12 May 2013

आखिर गुड़िया से हैवानियत कब तक ?

गत वर्ष 16 दिसम्बर को दिल्ली बलात्कार कांड के बाद उमड़े जनाक्रोश के बाद केंद्र सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा के तमाम दावे किये थे ।मगर एक पल के लिए भी ऐसा नहीं लगता की देश में महिलाओं और मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म जैसे घटनाओं में तनिक भी कमी आई है।देश की राजधानी दिल्ली में हुए इस विभत्स बलात्कार काण्ड के बाद लग रहा था की शायद दिल्ली सरकार जागेगी और महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ पुख्ता कदम उठाएगी।मगर विकृत मानसिकता वाले दरिन्दे आज भी खुलेआम महिलाओं और मासूम बच्चियों को अपना निशाना बना रहे हैं।गत दिनों जब पूरा देश नवरात्र के दौरान बच्चियों को देवी के रूप में पूज रहा था उसी समय एक हैवान दरिन्दे ने दरिंदगी की सारी हदें पर करते हुए दिल्ली के गाँधीनगर में एक पांच साल की मासूम बच्ची के साथ घिनौना कार्य किया ,जिसे लेकर एक बार फिर से आम जनता को सडकों पर उतरना पड़ा है,और इस हैवानियत भरे दुष्कर्म को लेकर देश की संसद में भी काफी हंगामा हुआ । पांच वर्ष की एक बच्ची के साथ अमानुषिक तरीके से दुष्कर्म की घटना सामने आने के बाद जहां दिल्ली एक बार फिर शर्मसार हुई है,वहीं इस मुद्दे को लेकर हुए प्रदर्शनों ने 16 दिसंबर के सामूहिक दुष्कर्म के बाद की हालत की याद ताजा कर दी। पीड़ित बच्ची को उसके पड़ोस में रहने वाले एक व्यक्ति ने अपहरण कर दो दिनों तक बंधक रखा, भूखे प्यासे रख कर उसे अमानवीय यातनाएं दी और दुष्कर्म किया। दरिंदगी झेल चुकी बच्ची अब अस्पताल में जिंदगी के लिए जूझ रही है,दुष्कर्म की शिकार बच्ची की गंभीर हालत को देखते हुए उसे एम्स में भर्ती कराया गया है।

पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर में रहने वाली बच्ची का अपहरण उसके पड़ोसी ने 15 अप्रैल को कर लिया था। दो दिनों तक अपने फ्लैट में बंधक बना कर कई बार दुष्कर्म करने वाले ने दरिंदगी की सारी हदें पार की और उसे भूखा-प्यासा रखा।17 अप्रैल को बच्ची की रोने की आवाज सुनने के बाद परिवार के लोगों ने उसे आजाद कराया । मासूम से दरिंदगी के मामले में घिरी दिल्ली पुलिस की खामियां गृह मंत्रालय की जांच में भी सामने आ गई हैं। जांच में पता चला है कि दिल्ली पुलिस सिर्फ इस मामले में ही नहीं, बल्कि पश्चिम बंगाल की सीएम से हुई बदसलूकी और गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के घर प्रदर्शनकारियों के घुस जाने के मामले में भी अपनी जिम्मेदारी निभाने में नाकाम रही। दिल्ली के पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार ने माना है कि पांच साल की बच्ची के साथ बलात्कार के मामले में पुलिसकर्मियों से लापरवाही हुई है। हालांकि उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने से इनकार किया है।अपने इस्तीफे पर उन्होंने पत्रकारों से कहा, ”यदि आपकी गलती के लिए संपादक इस्तीफा नहीं देता तो फिर मैं क्यों इस्तीफा दूं? यदि मेरे इस्तीफे से बलात्कार जैसी घटनाएं रूक जाएंगी तो मैं हजार बार इस्तीफा देने को तैयार हूं।”कुमार ने कहा कि इस मामले में पुलिस ने तुरंत कदम उठाए हैं। प्रदर्शनकारी को थप्पड़ मारने वाले एसीपी अहलावत को सस्पेंड कर दिया गया है। वहीं गांधीनगर थाने के एसएचओ और जांच अधिकारी को भी निलंबित कर दिया गया है।

दिल्ली में पांच साल की मासूम गुड़िया के साथ हुई दरिंदगी की घटना के खिलाफ गुस्से का उबाल सड़क से संसद तक चरम पर रहा।वहीं, ऐसी घटनाओं पर जवाबदेही और जिम्मेदारी तय करने को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली पुलिस कमिश्नर नीरज कुमार हाथ खड़े करते दिखे। कमिश्नर के बचाव में उतरे गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि बलात्कार की घटनाएं सिर्फ दिल्ली में नहीं बल्कि देश भर में हो रही हैं। वहीं, नीरज कुमार बोले कि गांधीनगर में बच्ची के साथ जिस तरह की वारदात हुई, वैसी घटनाओं को रोक पाना पुलिस के बस की बात नहीं है।अब सवाल ये है कि न तो सरकार मामले की जिम्मेदारी लेने को तैयार है और न ही पुलिस। ऐसे में कौन जिम्मेदारी लेगा इन घटनाओं की। बात अगर राजधानी दिल्ली की करें तो यहां पिछले एक पखवाड़े में ही बलात्कार की सात घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इन बच्चियों पर क्या बीती है, ये उनका दिल ही जानता है। पिछले दिनों गैंगरेप की शिकार हुई दिल्ली की फर्श बाजार की 13 साल की मासूम पुलिसिया रवैये से इतनी तंग आ गई कि उसने अपनी जिंदगी ही खत्म करने की कोशिश कर डाली।हैवान सिर्फ राजधानी में ही बच्चियों का शिकार नहीं कर रहे हैं। पूरे देश से दरिंदगी की दास्तान हमारे सामने आ रही हैं। 

 अब बात चाहे उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में बलात्कार की शिकार छोटी सी बच्ची की हो या फिर मध्य प्रदेश के सिवनी में हैवानियत की शिकार हुई मासूम की। तितलियां पकड़ने की उम्र थी। गुड़िया से खेलने की उम्र थी। दादी नानी की कहानियां सुनने की उम्र थी, एक खुशनुमा जिंदगी से रूबरू होने की उम्र थी लेकिन इन बच्चियों ने तो इसी उम्र में दुनिया का सबसे घिनौना, सबसे भयानक तस्वीर देख ली। बलात्कार, किसी हथौड़े कि तरह दिलो दिमाग पर चोट करता है ये लफ्ज। कन्या पूजन, नारी पूजन वाले इस देश में बलात्कार एक भयानक सच है। आंकड़े बताते हैं कि पिछले दस सालों में हमारा समाज कितना बर्बर हो गया है। एशियन ह्यूमन राइट्स और नेशनल क्राइन रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों के मुताबिक 2001 से 2011 तक दस सालों में देश में बलात्कार के मामले 336 फीसदी बढ़ गए हैं। दस सालों में देश भर में बलात्कार के 48 हजार 338 मामले दर्ज किए गए। दिल्ली में साल 2012 में बलात्कार के 706 मामले दर्ज हुए लेकिन पिछले तीन ही महीने में दिल्ली के दरिंदों ने बलात्कार की 393 घटनाओं को अंजाम दे दिया।

16 दिसंबर की रात दिल्ली में दुनिया का सबसे भयानक निर्भया बलात्कार कांड सामने आया था। पूरा देश हैवानों के खिलाफ उबल पड़ा था, लेकिन हैवानों की करतूत आप सुनेंगे तो सन्न रह जाएंगे। 16 दिसंबर से 31 दिसंबर तक सिर्फ 14 दिनों के भीतर राजधानी दिल्ली में बलात्कार के 40 मामले दर्ज किए गए। 16 दिसंबर की रात दिल्ली में जो कुछ भी हुआ था, उसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। तब हमने बलात्कार पर नए कानून बनाने की लड़ाई लड़ी थी। मगर सब कुछ के बावजूद सिस्टम नहीं बदला, हैवानों की हरकतें नहीं बदलीं। आखिर कितनी निर्भया, कितनी गुड़िया हैवानियत की भेंट चढ़ेंगी। इस देश की हर बेटियां पूछ रही हैं कि आखिर कब रुकेगा उस जैसी मासूमों पर हैवानियत का कहर।

ये कौन सा समाज दिया है हमने अपनी बच्चियों को। ये कौन सा माहौल बना रखा है हमने बेटियों के लिए, जहां न बच्ची घर में महफूज है और न ही सड़क पर। देश उबल रहा है, लेकिन हैवानों पर कोई असर नहीं है। दिल्ली में मासूम के साथ हुई दरिंदगी पर सियासत भी गरमा गई है। बलात्कार के दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग उठने लगी है। भाजपा ने कांग्रेस सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि केंद्र और दिल्ली की सरकार असंवेदनशील हो गई है और जनता उन्हें उखाड़ फेंकेगी। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने जनाक्रोश रैली में भाषण केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा कि दिल्ली में आएदिन बलात्कार की घटनाएं होती रहती हैं। सरकार संवेदनहीन हो गई है। ऐसी सरकार को गद्दी पर होने का कोई हक नहीं। हम दिल्ली की सरकार को भी बदलेंगे और केंद्र की भी।इस वजह से बजट सत्र के दूसरे चरण के हंगामेदार होने के भी आसार हैं। सवाल ये कि क्या वाकई में राजनीतिक पार्टियां इस मुद्दे पर संजीदा हैं या महज सियासी रोटियां सेंकी जा रही हैं?खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सामने आकर इस मुद्दे पर बयान देना पड़ा। प्रधानमंत्री ने कहा कि समाज को महिलाओं के मुद्दे पर संवेदनशील होना होगा। वहीं कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का कहना है कि अगर बलात्कारियों को सबक सिखाना है तो उन्हें जल्द से जल्द और कड़ी से कड़ी सजा देनी होगी। बच्चों से यौन हिंसा राजनीतिक मसला नहीं है। हमें मिलकर इसके खिलाफ लड़ना होगा और ये तय करना होगा कि दोषियों को जल्द और सख्त सजा मिले। कानून निर्माता और समाजशास्त्रियों को मिलकर इस पर विचार करना होगा ।

लेफ्ट पार्टियों ने भी मासूम के साथ हुई दरिंदगी की निंदा करते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस रेप के मामले रोकने में नाकाम रही है। सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि ये हमारे लिए चिंता की बात है। वहीं सीपीआई नेता डी राजा ने कहा कि ये गंभीर मामला है। मेरे पास घटना की निंदा करने के लिए शब्द भी नहीं है।जेडीयू नेता शिवानंद तिवारी का कहना है कि सख्त कानून के साथ साथ समाज को अपनी मानसिकता भी बदलनी होगी, तभी जाकर बलात्कार की घटनाएं रुकेंगी। कल्पना करना भी मुश्किल है कि इस तरह का विचार भी लोगों के मन में कैसे आता है। इसका अध्यन होना चाहिए कि क्यों समाज के लोगों में इस तरह के विचार आ रहे हैं।मालूम हो कि 16 दिसंबर को दिल्ली में हुई दरिंदगी के बाद भी सियासी माहौल गरमाया था। नेताओं के तरह-तरह बयान आए थे। इस बार भी ऐसा हो रहा है। अगर हमारे नेता कई पार्टी राजनीती से ऊपर उठकर समाज और लोगों का भला सोचे तो बदलाव नामुमकिन नहीं।

No comments:

Post a Comment