ना मै मंदिर ना मै मस्जिद ना काबा कैलाद्गा में।
खोजिएगा का तो तुरंत मिलेंगें पलभर के तलाद्गा में॥
यानी की भगवान हर जगह, हर कण एक-कण कण में मौजूद है। जी हम ऐसा इसलिए कह रहे है की हम जिस ब्रह्मांड में रहते हैं, आखिर इसकी उत्पत्ति कैसे हुई आसमान में टिमटिमाते तारे आखिर कैसे बने? इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए हर कोई आतुर रहता है। लेकिन अभी तक इन सभी सवालों का जवाब हमें नहीं मिला था। लेकिन दुनिया के १११ देशों के करीब पांच हजार वैज्ञानिक इन सवालों के जवाब के बेहद करीब पहुंच गए हैं। वैज्ञानिकों ने इसको हिग्स बोसान नाम दिया है, जिसे गाड पार्टिकल्स के नाम से भी जाना जाता है। पूरी दुनिया में अपनी परचम लहराने वाली भारतीय संस्कृति को अब एक नया आयाम मिल गया है। भारतीय दर्द्गान में कण कण में ब्रम्हा की मान्यता हजारो बर्च्चो से रही है। मगर अभी तक इसकी कोई पुष्टि नहीं हो सकी थी। अब गॉड पार्टिकल की खोज से विज्ञान के इस मूल सवाल के साथ ही दर्द्गान की यह रहस्यमयी गुत्थी भी लगभग सुलझती नजर आ रही है। महाविस्फोट के बाद ब्रहमाण्डनिर्माण हुआ। इस दौरान एक ही तत्व का रंग या प्रभाव बाकी सभी पर चढ़ गया। ये कुछ और नही बल्कि सुक्ष्म कण थे। इस खोज का असल फायदा यह है की ब्रहमाण्ड का अभी तक ९० प्रतिद्गात अज्ञात डार्क मैटर को जानने में मद्द मिलेगा। जेनेवा स्थित यूरोपियन ऑर्गनाइजेद्गान फॉर न्यूक्लियर रिसर्च द्वारा जिस गॉड पार्टिकल की खोज से पूरी दुनिया रोमांचित है, इन्हीं कणों को ईद्गवरीय कण ब्रम्हा कण या फिर दैव कण के अलग अलग नामों से संबोधित किया जा रहा है। इन सारे नामो पर पहले ही भारतीय दर्द्गान विज्ञान ने खोज कर चर्चा कर चुका है। इस खोज का श्रेय सबसे ज्यादा भारतीय सभ्यता को जाता है जो हजारो बर्च्चो पहले इसके उपर अपना खोज दुनिया को बता चुके थे। यह भारतीय सभ्यता बताती है की कण कण में भगवान है। ऐसी मान्यता है की १३.७ अरब पहले महाविस्फोट के बाद ब्रहमाण्ड की रचना इन्हीं खोजे गए ब्रम्ह कणो से हुई। भारतीय दर्शनशात्र में भी ऐसे ब्रम्ह कणो के उल्लेख मिलते है। गॉड पार्टिकल्स को हिन्दू जैन पुद्घ्गल और बौद्ध अनात्मा कहते हैं। भारतीय दार्शनिक इस ब्रह्माणु की अलग-अलग तरीके से व्याखया की है। ऐसे में कण कण में भगवान जैसे भारतीय दर्द्गान को गॉड पार्टिकल की खोज द्वारा वैज्ञानिक प्रमाणिकता मिलना भारतीय संस्कृति के लिए एक बरदान है।
No comments:
Post a Comment