12 May 2013

आखिर दुनिय हम पर क्योँ हँसती है ?

ये तो बहुत ही चिंता का विषय हो गया कि दुनिया हम पर हँस रही होगी. ये हमारे प्रधानमंत्री जी को भी बहुत देर में समझ में आया कि दुनिया हम पर हँसती भी है. अभी तक तो यही माना जा रहा था कि विश्वगुरु (पता नहीं कब) का स्वघोषित खिताब चपेटे भारत की हरकतों पर दुनिया गंभीरता से विचार करती है, उसका अनुसरण करती है. वैसे अनुसरण तो दुनिया को करते तो देखा नहीं, हाँ भारत को ही दुनिया की नक़ल करते अब देखा जा रहा है. ‘नक़ल हमेशा होती है, बराबरी कभी नहीं’ का फंडा भी इसी देश ने दिया इसके बाद भी नक़ल की तरफ सदा प्रेरित रहा. बहरहाल, बात दुनिया के हंसने की…
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चलिए इतनी सारी बकवास बातों के बाद, तमाम सारे आरोपों के बाद, अनगिनत घोटालों के बाद सरकार को लगा तो कि दुनिया इस देश की हरकतों पर हँस भी रही होगी. ये अपने आपमें भ्रामक तथ्य भी है कि दुनिया अब हँस रही होगी. अभी तक तो दुनिया की तरफ से कोई ऐसा संकेत नहीं मिला है, जिससे एहसास हो कि दुनिया हँस रही है. इसके अतिरिक्त अभी ऐसा कोई कदम सरकारी स्तर पर नहीं उठाया गया है जिस पर दुनिया को कुछ अचरज लगे और वो हंसने की कवायद करे. अभी तक जो कुछ भी हुआ है वो जब पहली बार हुआ तब तो दुनिया ने हंसने की कोशिश की नहीं और जब समूची दुनिया ऐसी हरकतों की आदी हो गई है तब सरकार ये कह कर डराने की कोशिश कर रही है कि दुनिया हम पर हँस रही होगी.
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अरे सोचो जरा, जब दुनिया हमारे भ्रष्ट तंत्र पर नहीं हँसी, जब दुनिया ने हमारे रिश्वतधारी, घोटाला-सम्राट नेताओं, मंत्रियों, अधिकारीयों, क्लर्कों, चपरासियों तक पर हंसने की जहमत नहीं की, जब दुनिया ने संसद में, विधानसभाओं में चलते जूते-चप्पलों पर हंसने का प्रयास नहीं किया, दुनिया ने अनर्गल आरोप-प्रत्यारोपों पर हंसने का काम नहीं किया, खुलेआम होते रेप कांडों पर, मासूम बच्चियों के साथ यौनाचार किये जाने पर दुनिया ने हंसने जैसा काम नहीं किया, आतंकवादियों, अपराधियों के लिए सर झुकाते महोदयों के व्यवहार पर दुनिया नहीं हँसी, जिस देश में डकैत, हत्यारे, बलात्कारी सदन की शोभा बन जाते हों उस पर दुनिया ने हंसने की नहीं सोची, चिरकुट से पड़ोसियों की गीदड़ भभकी के सामने घुटने टेकने पर दुनिया ने हमें हँसी का पात्र नहीं माना, पडोसी देश के द्वारा सीना ठोंक कर जमीन कब्जाने पर भी दुनिया ने हम पर हंसने की कोशिश नहीं की और भी बहुत कुछ हुआ जिस पर दुनिया चाहती तो हँस सकती थी किन्तु वो नहीं हँसी तो अब ऐसी कौन सी विद्रूप हरकत हमारे माननीय लोगों ने कर दी कि दुनिया हँसती.
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इसलिए हे माननीयो, निःसंकोच अपने कलुषित कामों को अनवरत जारी रखो. जो देश विश्वगुरु रहा हो, विश्वगुरु बनने की तरफ है, जिस देश के माननीय यौन अपराधों में लिप्त हों, जिस देश के सिपहसालारों के लिए भ्रष्टाचार-रिश्वतखोरी प्राथमिकता हो, जिस देश में एड्स रोगी बढ़ रहे हों, जिस देश में नग्नता संस्कार बन रही हो, जिस देश में रिश्ते देह के पैमाने पर बनाये जा रहे हों, जिस देश में अघोषित राजशाही हो, जिस देश में कुछ लोगों को छोड़ सब असुरक्षित-वंचित-भयभीत-शोषित हों (आदि-आदि) उस देश पर हंसने की औकात दुनिया की नहीं हो सकती है. लगे रहो-लगे रहो…कोई कुछ भी कहे बस लगे रहो….यदि कोई हँसे भी तब भी लगे ही रहो.

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