27 November 2024

महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की सुनामी, महायुति को 4 गुना ज्यादा सीटें, महाराष्ट्र में MVA की बड़ी हार, झारखंड में हेमंत सोरेन की वापसी, यूपी उपचुनाव में सिमटती

 

महाराष्ट्र, झारखंड सहित उप चुनावों के परिणाम सामने आ चुके हैं। बीजेपी के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन 228 से अधिक सीटों लीड करते हुए महाराष्ट्र की राजनीति में इतिहास रच दिया है। इसमें सबसे चौंकाने वाली बात ये भी है कि बीजेपी ने 149 सीटों पर चुनाव लड़ा था जिसमें से 125 से अधिक सीटों पर जीत लगभग पक्की कर ली है। लोकसभा चुनाव के परिणामों को देखते हुए अनुमान लगाया जा रहा था कि विधानसभा चुनावों में बीजेपी और उसके नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन को भारी नुक़सान हो सकता है। मगर इस जात ने ये साबित कर दिया है कि देश में बाजेपी और मोदी लहर अभी भी बरकरार है।

 

महायुति सरकार की रणनीति और लाडली बहिन योजना, के साथ ही हिंदुत्व और जातियों को एकजुट करने में बीजेपी और महायुति गठबंधन कामयाबी रही है। पांच महीनों में महायुति गठबंधन ने ऐसा बहुत सारे प्रयाए किए जिससे राज्य में लोगों को इसका सीधा लाभ मिला। सबसे पहले लाडली बहिन योजना लाई गई जिसमें ढाई करोड़ महिलाओं के अकाउंट में चार महीने का पैसा आया। इसके साथ ही बंटेंगे तो कटेंगे नारा ने हिंदू वोट बैंक को कएकजुट करने में काभी कारगर सिद्ध  हुआ।

 

बड़ी जीत के पीछे महायुति की रणनीति

 

महाराष्ट्र चुनाव में योगी आदित्यनाथ का बंटेंगे तो कटेंगे का नारा हिट रहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक हैं तो सेफ है का नारा भी काम कर गया

लोकसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी की जीत के बाद बीजेपी सतर्क हुई

बीजेपी और संघ ने भी अपनी रणनीति बदली

महायुति में शिवसेना और अजित पवार गुट आने से मराठा वोट एकजुट हुआ

 

एनसीपी के वोटरों को महायुति की ओर मोड़ने में NCP अहम भूमिका निभाई

 

शिंदे ने भी शिव सेना के वोटरों को महायुति से जोड़ने में सफलता पाई

मराठा फैक्टर और बेरोजगारी का मुद्दा महाविकास अघाड़ी के पक्ष में नहीं रहा

कांग्रेस का संविधान बचाओं का दांव नहीं चला

मराठा आरक्षण का दांव भी कांग्रेस का काम नहीं आया

लाडली बहना योजना ने भी बड़ी बढ़त दिलाई

 

प्रचंड जीत में इस फैक्टर का भी बड़ा योगदान दिख रहा है

कांग्रेस का बेरोजगारी का मुद्दा भी बेकार साबित हुआ

महाराष्ट्र में सोयाबीन की एमएसपी की गारंटी का मुद्दा भी नहीं चला

शरद पवार की एनसीपी महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर असफल रही

 

मुस्लिम वोटरों ने भी इस बार महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कोई खास रूची नहीं दिखी। 70-80 फ़ीसदी मुसलमानों ने लोकसभा में मतदान किया था। इस बार मुस्लिम बाहुल्य सीटों पर मुसलमानों का मतदान प्रतिशत वापस 35-40 प्रतिशत हो रहा। संविधान का मसला बीजेपी ने अच्छे तरीक़े से ठंडा किया जिसके बाद दलित वोट वापस बीजेपी के साथ जुड़ गए। इसके साथ ही आरक्षण के लिए सब-कैटेगरी बनाई गई जिसके बाद बौद्ध वोटर बीजेपी के साथ आए। पिछली बार बीजेपी अपने मतदाताओं और पार्टी कार्यकर्ताओं को ये समझाने में असफल रही थी कि वो उनके गठबंधन के साथी अजित पवार की पार्टी को वोट दे और समर्थन करे लेकिन हार के बाद बीजेपी इस मुद्दे पर दमखम से लग गई वहीं स्थानीय मुद्दों को लेकर भी काम किया। ये सभी फैक्टर मिलकर महायुती को बड़ी जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई।

 

महाविकास अघाड़ी को महाराष्ट्र चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा है। पूरे चुनाव में महाविकास अघाड़ी के दल साथ काम करते नज़र नहीं आए। कांग्रेस ये मानकर चल रही थी कि को हमारा आधार ज़्यादा है तो हमें ही अधिक सीटें मिलनी चाहिए। इससे कांग्रेस-शिवसेना में तनाव बना हुआ था। वहीं राहुल गांधी अदानी, धारावी और महंगाई जैसे ग़ैर मुद्दे पर केंद्रित रहे। साथ ही बाग़ियों की तरफ से महाविकास अघाड़ी को अधिक नुकसान पहुंचा है। इसके अलावा बड़ा कारण ये है कि जो लोकसभा में शरद पवार के प्रति सहानुभूति थी, इस चुनाव में कम हुई है।

 

झारखंड विधानसभा चुनाव की अगर बात करें तो झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई वाला गठबंधन एक बार फिर से सत्ता में वापसी की है। अब तक हुई वोटों की गिनती में साफ हो चुका है कि इंडिया गठबंधन शानदार बहुमत के साथ सत्ता में आ रही है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर हेमंत सोरेन की सरकार की जीत में 'मैन ऑफ द मैच' कौन रहा?

 

मंईयां सम्मान योजना ने किया कमाल


हेमंत सोरेन पिछले साल ईडी की कार्रवाई में जेल चले गए थे

जेल से बाहर आने के बाद हेमंत सोरेन ने चंपाई सोरेन को हटाकर मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली

लोकसभा चुनाव में वोटरों का रुझान देखकर सोरेन ने तत्काल मंईयां सम्मान योजना लॉन्च की

योजना के जरिए ताबड़तोड़ तीन किस्त जारी कर दी गई

मंईयां सम्मान योजना में डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर होता है

योजना के जरिए झारखंड की 51 लाख महिलाओं के बैंक खाते में डायरेक्ट 1000 रुपये ट्रांसफर किए जाते हैं

योजना के तहत तीन किस्त का पैसा एक साथ 3000 रुपये ट्रांसफर किए

 

हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री रहते हुए गिरफ्तारी के बाद कोर्ट से जमानत मिलने पर झारखंड की जनता के बीच उन्हें काफी सहानुभूति मिली है। जेएमएम के पूरे कैंपेन को देखें तो सीएम हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन तमाम रैलियों में यही बताते दिखे कि केंद्र सरकार ने उन्हें किस तरह से झूठे केस में फंसाया और जेल भेजने का काम किया।

 

पूरी जेएमएम यह बताने में जुटी रही कि बीजेपी आदिवासी को आगे बढ़ने नहीं देना चाहती है। वहीं बीजेपी पूरे चुनाव प्रचार में खुद को आदिवासी हितैषी बताने के लिए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक का नाम लेती रही, लेकिन शायद झारखंड की जनता उनकी बातों पर भरोसा नहीं किया है।

 

महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा के साथ ही 15 राज्यों की 46 विधानसभा और 2 लोकसभा सीटों का हरिणाम अब सामने आ चुका है। अगर उप चुनावों की बात करें तो 9 सीटों पर हुए उपचुनाव में एनडीए ने 7 सीटों पर अपनी जीत लगभग तय कर ली है। वहीं, समाजवादी पार्टी महज दो सीटों पर सिमटती दिख रही है। यूपी चुनाव 2022 में इन 9 में से 4 सीटों पर सपा को जीत मिली थी। वहीं, भाजपा तीन, रालोद एक और निषाद पार्टी एक सीट पर जीती थी। सात सीटों पर आगे बढ़ते हुए एनडीए उम्मीवारों ने भाजपा नेतृत्व को खुशी मनाने का मौका दे दिया है। विधानसभा की 7 सीटों पर विजयी बढ़त के बाद मुख्‍यमंत्री योगी आ आदिदनाथ ने बड़ा संदेश दिया है। साथ ही सपा के सपनों पर पानी फेर दिया है।

 

लोकसभा चुनाव में कई सीटों पर निराशा हाथ लगने के बाद इस उपचुनाव की कमान खुद मुख्‍यमंत्री योगी आद‍त्‍यनाथ ने संभाली थी। योगी ने न सिर्फ सीट पर जोर-शोर से प्रचार किया, बल्‍क‍ि अपने नए नारे 'बटेंगे तो कटेंगे' के सहारे हिन्दू वोटों को एकजुट करने में सफल रहे।

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