07 July 2012

क्या आज देश में आपातकाल जैसे हालात है ?

भ्रटाचार और काले धन को लेकर एक बार फिर से टिम अन्ना और सरकार आमने सामने है। एक ओर जहा टिम अन्ना हर हाल में २५ जुलाई से दिल्ली के जंतर मंतर पर अनद्गान करने के लिए तैयार है, तो वही दुसरी ओर सरकार उसे निरस्त करने के लिए अपनी हर ताकत को अजमा रही है। इस बार टिम अन्ना आर पार के मूड में है। ऐसे में ये प्रतित होता है की देद्गा के अंदर आपातकाल जैसी स्थिती उत्पन्न्न हो गई है। तो यहा सवाल खड़ा होता है की क्या सरकार अन्ना हजारे की ललकार से सहमी हुई है। या फिर देद्गा के अंदर आम आदमी की आवाज को दबाना और कुचलना चाहती है। आज देद्गा का हर नागरीक सरकार से सिर्फ एक ही सवाल कर रहा है, भ्रटाचारियों पर लगाम सरकार आखिर कब कसेगी,बिदेशो में जमा काला धन वापस कब आयेगा ? मगर सरकार ने आम अदमी के दर्द और कराह को नजरअंदाज किया हुआ है। मानो आज के हालात में देद्गा का हर एक आदमी आपातकाल से गुजर रहा है। १२ जून १९७५ को इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायधीद्गा जे एम एल सिन्हा ने १९७१ के लोकसभा चुनाव में उत्तरप्रदेद्गा से निर्वाचित तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदरा गॉधी के निर्वाचन को अवैध घोसित कर दिया ।२६ जून १९७५ को राष्ट्रपति फखरूदीन अली अहमद ने आन्तरीक सुरक्षा एवं अव्यवपस्था के नाम पर आपातकाल का आदेश दे दी। आपातकाल जनवरी १९७७ तक चलता रहा । उस दौरान सरकार ने प्रतिष्टित राजनीतिक नेताओं कार्यकताओं और गैर राजनीतिक व्यक्तियों की गिरफतारी की। प्रेस पर सेंसर शिप लगा दी गई। बिना किसी न्यायिक जांच के कुछ संगठनो को प्रतिबंधित कर दिया गया। साथ ही महानगरों को सुंदर बनाने के नाम पर कई लोगों को बेघर कर दिया गया । लोग आजाद भारत में गुलाम हो गए थे। लोकतंत्र के अंदर हुए इस काले अध्याय का पूरजोर विरोध होता रहा। आखिरकार १८ जनवरी १९७७ को राच्च्ट्र के नाम संदेद्गा प्रसारित करते हुए इंदरा गांधी ने लोकसभा भंग कर चुनाव कराने की घोच्चणा कर दी। उस दौरान विरोधियों ने नारा दिया था। तानाशाह बनाम लोकतंत्र। लगता है इस बार का नारा होगा। भ्रच्च्टाचार बनाम लोकतंत्र। आपातकाल के दंद्गा को लोग भुला नही पाए थे ।आपातकाल के बहाने प्राप्त अतिरिक्त द्याक्ति का नौकरशाहो ने जम कर दुरूप्योग किया गया। पुलिस का अत्याचार और बरर्बरता ने कांगेस सरकार को सत्ता से आम आदमी ने बाहर कर दिया। अब लगता है वही स्थिति आज देद्गा के अंदर एक बार फिर से आ कर खड़ी हो गई है। जहां पर नेता और नौकशाहो देद्गा को लुट रहे, है और आम आदमी और समाजसेवी लोगों के उपर सरकार और पुलिस दोनों मिल कर अत्याचार कर रहे है। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या आज देद्गा में आपातकाल जैसी स्थिति है।

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