कैसे
होती है डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत?
डिजिटल
अरेस्ट की शुरुआत एक मैसेज या फोन कॉल के साथ होती है
ठग
खुद को पुलिस डिपार्टमेंट या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अधिकारी बताते हैं
ठग
बताते हैं कि आपके पैन और आधार का इस्तेमाल कर खरीदारी की गई है
कई
बार यह भी दावा करते हैं कि वे कस्टम या CBI विभाग से बोल रहे हैं
ठग
बताते हैं कि आपके नाम से कोई पार्सल आया है जिसमें ड्रग्स या प्रतिबंधित चीजें
हैं
इसके बाद वे वीडियो कॉल करते हैं और सामने बैठे रहने के लिए कहते हैं
इस दौरान किसी से बात करने, मैसेज करने और मिलने की इजाजत नहीं देते हैं
आपको डरा कर कंट्रोल करने के बाद ठग जमानत के नाम पर लोगों से पैसे मांगते हैं।
लोग अपने ही घर में ऑनलाइन कैद होकर रह जाते हैं और पैसे भी ट्रासफर कर देते हैं।
जबतक सच्चाई सामने आती है, ठग आपको ऑनलाइन लूट कर कंगाल कर चुके होते हैं।
जैसे-जैसे दुनिया डिजिटल हो रही
है ऑनलाइन धोखाधड़ी के तरीके में भी तेजी से बदल रहे
हैं। RBI के
रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023 में
करीब 30,000 करोड़
रुपये से ज्यादा के बैंक फ्रॉड रजिस्टर किए गए। डिजिटल
अरेस्ट साइबर
क्राइम का बिल्कुल नया तरीका है। आज
हम आपको इस स्कैम से बचने के उपाय के बारे में डिटेल में जानकारी देंगे, इसलिए
पूरे विडियो को अंत तक जरूर देखिए।
डिजिटल
अरेस्ट से बचने का रास्ता क्या है?
डिजिटल
अरेस्ट से बचने का आसान रास्ता जानकारी है
इसकी
शुरुआत ही आपके डर के साथ होती है, धमकियों से डरना नहीं चाहिए
आपके
पास भी धमकी वाले फोन कॉल आते हैं तो आपको डरने की जरूरत नहीं है
कोई
कॉल करके धमकाता है तो डरें नहीं, बल्कि
डटकर सामना करें
फोन या वीडियो कॉल पर ठगों
के सवालों और तर्कों का जवाब देने में जल्दबाजी न करें
अनजान नंबरों से किसी भी सामान्य
या वीडियो कॉल पर भी कोई निजी जानकारी न दें
यदि
आपने कोई पार्सल मंगवाया ही नहीं है तो फिर डरने की जरूरत नहीं है
ऐसे कोई भी कॉल आने पर तुरंत पुलिस में शिकायत करें
यदि कोई मैसेज या ई-मेल आता है तो उसे सबूत के तौर पर पुलिस को दें
यदि किसी कारण आपने कॉल रिसीव कर लिया और आपको वीडियो कॉल पर कोई धमकी देने
लगा तो स्क्रीन रिकॉर्डिंग के जरिए वीडियो कॉल को रिकॉर्ड करें और तुरंत पुलिस से शिकायत
करें। किसी भी कीमत पर डरें नहीं और पैसे तो बिलकुल भी ना भेजें।
पूरे देश में इस समय साइबर क्राइम का एक बड़ा
मुद्दा सबके सामने छाया हुआ है। आए दिन डिजिटल अरेस्ट करने वाले शातिर ठग आम लोगों से लेकर हाई प्रोफाइल लोगों
तक को अपना शिकार बना रहे हैं। इस दौरान डिजिटल अरेस्ट की चर्चा भी हर तरफ खुब हो
रही है। डिजिटल अरेस्ट के दौरान ठग अपके मन में डर पैदा कर देते हैं और आपको यकीन
दिलाते हैं कि,
जो भी आपको बताया जा
रहा है वही सच है। उनके या उनके किसी परिजन के साथ बुरा हो चूका है या होने वाला
है। तो आईए हम आपको बताते हैं कि कैसे करें डिजिटल अरेस्ट की पहचान।
ऐसे करें डिजिटल अरेस्ट की पहचान
डिजिटल अरेस्ट के मामले में शिकार के
पास फोन कॉल आता है
फोन कॉल में आपके या किसी परिजन के फंसे होने की बात बताई जाती है
शिकार को ठग गिरफ्तारी की धमकी देते हैं और पैसे की मांग करते हैं
लोगों को नकली ऑफिसर आईडी, पुलिस स्टेशन या फिर सीबीआई ऑफिस का माहौल दिखाकर यकीन दिला दिया जाता है
शिकार को बताया जाता है कि ये पूरी कार्रवाई असली है
ठग डिजिटल अरेस्ट के दौरान अपने शिकार को पूरे समय फोन कैमरा और माइक्रोफोन चालू रखने के लिए कहते हैं
झूठी जांच के दौरान शिकार से पैसे लूट लिए जाते
हैं
भारत सरकार ने ये बात पहले ही साफ कर दिया है कि
भारतीय कानून में कही पर भी डिजीटल अरेस्ट का कोई प्रावधान नहीं है। साथ ही किसी को
भी वीडियो या माइक्रोफोन चालू रखने के लिए दवाब नहीं बनाया जा सकता है। गृह मंत्रालय के अनुसार ऐसी कॉल आने पर नागरिकों को मदद के लिए तत्काल
साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर मामले की जानकारी देनी चाहिए।
देशभर में साइबर अपराधी लोगों को डिजिटल अरेस्ट
करने के लिए पूरी प्लानिंग के साथ काम कर रहे हैं। जिस व्यक्ति से उन्हें ठगी करना
है, उसका
वह पूरा प्रोफाइल तैयार करते हैं। साइबर अपराधी यह जानते हैं कि किसी बड़े
बिजनेसमैन, डॉक्टर और रिटायर अधिकारियों को इलीगल ट्रांजेक्शन
और मनी लाउंड्रिंग जैसे मामले में डराया जा सकता है।
निशाने
पर कौन-कौन
?
डिजिटल अरेस्ट के अधिकांश केस में पीड़ित हाई प्रोफाइल के लोग
होते हैं
डॉक्टर, इंजीनियर, प्रोफेसर और रिटायर्ड अधिकारी सबसे अधिक हो रहे शिकार
बड़े
बिजनेसमैन भी डिजिटल
अरेस्ट से साइबर ठगी का शिकार हुए हैं
अपराधी
शिकार को बताते हैं कि उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी हुआ है
गिरफ्तारी
वारंट व्हाट्सएप और ईमेल आईडी पर अपने टारगेट को भेज देते हैं
डरा हुआ
व्यक्ति खुद को निर्दोष बताते हुए मदद की भीख मांगता है
साइबर
अपराधी अलग-अलग अकाउंट नंबर देकर लाखों रुपए की डिमांड करते हैं
सुरक्षा
एजेंसियों के नाम के वारंट को देखकर लोग पैसे ट्रांसफर कर देते हैं
साइबर अपराधी किसी बड़े घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाकर
ऐसे व्यक्ति को फोन करते हैं जो अधिकारी हो या अधिकारी रह चुका हो। सुरक्षा
एजेंसियों के अधिकारी बनकर साइबर अपराधी फेक अरेस्ट वारंट भेजते हैं। इसके बाद वह
अपने शिकार को यह विश्वास दिलातें हैं कि एजेंसी किसी भी वक्त उन्हें गिरफ्तार कर
सकती है। सुरक्षा एजेंसी से बचने के लिए पढे-लिखे लोग लाखों रुपए साइबर अपराधियों
के खातों में डाल देते हैं।
डिजिटल अरेस्ट में नकली पुलिस स्टेशन, नकली सरकारी कार्यालय
स्थापित करने और नकली वर्दी पहनकर ठगी को अंजाम देने का काम इन दिनों बढ़ता जा रहा
है। घर में रहने वालीं महिलाएं डिजिटल अरेस्ट की चपेट में सबसे ज्यादा आ रही हैं। ठग ये कहकर महिलाओं को डिजिटल अरेस्ट कर रहे
हैं कि आपका बेटा या बेटी यहां फंस गया है, आपके पति को किसी फ्रॉड में अरेस्ट कर लिया गया है, उनकी या आपकी ये
जानकारी जल्दी भेजो... और फिर फ्रॉडस्टर उन्हें फंसा लेते हैं।
सबसे अधिक महिलाएं हो रहीं डिजिटली ट्रैप
महिलाओं को घर में डिजिटली ट्रैप करना फ्रॉडस्टर के लिए आसान है
परिवार में बिना किसी से पूछे या बताए डर कर महिलाएं पर्सनल जानकारी दे
देती हैं
साइबर स्कैम करने वाले घरेलू महिला को अपने जाल में आसानी से फंसा
लेते हैं
धमकी वाले फोन कॉल को घरेलू महिलाएं नहीं पहचान पाती हैं
ऐसे कॉल आने पर तुरंत पुलिस में शिकायत करें
किसी भी अनजान फोन कॉल पर निजी जानकारी न दें
घर का एड्रेस, बैंक अकाउंट की डिटेल, आधार कार्ड, पैन कार्ड की जानकारी
ना दें
पर्सनल या परिवार के किसी भी सदस्य से जुड़ी बैंक या निजी
डिटेल्स देने से बचें
संदेह होने पर तुरंत फोन काट दें और नंबर ब्लॉक कर दें
पुलिस स्टेशन या साइबर क्राइम हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं
साइबर अपराधी महिलाओं को आसानी से हिप्टोनाइज कर लेते हैं उसके
बाद अपने शिकार से बैंक से जुड़ी जानकारी और निजी फोटो-विडियो से ब्लैकमेल करते
हैं। शिकार फंस जाने पर पैसे ऐंठ कर नंबर ब्लॉक कर देते हैं।
डिजिटल अरेस्ट
के जरिए साइबर अपराधी अब वर्चुअल रेप तक करना शुरू कर दिए हैं। साइबर किडनैपिंग के
जरिए महिलाओं और लड़कियों को विडियो कॉल पर उनकी निजी विडियो और फोटो के से
ब्लैकमेल कर अपराधी वर्चुअल रेप जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैँ।
क्या
है वर्चुअल रेप, कैसे बचें ?
साइबर क्रिमिनल
पहले पीड़ित से ऑनलाइन कनेक्ट होते हैं
महिलाओं और
लड़कियों को धमका कर अश्लील टास्क करने को बोलते हैं
वर्चुअल अपराधी
महिलाओं को छिप कर विडियो कॉल करने के लिए कहते हैं
ट्रैप में फंसाने
के बाद महिलाओं और लड़कियों से पैसे की मांग करते हैं
वर्चुअल रेप का
वास्तविकता से कोई लेना देना नहीं होता है
वर्चुअल दुनिया
या मेटावर्स में ऐसे कैरेक्टर बनाए जाते हैं जो देखने में असली लगे
वर्चुअल रेप से
बचाव के लिए अपने पासवर्ड को बार-बार बदलते रहें
फोन, लैपटॉप या किसी अन्य
डिवाइस के सॉफ्टवेयर को अप-टू-डेट रखें
जागरूकता
बढ़ाएं, फोन, लैपटॉप में
एंटीवायरस रखें
किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक ना करें
असल में ये रेप तो नहीं माना जाता, लेकिन विदेशों में माना जाता है कि ऐसा करने से पीड़िता पर असर पड़ता है। मनोचिकित्सक भी मानते हैं कि कम उम्र की लड़कियां अगर मेटावर्स या वर्चुअल रेप की
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