ड्रग्स के नशे से मरने वालों की संख्या
में भारी इजाफा हुआ है. मरने वालों की संख्या में 60 फीसद तक बढ़ गई है. विश्व में
ड्रग्स के नशे के कारण तीन करोड़ लोग डिस्ऑर्डर का शिकार हो रहे हैं. नेशनल
सिक्योरिटी काउंसिल सेक्रेटरिएट के एक रिपोर्ट के अनुसार ये पूरा व्यापार अफगानिस्तान-पाकिस्तान
बॉर्डर, बांग्लादेश के रास्ते होता है. अफगानिस्तान दुनिया में अफीम का सबसे बड़ा
उत्पादक है. यहां सालाना 5000 से 6000 टन अफीम पैदा होती है. अफगानिस्तान से नाटो
सेनाओं की वापसी के बाद इसके उत्पादन में और बढ़ोतरी हुई है.
एम्स में नेशनल ड्रग डिपेंडेंस
ट्रीटमेंट सेंटर (एनडीडीटीसी) के 2019 के एक सर्वेक्षण अनुसार देश में 3.1 करोड़ लोग
मारिजुयाना ड्रग्स का सेवन करते हैं. मुंबई पुलिस के नारकोटिक्स सेल के अनुसार अच्छी
क्वॉलिटी वाला 10 ग्राम वीड करीब 5,000 रुपये में मिलता है. ड्रग्स
का धंधा पूरी दुनिया में फैला है और भारत की भौगोलिक स्थिति उसकी सप्लाई में अहम
भूमिका निभाती है. भारत हेरोइन और हशीश का उत्पादन करने वाले देशों के बीच में
स्थित है. गोल्डन ट्रायंगल (थाइलैंड-लाओस-म्यांमार) और गोल्डन क्रीसेंट (अफगानिस्तान-पाकिस्तान-ईरान)
के कई देशों की सीमाएं भारत से मिलती हैं. इसकी वजह से भारत में ड्रग्स को
पहुंचाना आसान हो जाता है. एजेंसियों के अधिकारियों के अनुसार देश में हर साल करीब
10 लाख करोड़ रुपये का ड्रग कारोबार किया जाता है. जिसमे अधिकतर कारोबारों आतंकी
गतिविधियों में शामिल होते हैं.
ऐसे में यह बात समझनी होगी कि देश में
इतने बड़े पैमाने पर ड्रग के अवैध धंधे तभी चल सकते हैं, जब इसका सीधा संबंध
अन्तराष्ट्रीय गिरोह से जुड़ा हुआ हो. नाइजीरिया, इजरायल और रूस के विदेशी नागिरक गोवा
में चार्टर्ड प्लेन के जरिये ड्रग के अवैध बिजनेस का पूरा ईकोसिस्टम तैयार कर अपना
व्यापर करते हैं.
संयुक्त राष्ट्र के ड्रग्स ऐंड क्राइम
ऑफिस ने भी भारत को ड्रग्स के अवैध कारोबार वाले देशों में शामिल किया है. उसने
चेताया है कि भारत में ड्रग बेहद आसानी से ऑनलाइन मिल जाती है. संयुक्त राष्ट्र की
2019 की रिपोर्ट कहती है कि दुनिया भर में इंटरनेट पर ड्रग्स खरीदने का प्रचलन बढ़
रहा है. कुछ ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ड्रग्स की बिक्री के लिए क्रिप्टोकरंसी का भी
इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे
होने वाले आय को बड़े आतंकी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जाता है.
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