बांग्लादेश में हिन्दुओं पर जिहादियों के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. हिन्दू धर्मस्थलों, पूजा पांडालों को तहस-नहस करने के पश्चात हिन्दू परिवारों पर लगातार आक्रमण हो रहे हैं. अकेले दुर्गापूजा के दौरान बांग्लादेश के 22 से ज्यादा जिलों से हिंसा की घटनाएं घट चुकी हैं. बांग्लादेश में हिंदुओं के 150 से ज्यादा दुर्गा पूजा पंडाल और इस्कॉन मंदिर को आग के हवाले कर दिया गया. देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़ दीं. हिंदुओं को मारा-पीटा गया. माताओं-बहनों की इज्जत लूटी जा रही है. हिन्दू परिवार बांग्लादेश से पलायन करके भारत में शरण ले रहे हैं.
यह क्रम आज से नहीं अगस्त 1946 के जिन्ना के डायरेक्ट एक्शन से ही चल रहा है. लाखों की संख्या में हिंदू विभाजन के बाद प्राण बचाते हुए भारत भागे थे और आज भी भाग रहे हैं. उस वक्त तब पूर्वी पाकिस्तान में 28% हिंदू हुआ करते थे, आज 8.5% रह गये हैं वो भी भाग कर भारत में आरहे हैं.
सन् 1950 में करीब 10 हजार हिदुओं का ढाका में नरसंहार हुआ. ढाका इलाके से कुछ ही महीनों में हिंदुओं की सफाई हो गयी. जो बच गए उनका सफाया होरहा है. बंगाल के ही अनुसूचित वर्ग के नेता जिन्होंने जिन्ना व मुस्लिम नेतृत्व में विश्वास था, वे जोगेंद्र नाथ मंडल पाकिस्तान के विधि मंत्री भी बतौर शरणार्थी भाग कर भारत आये.
पश्चिम बंगाल में बाद के वर्षों में बड़ी संख्या में मुसलमान आने लगे. आज फिर से लगभग वही स्थिति देखने को मिल रही है. इसबार बड़े पैमाने पर बांग्लादेशी हिन्दू बंगाल और देश के अन्य राज्यों से पलायन करके आएं है. सबके मन में डर और दहशत का माहौल है.
बांग्लादेश में दुर्गा पूजा पंडालों पर आक्रमण कर मुस्लिम कट्टरपंथियों ने मूर्तियों को खण्डित किया, दो श्रद्धालुओं को मार डाला. इस्कॉन मंदिर पर हमला हुआ. इतिहास अपने को दुहरा रहा है. वहां करीब एक करोड़ हिंदू रह गये हैं. अब उनको भी उजाड़कर हटाने और भारत भेजने का लक्ष्य जिहादियों ने तय किया है.
ऐसे में अब सवाल उठने लगा है कि क्या बांगलादेश के हिंदुओं को सुरक्षित करने के लिए कोई बड़ा कदम उठाने का समय आ गया? आखिर बांग्लादेश पर कब कार्रवाई होगी ? अगर इस बात का समाधान नहीं हुआ तो फिर एक करोड़ सत्तर लाख बांग्लादेशी हिंदुओं के लिए एक बड़ी समय खड़ी हो जाएगी.
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