14 July 2012

नाइट लाइफ का समर्थन कितना सही ?

आधी रात को दिल्ली के पॉस इलाके में महिला से छेड़छाड की गई, गुड गॉव में देर रात लड की के साथ बदसलूकी की गई, असम में आधी रात को लडकी के कपडे उतारने की कोसिस की गई, मुम्बई में आधी रात को पुलिस वालों ने महिला से बदसलूकी की। जी हां आये दिन आज ऐसा ही देखने को मिल रहा है, देद्गा के बड़े बड़े द्याहरों और कस्बों में। क्या कभी हमने सोचा है इसके लिए कौन जिम्मेवार है। सोचते भी हैं तो हमेशा यही कि आज देद्गा में कोई कानून व्यवस्था नही है। देद्गा में आधी रात को गुंडा राज होता है। अब देद्गा में आधी रात को मनचलों की हरकत बढ गई हैं। बस हम इन्ही लोगों और कानून व्यवस्था को कोसना सुरु कर देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी इसके दूसरे पहलू के बारे में सोचा है। जी हां इसका दूसरा पहलू है नाइट लाइफ। समाज के एक छोटे से वर्ग के लिए हम नाइट लाइफ का समर्थन कर रहे हैं। इस छोटे से वर्ग की वजह से ही आज आधी रातों को कई अद्गलील घटनाएं घट रही हैं। अपने आप को रॉयल कहने वाला ये समाज, नाइट लाइफ के एशो आराम में मद्गागूल रहता है। इसी वर्ग की देखादेखी मध्यम वर्ग भी, इस नाइट लाइफ में आपने आप को शामिल कर रहा है। लेकिन वो अपनी सुरक्षा और जरूरतों को भूल जाता है। ऐसे में कई घटनाओं का शिकार होना पड रहा है। ये बात सही है कि गुंडाराज के खिलाफ समाज के हर वर्ग को आवज उठानी चाहिए। अगर गुंडाराज किसी के घर पर हमला करता है या फिर दिन दहाड़े घटना को अंजाम देता हो तो ऐसे में, ये एक खतरना पहलू है। आधी रात को दिल्ली के पॉस इलाके में महिला से छेड़छाड की गई, गुड गॉव में देर रात लड की के साथ बदसलूकी की गई, असम में आधी रात को लडकी के कपड़े उतारने की कोशिस की गई, मुम्बई में आधी रात को पुलिस वालों ने महिला से बदसलूकी की। जी हां आये दिन आज ऐसा ही देखने को मिल रहा है, देद्गा के बड़े बड़े द्याहरों और कस्बों में। क्या कभी हमने सोचा है इसके लिए कौन जिम्मेवार है। सोचते भी हैं तो हमे यही कि आज देद्गा में कोई कानून व्यवस्था नही है। देद्गा में आधी रात को गुंडा राज होता है। अब देद्गा में आधी रात को मनचलों की हरकत बढ गई हैं। बस हम इन्ही लोगों और कानून व्यवस्था को कोसना सुरु कर देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी इसके दूसरे पहलू के बारे में सोचा है। जी हां इसका दूसरा पहलू है नाइट लाइफ। समाज के एक छोटे से वर्ग के लिए हम नाइट लाइफ का समर्थन कर रहे हैं। इस छोटे से वर्ग की वजह से ही आज आधी रातों को कई अद्गलील घटनाएं घट रही हैं। अपने आप को रॉयल कहने वाला ये समाज, नाइट लाइफ के एशो आराम में मद्गागूल रहता है। इसी वर्ग की देखादेखी मध्यम वर्ग भी, इस नाइट लाइफ में आपने आप को शामिल कर रहा है। लेकिन वो अपनी सुरक्षा और जरूरतों को भूल जाता है। ऐसे में कई घटनाओं का शिकार होना पड रहा है। ये बात सही है कि गुंडाराज के खिलाफ समाज के हर वर्ग को आवज उठानी चाहिए। अगर गुंडाराज किसी के घर पर हमला करता है या फिर दिन दहाड़े घटना को अंजाम देता हो तो ऐसे में, ये एक खतरना पहलू है। जी नही हमारा मतलब तालिबानी उसूलों का समर्थन करना नही है। लेकिन अपने आप को रइसजादे कहने वाले ये लोग ही तालिबान की तरह हमारे समाज में आदर्द्गावादों को खत्म कर रहे हैं। जब हम दिखाबे के नाम पर अद्गलील, पद्गिचमी संस्कृति की ओर रूख करते हैं, तो ये भी तो हमारे समाज में एक तरह का तालीबानीकरण है। ये बात सही कि किसी भी तरह की गुडागर्दी का सपोर्ट नही किया जा सकता। मगर नाइट जिन्दगी से बढ़ने वाली गुडागर्दी के लिए कौन जिम्मेदार है। तो फिर क्या हमें ऐसी नाइट लाइफ का समर्थन करना चाहिए।

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