इलाहाबाद हाईकोर्ट आज एक ऐतिहासिक
फैसला सुनाया है. कोर्ट ने कहा है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता असीमित नहीं है, पर
कुछ प्रतिबंध भी है. अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर किसी को दूसरे की धार्मिक
भावनाओं को ठेस पहुंचाने का अधिकार नहीं है. भगवान राम और कृष्ण के खिलाफ सोशल
मीडिया में अश्लील टिप्पणी के मामले में कोर्ट ने कहा कि राम के बिना भारत अधूरा
है. जिस देश में रह रहे हैं उस देश के महापुरुषों व संस्कृति का सम्मान करना जरूरी
है. कोई ईश्वर को माने या न माने, उसे
किसी की आस्था पर चोट पहुंचाने का अधिकार नहीं है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि
भगवान राम, श्रीकृष्ण, रामायण और गीता इनके रचयिताओं, भारतीय संस्कृति की धरोहर महर्षि
वाल्मीकि और महर्षि वेदव्यास को भारतीय संसद में कानून लाकर सम्मान देने की
आवश्यकता है. कोर्ट ने कहा कि स्कूलों में इनकी शिक्षा अनिवार्य रूप से दिया जाना
चाहिए. क्योंकि शिक्षा से ही व्यक्ति संस्कारित होता है. वह जीवन मूल्यों और
संस्कृति से विज्ञ होता है. कोर्ट ने कहा कि अच्छी शिक्षा ही बेहतर मनुष्य का
निर्माण करती है. बहुतायत शिक्षा पाश्चात्य इतिहासकारों पर ही आधारित है, जिन्होंने चाटुकारिता और स्वार्थ में
आकर भारतीय संस्कृति को बहुत नुकसान पहुंचाया है.
कोर्ट ने कहा हमारी संस्कृति वसुधैव
कुटुंबकम की रही है. सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे
सन्तु निरामयाः. सर्वे भद्राणि पश्यंतु, मां
कश्चित दुःख भाग भवेत. ऐसी कामना करने वाले लोग हैं. कोर्ट ने भगवान राम कृष्ण के
खिलाफ अश्लील टिप्पणी करने वाले आकाश जाटव उर्फ सूर्य प्रकाश को दोबारा ऐसा अपराध
न करने की चेतावनी देते हुए सशर्त जमानत मंजूर कर ली है.
सरकारी वकील ने कहा कि याची अहमदाबाद
अपने मामा के घर गया था. जहां अपना सिम कार्ड मामा के लड़के के मोबाइल फोन में लगाकर
अश्लील पोस्ट डाली है. मामला तूल पकडने के बाद जब एफआईआर दर्ज हुई तो उसने मोबाइल
फोन और सिम कार्ड तोड़कर फेंक दिया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा संविधान बहुत उदार
है. धर्म न मानने वाला नास्तिक हो सकता है. इससे किसी को दूसरे की आस्था को ठेस
पहुंचाने का अधिकार नहीं मिल जाता.
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के हवाले से
कहा कि मानव खोपड़ी हाथ में लेकर नृत्य करने की अनुमति नहीं दी जा सकती. यह अपराध
है. कोर्ट ने यह भी कहा की ईद पर गोवध पर पाबंदी है, वध करना अपराध है, सूचना
प्रौद्योगिकी कानून में भावनाओं को ठेस पहुंचाने का काम गैर जमानती अपराध है.
अभिव्यक्ति की आजादी असीमित नहीं है. राज्य सुरक्षा, अफवाह फैलाना,
अश्लीलता फैलाना अभिव्यक्ति की आजादी
नहीं, बल्कि यह अपराध है.
कोर्ट ने कहा हमारे ऋषि मुनियों ने
इंसान को भगवान बनने के रास्ते दिखाये है. टैगोर जी ने कहा कि रामायण महाभारत में
भारत की आत्मा के दर्शन होते हैं. सामाजिक समरसता रामायण से इतर कहीं नहीं दिखती.
सबरी के जूठे बेर खाने से लेकर निषादराज को गले लगाने तक सामाजिक समरसता का ही
संदेश दिया गया है. कोर्ट ने कहा कि तांडव सीरीज पर अभिव्यक्ति के असीमित अधिकार
नहीं हैं.
भगवत गीता में कर्म फल सिद्धांत का
वर्णन है. आत्मा अमर है. वह कपड़े की तरह शरीर वैसे बदलती है. जैसे बछड़ा झुंड में
अपनी मां को ढूंढ़ लेता है. मन शरीर का हिस्सा है. सुख दुख का अहसास शरीर को ही
होता है. भगवान कृष्ण ने कहा कर्म पर ध्यान दो,फल
मुझ पर छोड़ो. वसुधैव कुटुंबकम् के भाव अन्य किसी भी देश में नहीं है. धर्म
रक्षार्थ भगवान आते हैं।धर्म की हानि होने पर भगवान अवतार लेते हैं.
राम-कृष्ण के खिलाफ अश्लील टिप्पणी
माफी योग्य नहीं है. हिन्दुओं में ही नहीं मुसलमानों में भी कृष्ण भक्त रहे हैं.
कोर्ट ने उदाहरण के तौर पर बताया कि रसखान, अमीर
खुसरो, आलम शेख, वाजिद अली शाह, नज़ीर
अकबराबादी राम कृष्ण भक्त रहे हैं. कोर्ट ने कहा ऐसे में अभिव्यक्ति के नाम पर
असीमित स्वतंत्रता नहीं दी जा सकती, और
देश में अगर राम कृष्ण का अपमान होता है तो यह पूरे देश का अपमान है, जो बिल्कुल बर्दाश्त के लायक नहीं है.
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