12 October 2021

क्या कश्मीर को 90 के दशक में लौटाने की साजिश हो रही है ?

कश्मीर में हुई एक के बाद आतंकी वारदातों के बाद से घाटी में फिर से 1990 के दशक जैसे हालात पैदा हो गया है. ऐसे एक बार हमें फिर से इतिहास की तरफ मुड़ कर देखना होगा कि आखिर क्या कुछ हुआ था उस वक्त. कैसी थी वो काली रात, कैसे रातों रात पूरा कश्मीर घाटी हिन्दू विहीन हो गया था. तो आईये हम आपको बताते है के कैसे हिन्दुओं में दहशत पैदा कर कश्मीर घाटी को सुलगाया गया था.


देश की आजादी के बाद धरती के जन्नत कश्मीर में जहन्नुम का मौहाल बन चुका था. 19 जनवरी 1990 की काली रात को करीब तीन लाख कश्मीरी पंडितों को अपना आशियाना छोड़कर पलायन को मजबूर होना पड़ा था. अलगावादियों ने कश्मीरी पंडितों के घर पर एक नोटिस चस्पा की गई. जिसपर लिखा था कि या तो मुस्लिम बन जाओ या फिर कश्मीर छोड़कर भाग जाओ...या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ.


इस दौरान कश्मीरी पंडितों की बहू, बेटियों के साथ उग्रवादियों ने बलात्कार और लूट-पाट की वारदात को अंजाम देने लगे. हर तरफ कत्लेआम हो रहा था. जन्नत में हर ओर मौत और दहशत का मंजर था. कश्मीर में हथियारबंद आंदोलन शुरु होने के बाद उसी रात तीन लाख से ज्यादा कश्मीरी पंडित अपने परिवार के साथ अपना घर, अपनी जन्मभूमि छोड़ने पर मजबूर हो गए.


घाटी से पलायन करने के बाद कश्मीरी पंडित जम्मू और देश के अलग-अलग इलाकों में रहने को मजबूर हो गए. यहां भी उनके साथ अत्याचार सालों तक होता रहा. इस नरसंहार में कुल जिसमें 700 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. आतंकियों ने कश्मीरी हिन्दुओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया और उसके बाद उनकी हत्या के दी गई. 


घाटी में कई कश्मीरी पंडितों की बस्तियों में सामूहिक बलात्कार और लड़कियों के अपहरण किए गए. मस्जिदों में भारत एवं हिंदू विरोधी भाषण दिए गए. सभी कश्मीरियों को इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाने का हुक्म सुनाया गया था. उधर पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने टीवी पर कश्मीरी मुस्लिमों को भारत से अलग होने के लिए भड़काना शुरू कर दिया था.


इस सबके बीच कश्मीर से पंडित रातों -रात अपना सबकुछ छोड़ने के मजबूर हो गए. वर्तमान हालात कुछ इसी ओर इशारा कर रहा है. तो यहां सवाल ये खड़ा होता हैं की क्या एक बार फिर कश्मीर घाटी में 1990 जैसे हालात पैदा किया जा रहा है ?


कश्मीर में हुए अबतक के बड़े नरसंहार

 

डोडा नरसंहार: अगस्त 14, 1993 को बस रोककर 15 हिंदुओं की हत्या कर दी गई

संग्रामपुर नरसंहार: मार्च 21, 1997 घर में घुसकर 7 कश्मीरी पंडितों को किडनैप कर मार डाला गया

वंधामा नरसंहार: जनवरी 25, 1998 को हथियारबंद आतंकियों ने 4 कश्मीरी परिवार के 23 लोगों को गोलियों से भून कर मार डाला

प्रानकोट नरसंहार: अप्रैल 17, 1998 को उधमपुर जिले के प्रानकोट गांव में एक कश्मीरी हिन्दू परिवार के 27 मौत के घाट उतार दिया था

 इसमें 11 बच्चे भी शामिल थे. इस नरसंहार के बाद डर से पौनी और रियासी के 1000 हिंदुओं ने पलायन किया था

2000 में अनंतनाग के पहलगाम में 30 अमरनाथ यात्रियों की आतंकियों ने हत्या कर दी थी

20 मार्च 2000 चित्ती सिंघपोरा नरसंहार होला मना रहे 36 सिखों की गुरुद्वारे के सामने आतंकियों ने गोली मार कर हत्या कर दी

2001 में डोडा में 6 हिंदुओं की आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी

2001 जम्मू कश्मीर रेलवे स्टेशन नरसंहार, सेना के भेष में आतंकियों ने रेलवे स्टेशन पर गोलीबारी कर दी, इसमें 11 लोगों की मौत हो गई

2002 में जम्मू के रघुनाथ मंदिर पर आतंकियों ने दो बार हमला किया

 पहला हमला 30 मार्च और दूसरा 24 नवंबर को किया गया

इन दोनों हमलों में 15 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी 

2002 क्वासिम नगर नरसंहार: 29 हिन्दू मजदूरों को मारडाला गया

इनमें 13 महिलाएं और एक बच्चा शामिल था

2003 नदिमार्ग नरसंहार: पुलवामा जिले के नदिमार्ग गांव में आतंकियों ने 24 हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया था


1990  में कश्मीरी पंडितों पर आतंकी कहर


कश्मीर में हिंदुओं पर कहर टूटने का सिलसिला 1989 में शुरू हुआ

जिहाद के लिए गठित जमात-ए-इस्लामी ने शुरू किया था हमला

कश्मीर में इस्लामिक ड्रेस कोड लागू कर दिया गया था

उसने नारा दिया हम सब एक, तुम भागो या मरो

इसके बाद कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़ दी

करोड़ों के मालिक कश्मीरी पंडित अपनी पुश्तैनी जमीन जायदाद छोड़ दिए

रिफ्यूजी कैंपों में रहने को मजबूर हो गए कश्मीरी पंडित


1990 में लगे थे नारे मुस्लिम बनो या कश्मीर छोड़ो

 

कश्मीरी पंडितों के घर के दरवाजों पर पोस्टर लगा दिया गया था

 जिसमें लिखा था 'या तो मुस्लिम बन जाओ या कश्मीर छोड़ दो

पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो ने दिया था भड़काऊ भाषण

टीवी पर कश्मीरी मुस्लिमों को भड़काया था बेनजीर भुट्टो ने

भारत से अलग होने के लिए भड़काना शुरू कर दिया था भुट्टो ने

कश्मीर से पंडित रातों -रात अपना सबकुछ छोड़ने के मजबूर हो गए


1990 में सरेआम हुए थे बलात्कार


कश्मीरी पंडित नर्स के साथ आतंकियों ने सामूहिक बलात्कार किया था

बाद में उसे पीट-पीट कर उसकी हत्या कर दी गई

घाटी में कई कश्मीरी पंडितों की बस्तियों में सामूहिक बलात्कार हुआ

लड़कियों के अपहरण किए गए, हालात बदतर हो गए थे

स्थानीय उर्दू अखबार, हिज्ब-उल-मुजाहिदीन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी

सभी हिन्दुओं को अपना सामान बांध कर कश्मीर छोड़ने के लिए कहा गया था

एक अन्य स्थानीय समाचार पत्र, अल सफा भी यही बात दोहराया था

मस्जिदों में भारत एवं हिंदू विरोधी भाषण दिए जाने लगे थे

सभी कश्मीरियों को कहा गया की इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाएं


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