टीण्वीण् पर आने वाले भिन्न.भिन्न रियलिटी शो को देखकर कई बार आपका मन भी ललचाता होगा और आप भी अपने अंदर कोई ना कोई टैलेंट ढूंढ़ने लग जाते होंगे ताकि आप भी टी वी की दुनिया के चमकते सितारे बन सकें आप तो फिर भी समझदार हैं लेकिन जरा सोचिए उन बच्चों का क्या जिनके बचपन के साथ खिलवाड़ कर रियलिटी शो निर्माता अपनी टीआरपी भुनाते हैं पहले बात युवाओं और वयस्कों तक ही सीमित थी लेकिन अब बच्चों को भी अपने फायदे के लिए प्रयोग किए जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है कोई भी टी वी चैनल खोल लीजिए एक ना एक तथाकथित रियलिटी शो आपको जरूर नजर आ जाएगा जिसमें बच्चे हंसते गातेए कॉमेडी या फिर अदाकारी करते दिख जाएंगे लेकिन रियलिटी शो की रंगीन दुनिया इतनी भी रंगीन नहीं है क्योंकि यहां बच्चों के सपने सजाए नहीं उन्हें सिर्फ तोड़ा जाता है और वो भी इसलिए ताकि टीवी देख रहे दर्शकों को उनके साथ सांत्वना हो और वह चिपक कर टी वी के साथ बैठ जाएं
रियलिटी बेचकर बच्चों को जहां अति महत्वकांक्षी बनाया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ अभिभावकों समेत उन छोटे.छोटे बच्चों में भी प्रतिस्पर्धा का एक ऐसा बीच बोया जा रहा है जो उन्हें हार सहन करने ही नहीं देता वह कुछ भी देखने.समझने में लाचार हो जाते हैं जिसकी वजह से अभिभावक अपने बच्चे पर जीत का दबाव बनाने लगते हैं बच्चे मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होते ऐसे में अपनी प्रतिभा दिखाने के बाद रियलिटी शो के जज के सामने आकर अगले राउंड के लिए सलेक्ट होना या ना होने जैसा सफर उनके लिए बिल्कुल आसान नहीं होता लेकिन फिर भी माता.पिता उन्हें इस रास्ते पर चलने के लिए मजबूर करते हैं
इस बात से आप या हम कोई भी इंकार नहीं कर सकता कि जहां कुछ माता.पिता अपने बच्चों के जरिए अपने सपने पूरा करने की कोशिश में होते हैंए क्योंकि वे सिंगर बनना चाहते थे इसीलिए उनके बच्चे को भी गायक ही बनना है क्योंकि वो हीरो बनना चाहते थे इसीलिए उनके बच्चे को भी हीरो ही बनना हैए बस इसीलिए वह अपने बच्चे पर अप्रत्यक्ष तौर पर जीतने के लिए दबाव बनाने लगते हैं बिना यह समझे कि इस दबाव को उनका बच्चा सहन कर पा रहा है या नहीं वहीं दूसरी ओर कुछ बच्चे ऐसे होते हैं जो घर से भागकर ऑडिशन देने पहुंचते हैं इन बच्चों को उनके माता.पिता का समर्थन प्राप्त नहीं होताए जो कि अपने आप में तकलीफदेह है
किसी टैलेंट शो में अगर बच्चे का चयन हो जाता है तो जाहिर तौर पर यह खुशी की बात है लेकिन जब बच्चा असफल साबित हो जाता है तो एक तो वह पहले ही परेशान हो जाता है उसके ऊपर माता.पिता का स्वभाव उसे और दुखी करने लगता है घर पर पड़ने वाली डांट का डर उन्हें तंग करता है शो से बाहर होने के बावजूद वह यह मानने से भी इंकार कर देते हैं कि जिस टैलेंट की खोज की जा रही है वह उनमें है ही नहीं घर और बाहरए उसके पड़ोसीए रिश्तेदारए यहां तक कि परिवारवाले तक दूसरे बच्चों से उसकी तुलना की जाती है जिसकी वजह से उसके अंदर हीन भावना घर कर जाती है
रियलिटी शो में भाग सिर्फ इसीलिए लेना कि जीतकर ही आना है व्यक्ति के मनोबल को ऑडिशन देने से पहले तो मजबूत करता है लेकिन अगर किसी कारणवश उसे हार का मुंह देखना पड़े तो यही मनोबल धाराशायी हो जाता है बच्चा भी समझ जाता होगा कि रियलिटी शो में भाग लेकर खुद को अन्य बच्चों से बेहतर साबित करना कोई बच्चों का खेल नहीं है इस हार के बात उसका बचपना तो उसका साथ छोड़कर चला ही जाता है लेकिन जीवन की एक कड़वी रियलिटी से वो रूबरू हो जाता है
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