21 May 2013

क्या जनता के लिए “भ्रष्टाचार” चुनावी मुद्दा नहीं है ?

हाल ही में हुए एबीपी न्यूज.नील्सन सर्वे के नतीजों पर गौर करें तो यदि आज चुनाव हो जाए तो यूपीए सरकार फिर से सरकार नहीं बना पाएगी। दिल्लीए उत्तर प्रदेशए महाराष्ट्रए बिहार समेत 21 राज्यों में हुए इस सर्वे के नतीजे ना सिर्फ कांग्रेस के विरोध में जा रहे हैं बल्कि भारी मतों से कांग्रेस की हार भी सुनिश्चित प्रतीत हो रही है। लेकिन वहीं अगर हम 2012.13 के बीच हुए विधानसभा चुनावों के नतीजे देखें तो एबीपी न्यूज.नील्सन सर्वे के उलट ही हमें हर जगह कांग्रेस की जीत ही नजर आई है। जिसके बाद यह एक बहस का विषय बन गया है कि क्या एबीपी न्यूज.नील्सन सर्वे को आधार मानकर आगामी लोकसभा चुनावों में बड़े बदलावों की अपेक्षा की जा सकती है या फिर कांग्रेस की जीत के हालिया उदाहरण ही मिशन 2014 की तस्वीर पेश करने के लिए काफी हैं। बुद्धिजीवियों का वो वर्गए जो कांग्रेस की हार को मात्र एक भ्रम कह रहा हैए उसका कहना है कि भले ही कांग्रेस भ्रष्टाचार के बड़े.बड़े आरोपों से जूझ रही हो लेकिन जनता इस बात को समझती है कि कोई भी सरकार या राजनीतिक दल दूध का धुला नहीं है।
 
 सत्ता में आने के बाद हर कोई ताकत और पैसे के नशे में चूर हो जाता है। लेकिन जनता यह समझती है कि जिस तरह कांग्रेस ने देश की कमान संभाली हैए वह कोई अन्य दल कर ही नहीं सकता क्योंकि अंदरूनी कलहों और मतभेदों की वजह से कोई भी जनता के हित में काम नहीं कर पाएगाए जिसके परिणामस्वरूप जो हालात आज है उससे भी कहीं ज्यादा बदतर हालातों का सामना करना पड़ सकता है। कर्नाटकए हिमाचल प्रदेशए उत्तराखंड आदि राज्यों में कांग्रेस को मिली जीत यही जाहिर करती है कि जनता के बीच कांग्रेस का करिश्मा अभी भी बरकरार है और उसे कोई टक्कर नहीं दे सकता। जनता चाहे कुछ भी कह ले या सोच ले लेकिन बात जब वोट डालने की आती है तो वह उसे ही चुनती है जिसे वह सही समझती है।

लेकिन दूसरी ओर एबीपी न्यूज.नील्सन सर्वे को आगामी लोकसभा चुनावों का परिणाम मानने वाला बुद्धिजीवी वर्ग कुछ और ही तर्क दे रहा है। इस वर्ग के अनुसार कर्नाटक चुनाव जिसमें कांग्रेस की जीत को उसकी लोकप्रियता करार दिया जा रहा है वह कांग्रेस की जीत नहीं बल्कि भाजपा की हार थी। येदियुरप्पा के भाजपा से अलग होते ही यह स्पष्ट हो गया था कि वहां भाजपा जीत ही नहीं सकती। यहां तक कि भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी भी यह चुके हैं कि अगर कर्नाटक में भाजपा को जीत मिलती तो यह उनके लिए हैरानी का कारण बनता। नील्सन सर्वे के अनुसार उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मात्र 5 सीटें ही हासिल होंगी जबकि पिछले लोकसभा चुनावों में इनकी संख्या 21 थी। 
 
महाराष्ट्र में जहां कांग्रेस गठबंधन को पिछले साल 29 सीटें मिली थीं सर्वे के अनुसार उनकी संख्या घटकर मात्र 16 रह जाएगी। पिछले लोकसभा चुनावों में दिल्ली के सभी सातों निर्वाचन क्षेत्र में जीत सुनिश्चित करने वाली कांग्रेस को इस बार 5 जगहों पर हार मिलने की पूरी संभावना हैए वहीं दूसरी ओर बिहार में भी कांग़्रेस के लिए कोई उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही है। एबीपी न्यूज.नील्सन सर्वे देश के 21 राज्यों में किए गए और सभी ओर से नतीजे कांग्रेस के विरोध में ही जाते नजर आ रहे हैं। एबीपी न्यूज.नील्सन सर्वे को प्रमाण मानने वाले बुद्धिजीवियों का कहना है कि श्जनता कांग्रेस के सभी हथकंडों को अच्छी तरह समझती है इसीलिए वह अब दोबारा उस पर विश्वास करने का जोखिम नहीं उठा सकती। यह नतीजे भी उसी जनता की प्राथमिकताओं पर आधारित हैं जिसके वोट से राजनीतिक दलों की किस्मत तय होती है और अब जब इन्हीं नतीजों में जनता का रुख साफ दिखाई दे रहा है तो कैसे यूपीए सरकार के जीत की बात की जा सकती है।

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