10 May 2013

क्या वन्दे मातरम का विरोध देशद्रोह नहीं है ?

                             यह वंदेमातरम उसी शक्तिशाली युग की शुभ गाथा है।
                          तुमने इसे अपमान किया, खण्डित भारत का मान किया॥
                       वंदेमातरम सम्प्रदाय का परिचायक है, तूने कैसे मान लिया॥
                             यह वंदेमातरम शब्द नहीं यह भारत माँ की पूजा है।
   

इस देश की आजादी का अगर इसे महामंत्र कहा जाए तो गलत नहीं होगा। देश के सभी क्रांतिकारियों और देशभक्तों ने इस महामंत्र का प्रयोग अंग्रेजों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए किया था। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद भी चाहते थे कि संसद की कार्यवाही वंदे मातरम् के गायन से हो। मगर आज ऐसा लगता है की हमारे देश के माननीय अपने आप को संसद, संविधान और राष्ट्र से भी उपर समझने लगे है। वंदे मातरम् का बॉयकॉट करके बसपा के सांसद शफीकुर्रहमान बर्क ने एक बार फिर शहीदों का अपमान किया है। साथ ही राश्ट्रगान का अपमान के अलावे उन्होने लोकसभा कार्य संचालन विधि का भी उलंघन किया है। लोकसभा कार्य संचालन विधि के अनुसार कोई भी सांसद सदन से बाहर नहीं जा सकता है, जब राष्ट्रगीत बज रहा हो। क्या ये संसद और संविधान का घोर अपमान नहीं है। क्या ये सदन का अवमानना नहीं है। क्या एैसे सांसद को देषद्रोही घोशित नहीं करना चाहिए? क्या ये मानमीय अपने आप को लगता है इस्लाम के खिलाफ वंदे मातरम् बताने वाले महोदय खुद हिंदुस्तान के इतिहास से अनजान हैं। बीएसपी सांसद शफीकुर्रहमान बर्क का कहना है कि वंदेमातरम इस्लाम के खिलाफ है इसलिए वह लोकसभा छोड़कर चले गए थ। ये एक सांसद हैं लेकिन ये नहीं जानते कि वंदे मातरम् के विवाद को बरसों पहले ही मौलाना आजाद जैसे राजनीतिज्ञ सुलझा चुके हैं। मगर 21वीं सदी में भी शफीकुर्रहमान बर्क जैसे नेता बार-बार  विवाद का जन्म दे रहें हैं। इस्लाम भी इस बात कि इजाजत नहीं देता कि आप राष्ट्र के प्रतीकों का अपमान करें।

तो एैसे में सवाल खड़ा होता है की आखिर ये मानमीय किस अधार पर ऐसे हरकत कर रहे है? क्या ये किसी साजि़स का हिस्सा है, या किसी अंतराश्ट्रीय अलगावादीयों के कहने पर एैसा कर रहे है? कोई इसे ‘तालिबानी आचरण’ करार दे रहा है तो कोई राश्ट्रद्रोह, मगर यहा सवाल ये है की संविधान निर्माता बाबा साहेब आम्बेडकर के नाम और विचारधारा के साथ सर्वजन हिताय सर्वजनय सुखाय की नारा देने वाली बसपा आज चुप क्यों है। क्या एैसे सांसद की सदस्यता तुरंत नहीं होनी चाहिए ? ये महज संसद में राष्ट्र गीत का अपमान नहीं है। यह हर हिंदुस्तानी की देशभक्ति को लगी गहरी चोट है। शफीकुर्रहान बर्क के खिलाफ देश भर में गुस्सा और आक्रोष का माहौल है। वंदेमातरम यूथ बिग्रेड की ओर से राष्ट्र गीत का अपमान करने पर बसपा सांसद के खिलाफ थाना शाहगंज में राष्ट्रद्रोह का मुकदमा दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया गया है। विश्व के अनेक देशों के राष्ट्र गीत तो एैसे है की जिनसे दूसरे देशों की जनता को काफी ठेस पहुंचती है। ये देश दूसरे देश के अपमान या मानहानि के बजाय स्वयं के देश की प्रजा के स्वाभिमान, अभिमान और गुमान की ही पहली चिंता करते हैं। इस्लाम के नाम पर जिहाद जायज है तो क्या उनका इस्लाम राष्ट्रीयता का पाठ नही पढ़ाता है। ये सवाल शफीकुर्रहान बर्क जैसे हर भारतीय से है जो ऐसी भावनाएँ और शब्द हमें एक देश के नागरिक होने के बावजूद भी आत्मीय रूप से बिभाजित करते है। तो एैसे में सवाल खड़ा होता है की क्या, वन्दे मातरम् का विरोध देशद्रोह नहीं है।

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