12 October 2021

अब मार्क्स जिहाद! बड़ा आरोप, सभी को 100 में 100 नंबर कैसे मिले ?

दिल्ली विश्वविद्यालय का एडमिशन एक बार फिर से चर्चा में है. शत प्रतिशत कटऑफ के साथ विवादों का नाता तो हमेशा से हीं D.U में रहा है, मगर इस बार के कटऑफ में अब जिहाद भी जुड़ गया है. तो चलिए हम आपको बताते हैं की क्या है मार्क्स जिहाद और कैसे देश के प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय में वामपंथ की जड़े मजबूत करने के लिए रचा जा रहा है एक बड़ा साजिश. 


D.U के किरोड़ीमल कॉलेज में मार्क्स जिहाद के तहत मिले एडमिशन मिलने का दावा किया है एशोसिएट प्रोफेसर राकेश पांडेय ने. प्रोफेसर पांडेय ने अपने फेसबुक पोस्ट में बेहद हीं गंभीर सवाल किया है. प्रोफेसर राकेश पांडेय के अनुसार केरल एजुकेशन बोर्ड से मार्क्स जिहाद का ये पूरा खेल चल रहा है. उनके द्वारा लिखे पोस्ट के अनुसार किरोड़ीमल कॉलेज में जो एडमिशन हुए हैं उसके पीछे एक बड़ा मार्क्स जिहाद होने की संभावना है.


प्रोफेसर राकेश पांडेय का पोस्ट ज्यों हीं सामने आया पूरा लेफ्ट विंग और NSUI तथा लेफ्ट स्टूडेंट विंग के प्रोफेसर, राकेश पांडेय के खिलाफ लामबंद हो गए. प्रोफेसर राकेश पांडेय ने कहा है कि केरल बोर्ड ने मार्क्स जिहाद के तहत 100 फीसदी अंक दिए, तथा उसी के तरह DU के किरोड़ीमल कॉलेज में 26 छात्रों को एडमिशन मिला.


विवाद होने पर प्रोफेसर पांडेय ने कहा है कि जब आप धर्म के प्रचार के लिए प्यार का दुरुपयोग करने लगते हैं तब यह लव जिहाद बन जाता है. ठीक उसी प्रकार से  यह मार्क्स जिहाद वह है, जब आप वामपंथी विचारधारा फैलाने के लिए अंकों का दुरुपयोग करते हैं. मेरे लिए वामपंथी और जिहादी एक जैसे ही हैं. मैं इनके बीच अंतर नहीं करता. जिहाद सिर्फ धर्म नहीं बल्कि इसका अधिक व्यापक अर्थ है, जो इसमें फिट बैठता है.

हो सकता है कि कुछ समूह केरल शिक्षा बोर्ड की सलाह से वामपंथी विचारधारा को आगे बढ़ाने में शामिल हों. ऐसे में अब पूरे एडमिशन पर सवाल खड़ा हो गया है. छात्र अब ये मांग करने लगे हैं की इसकी तत्काल जाँच कराई जाय, ताकि छात्रों के भविष्य को मार्क्स जिहाद से बचाया जा सके. 


तो वहीँ दूसरी ओर अब इस मुद्दे पर राजनीति भी शुरू हो गई है. कांग्रेस नेता और केरल से सांसद शशि थरूर ने इसपर ट्वीट करते हुए लिखा है कि किसी भी चलन के लिए "जिहाद" का उपयोग सभी सीमाओं को पार कर रहा है. मैंने हमेशा डीयू में प्रवेश के लिए मुख्य मानदंड के रूप में अंकों पर अधिक निर्भरता की निंदा की है. लेकिन यह हास्यास्पद है.


यदि "जिहाद" का अर्थ संघर्ष है तो केरल के छात्रों ने 100% अंक प्राप्त करने के लिए डीयू तक पहुंचने के लिए संघर्ष किया है. यदि आप चाहें तो उन्हें अंदर जाने देने से पहले उनका साक्षात्कार लें, लेकिन उनके अंकों का प्रदर्शन न करें! केरल विरोधी यह पूर्वाग्रह अब खत्म होना चाहिए!

पिछले कई वर्षों से जारी है मार्क्स जिहाद 

प्रोफेसर राकेश पाण्डेय जो आरोप लगाया है वो बेहद गंभीर और पूरे शिक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा करने वाला है. राकेश पाण्डेय ने वामपंध पर एक बड़ा प्रहार किया है. उनका कहना है, ऐसा लगता है कि कोई योजना दो-तीन साल से चल रही है. इसे जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसे विश्वविद्यालयों में राजनीतिक वामपंथियों से जुड़े लोगों की ढीली पकड़ से जोड़ा जा सकता है. इसलिए, वे अब दिल्ली विश्वविद्यालय में इसे फैलाना चाहते हैं.


प्रोफेसर राकेश पाण्डेय ने आरोप लगाया है की राज्य बोर्ड की मार्क्स प्रणाली के साथ एक विशेष राज्य के छात्रों को अधिक संख्या उतीर्ण कराया जारहा है. प्रोफेसर पाण्डेय जो बात कह रहे हैं उसकी पूरी पड़ताल अब हम आपके सामने रख रहे हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय में स्नातक पाठ्यक्रमों के प्रवेश पैटर्न में हाल में देखी गई घटना मार्क्स जिहाद की ओर इशारा करते हैं.


सूत्रों की मानें तो पिछले साल दिल्ली विश्वविद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रमों में लगभग 940 छात्रों ने अपने सर्वश्रेष्ठ चार विषयों में 100 प्रतिशत अंकों के साथ प्रवेश लिया. वास्तव में, यह संख्या 2016 में 150 से बढ़कर वर्ष 2019 में 450 से अधिक हो गई. लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया. 2019 में पंजीकृत 300 की वृद्धि में से लगभग 205 केवल केरल बोर्ड से थे.

अब यहां सवाल ये है की केरल बोर्ड से संबंधित ऐसे आवेदक और सर्वश्रेष्ठ चार विषयों में 100% का सही अंक प्राप्त करने वाले, 2016 में मात्र 3 से बढ़कर 2019 में 208 हो गए थे. सीबीएसई बोर्ड के लिए इसी तरह के आंकड़े 2016 में 145 और 160 थे. 2019 में सीबीएसई के लिए भी इस साल ये संख्या बढ़ गई. 


लेकिन इसे कोविड -19 ऑनलाइन परीक्षा-मूल्यांकन 2020 के कारण हुई उदार तरीके से मार्क्स देना इसका मूल कारण बताया जा रहा है. सीबीएसई के लिए ये संख्या 2019 में 160 से बढ़कर 2020 में 650 हो गई और केरल बोर्ड के लिए यह 208 से बढ़कर 290 हो गई. लेकिन केरल बोर्ड के लिए 2016 में 3 से 2019 में 208 तक हुई. इस विस्फोटक बढ़ोतरी के कारणों का पता चलना चहिये ताकी सत्य सामने आसके.

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