जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से आतंकी सक्रिय
हो गए हैं. कश्मीर घाटी में एक बार फिर से नब्बे की दशक जैसे हालात पैदा करने की
साजिश सीमापार से रची जा रही है. आर्टिकल 370 हटने के बाद से हतोत्साहित होकर आतंकी
आम लोगों को निशाना बनाने लगे हैं. एक कश्मीरी पंडित सहित तीन लोगों की हत्या के
बाद एक बार फिर आतंकियों ने दो लोगों की हत्या कर दी, जिसमें एक हिंदू और एक सिख है.
आतंकियों ने श्रीनगर के ईदगाह इलाके
में स्थित एक स्कूल में शिक्षकों को लाइन में खड़े कराकर पहले उनकी पहचान की, मोबाइल
फोन की जाँच की, उनके आइडेंटिटी कार्ड चेक किए, इसके साथ ही आतंकियों ने उनसे
पूछताछ भी की और उनमें से जो मुस्लिम थे उन्हें छोड़ दिया. फिर दो गैर-मुस्लिम
शिक्षकों की पहचान कर हत्या कर दी.
शिक्षिका सतिंदर कौर और शिक्षक दीपक
चंद की जिस प्रकार से हत्या हुई है उसको लेकर लोगों में खौफ और गुस्से का माहौल
है. सतिंदर कौर की माँ ये सवाल पूछ रही है की आतंकवादी को गोली क्यों नहीं मारी
गई, उनकी बेटी की क्या कसूर थी? सतिंदर कौर स्कूल की प्रिंसिपल और दीपक कौल शिक्षक
और कश्मीरी पंडित थे. आतंकी पहले से ही घात लगाए हुए थे और जैसे ही स्कूल खोलने के
लिए दोनों शिक्षक वहाँ पहुँचे, आतंकी
स्कूल में घुस गए.
आतंकियों की तलाश में सुरक्षाबलों ने
भी सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है. बीते एक सप्ताह के भीतर घाटी में 7 नागरिकों की
हत्या हुई है. इसमें से 4 गैर-मुस्लिम हैं. माना जा रहा है कि
इस तरह के हमलों का मकसद गैर-मुस्लिमों को डराना है, ताकि कश्मीरी पंडित घाटी में बसने के लिए तैयार ना हों और जो
गैर-मुस्लिम घाटी में हैं,
वे डरकर भाग जाएँ.
5 अक्टूबर को आतंकियों ने अलग-अलग हमलों में तीन आम नागरिकों की हत्या कर दी थी. मारे गए लोगों में से एक कश्मीरी पंडित माखनलाल बिंदरू श्रीनगर के प्रसिद्ध केमिस्ट थे. आतंकियों ने उनके दुकान में घुसकर उन्हें गोली मारी थी. दूसरी घटना में श्रीनगर के लाल बाजार इलाके में शाम के करीब साढ़े आठ बजे बिहार के गोलगप्पा बेचने वाले व्यक्ति की हत्या कर दी गई.
पुलिस के
अनुसार, श्रीनगर के मदीन साहब लालबाजार के पास
आतंकियों द्वारा मारे गए शख्स की पहचान वीरेंद्र पासवान के तौर पर हुई है. हालिया
घटना के बाद से सरकार और सेना दोदों एक्शन में है, जल्द हीं घटना को अंजाम देने
वाले आतंकियों को ढेर कर दिया जाएगा.
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