28 May 2013

जिस्मानी रिश्तों के लिए जरुरी क्या है, समाज या रजामंदी ?

पाश्चात्य देशों की तरह भारत में भी गर्भनिरोधक और कॉंट्रासेप्टिव पिल्स का बाजार दिनोंदिन गर्माता जा रहा है। युवाओं के बीच ऐसी दवाओं की बढ़ती लोकप्रियता उनके जीवन में आते खुलेपन की ओर इशारा करती है। विवाह पूर्व शारीरिक संबंध बनाना आज के युवाओं के दृष्टिकोण में कोई सामाजिक निषेध नहीं बल्कि व्यक्तिगत रजामंदी बन गया है। सेक्स जिसे कुछ समय पहले तक सामूहिक वार्तालाप में भी शामिल नहीं किया जाता था आज उसे धड़ल्ले के साथ प्रचारित किया जा रहा है। हाल ही में मुंबई की एक फार्मा कंपनी ने 18 अगेन नामक एक ऐसी क्रीम को बाजार में उतारा है जिसकी सहायता से महिलाएं अपना खोया कौमार्य वापिस पा सकती हैं। हालांकि इससे पहले भी सर्जरी की मदद से महिलाएं एक बार फिर से खुद को वर्जिन महसूस कर पाती थीं लेकिन यह सर्जरी भारत समेत अन्य एशियाई देशों के लोगों के लिए महंगी साबित होती थी। ऐसे में 18 अगेन क्रीमए जिसका उपयोग बड़ी सहजता और सुलभता के साथ किया जा सकता है का भारतीय समाज में प्रवेश करना अपने आप में बहस का मुद्दा बन गया है कि क्या भारतीय समाज में संबंधों की गरिमा और उनका महत्व घटता जा रहा है

व्यक्तिगत स्वतंत्रता और उनके अधिकारों की पैरवी करने वाले लोगों का कहना है कि एक वयस्क व्यक्ति किससे और कब शारीरिक संबंध बनाता है यह उसकी अपनी मर्जी और सोच होनी चाहिए। यह पूरी तरह व्यक्तिगत मसला है जिसमें समाज या फिर किसी भी अन्य व्यक्ति को हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। व्यक्तिवाद का पक्ष लेने वाले लोगों का यह साफ कहना है कि आधुनिकता के निरंतर बढ़ते प्रचार.प्रसार के बाद भी अगर हम व्यक्ति के जीवन पर इस प्रकार पहरे लगाते रहेंगे तो यह वैयक्तिक रूप से बेहद निराशाजनक साबित होगा। आज की पीढ़ी की जीवनशैली काफी खुलापन लिए हुए हैं ऐसे में सेक्स को परंपरा से जोड़कर देखना हैरानी भरा कदम ही कहा जाएगा क्योंकि इसका संबंध संस्कृति से नहीं बल्कि व्यक्ति की अपनी मर्जी और उसके अपने निजी विचारों से है। उनके साथ किसी प्रकार की जबरदस्ती करना या संस्कृति के नाम पर उनके आपसी संबंधों को बाधित करना किसी भी रूप में न्यायसंगत नहीं है। कोई दो व्यक्ति अपने संबंध को आगे बढ़ाने के लिए शारीरिक रूप से नजदीक आते हैं तो यह उनकी अपनी सोच है इसमें समाज की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। कई बार प्रेम संबंध सभी सीमाएं पार करने के बाद भी सफल नहीं हो पाता तो आगे का जीवन बिना किसी परेशानी के बिताने के लिए अगर महिलाएं 18 अगेन या ऐसी कोई अन्य क्रीमों का उपयोग करती हैं तो इसके बुराई भी क्या है।


वहीं दूसरी ओर गर्भनिरोधक गोलियों और 18 अगेन जैसी क्रीमों की भारत में बढ़ती लोकप्रियता को सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से बेहद घातक समझने वाले लोगों का मत है कि अगर हर कोई व्यक्तिगत विचारों और मर्जी को ही प्राथमिकता देगा तो इससे सामुदायिक एकता और सामाजिक गरिमा को नुकसान पहुंचेगा। भारत में विवाह पूर्व शारीरिक संबंध हमेशा से ही निषेध हैं और रहेंगे। अगर किसी व्यक्ति की गतिविधियां सामाजिक गरिमा पर पर प्रहार करती हैं तो इसे किसी भी रूप में सहन नहीं किया जा सकता। गर्भनिरोधक गोलियों और कौमार्य वापिस दिलवाने वाली क्रीमों की बढ़ती मांग भारतीयों के गिरते नैतिक स्तर को दर्शाती है जो हमारी संस्कृति को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है। टीण्वीण् पर आने वाले इनसे संबंधित विज्ञापन को देखकर युवा पीढ़ी भटक रही है और अगर इस बढ़ते प्रचलन को रोका नहीं गया तो वो दिन दूर नहीं जब पाश्चात्य देशों की भांति भारत में भी लोग बिना किसी शर्म और लिहाज के सार्वजनिक तौर पर एक.दूसरे के साथ शारीरिक निकटता बनाते नजर आएंगे।

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