केंन्द्र सरकार की मुस्लिम तुस्टीकरण की नीति एक बार फिर से खुल कर सामने आयी है। मजहब़ और धर्मनिरपेक्षता की आड में सत्ता के शिखर पर राज करने वाली कांग्रेस सरकार एक बार फिर सरेआम अपनी हदें पार कर चुकी है। आज मुस्लिम इंस्पेक्टर, कल मुस्लिम थाना। फिर मुस्लिम पुलिस, फिर मुस्लिम न्याय संहिता। फिर मुस्लिम न्यायालय, फिर मुस्लिम न्यायाधीश। फिर मुस्लिम फौज, फिर मुस्लिम राज्य। फिर अंत में देश का बंटवारा, शायद इसी ओर आज देद्गा में केंन्द्र सरकार आगे बढ रही है, और धर्म निरपेक्षता का दंभ भरने वाले सोनिया गांधी-मनमोहन सिंह, और कांग्रेसी नेताओ की ये सोच देद्गा को किस ओर धकेल रही है इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते है। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या ये कांग्रेस सरकार की मुस्लिम तुस्टीकरण और वोट बैक की राजनीति नही है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को मुस्लिम बहुल इलाकों में कम से कम एक मुस्लिम इंस्पेक्टर या सब-इंस्पेक्टर तैनात करने की सच्चर कमिटी की प्रमुख सिफारिश को लागू करने को कहा है। केंद्रीय गृह सचिव आर. के. सिंह ने इस सिलसिले में सभी राज्यों के मुखय सचिवों को चिट्ठी लिखी है। उन्हें जून के आखिर तक स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। तो सवाल यहा भी खड ा होता है की जब कानून व्यवस्था और अधिकारियों की तैनाती का विच्चय राज्य सरकार की है तो फिर यहा पर केंन्द्र सरकार अडंगा क्यो डाल रही है। मुस्लिम बहुल इलाकों में मुस्लिम इंस्पेक्टर कि तैनाती से क्या सरकार की इस नीति से आतंकवादियों को अपने मोहल्ले में पहले से और बेहतर छुपा पाने का मौका नही मिलेगा ? क्या हिन्दुओ पर योजना बध तरीके से हमला नही बढेगा ? क्या कांग्रेस सरकार को हिन्दुओ के लिए चिंता कोई चिंता नही है? पानी के लिए हिन्दुओ को पाकिस्तानी पुलिस अधिकारी अक्सर पीटते है। लेकिन अब लगता है, सरकार के इस पाकिस्तानी हुक्म से अपने ही देद्गा में हिन्दुओ को पीटा जाएगा । तो ऐसे में यहा प्रद्गन जरूर झकझोरने वाला है कि क्या केंन्द्र सरकार हिन्दुस्थान में कई छोटे -छोटे पकिस्तान बनाने की योजना है तो नही चला रही है। सरकार के इस तालिबानी हुक्म से तो यही लगता है। ब्रिटिश काल में अंग्रेजो द्वारा कुछ ऐसे ही आदेद्गा जारी किए गए थे। तो ऐसे में इस आदेद्गा से यही साबित होता हैं की सरकार एक बार फिर से स्वतंत्र भारम में ब्रिटिस शासन लागू कर रही है। अगर पुलिस हिंदुओं पर हमला होन पर मुसलमानों से मिल कर मामले को रफा- दफा कर लेगी तो क्या ऐसे में देद्गा के अंदर हिंदुओं को न्याय मिल पाएगा ? इसी लिए यहा यह स्वाल खड़ा हो रहा है। विभाजन के दंगों के दौरान भी इसी तरह की बात प्रस्तावित किया गया था । संबिधान में कहा गया है की धर्म के नाम पर पक्षपात ना किया जाय लेकिन मुस्लिम के नाम मुस्लिमो को बिशेस सुबिधाये दी जा रही है, क्या यह साम्प्रदायिकता नहीं है। आज वोट के लिए संबिधान बिरोधी साम्प्रदायिकता का घोर खेल खेला जा रहा है। तो ऐसे में सवाल उठना जायज है की, क्या मुस्लिम बहुल इलाके में केवल मुस्लिम अधिकारी की तैनाती कितना सही है ?
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