12 May 2013

तुम्हें कैसे परिभाषित करूं माँ !

कहते हैं भगवान हर जगह नहीं हो सकता इसीलिए उसने मां को भेजा। यही वजह है कि मां हर वो फर्ज निभाती हैं जिसकी उम्मीद हम उस शक्ति से करते हैं जिसे हमने कभी देखा तो नहीं मगर कई बार महसूस जरूर किया है। मांए यह वो शब्द है जो किसी भी बच्चे को सुरक्षित होने का आश्वासन देता है। भले ही परिवार के पालन.पोषण की जिम्मेदारी पिता की होती है लेकिन बच्चों की खुशियों का ध्यान एक मां से बेहतर और कोई नहीं रख सकता। तभी तो कहा जाता है कि आपकी मां बिना आपसे पूछे ये बता सकती है कि आपको क्या चाहिए। पिता के पारिवारिक स्वरूप और उनकी भूमिका को थोड़ा कठोर दर्शाया जाता है इसीलिए बच्चे पिता से भले ही अपने दिल की बात ना कह पाएं लेकिन मां के साथ वह अपनी हर छोटी से छोटी बात शेयर करते हैं।

मां की इतनी सारी खूबियां बताने के बाद आपका दिल और दिमाग उन सभी पलों से जुड़ी सुनहरी यादों को फिर से सहेजने लगा होगा जो कभी आपने अपनी मां के साथ गुजारे थे। लेकिन उन्हें अपने तक सीमित रखने से बेहतर है आप मंच के अन्य पाठकों के साथ भी अपने उन कभी न भुला पाने वाले क्षणों को साझा करें। उन्हें बताएं कि आप बचपन में कैसे अपनी मां को परेशान किया करते थेए अपने हर छोटे काम के लिए उन पर निर्भर रहा करते थेए स्कूल से आते ही मां के हाथ के खाने की खुशबू घर में महकने लगती थीए जब पढ़ाई या जॉब के लिए घर से दूर गए तो कैसे उनकी याद आपको हर समय सताया करती थी।

वैसे तो मां के प्यार का मोल चुका पाना किसी के भी बस की बात नहीं है लेकिन कुछ ही दिनों में यानि 12 मई को मदर्स डे के उपलक्ष्य में आप उन्हें यह तो बता ही सकते हैं कि आपके जीवन में उनकी क्या अहमियत हैए वह क्यों आपके लिए दुनिया में सबसे ज्यादा जरूरी हैं।

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