आपने अबतक तालिबान की आतंकी दास्तां
बहुत सुना और देखा होगा, मगर आज हम आपको तालिबान का वो खौफनाक चेहरा दिखाना चाहते
हैं जिसकी आप कभी कल्पना नहीं कर सकते हैं. आज तालिबान पूरी दुनिया में आतंक का वो
पर्याय बन चुका है जिसे सून कर मानवता की रूह कांप उठती है. आज पूरी दुनिया में
महिला अधिकारों की बात होरही है तो वहीँ दूसरी ओर तालिबान में महिलाओं को अपने मन
की बात कहने, पुरुषों के साथ काम करने की आज़ादी नहीं है. अगर किसी महिला का व्यभिचार सामने आता है तो इसके लिए उसे
पत्थर या सीधे चौराहे पर खड़ा करके गोली मार दी जाती है. अपने मन मुताबिक कपड़े नहीं
पहन सकती हैं तालिबानी महिलाएं, इसके लिए भी उन्हें दण्डित किया जाता है.
आज अफगानिस्तान की कठोर वास्तविकता ये है
कि लाखों लड़कियों और महिलाओं को तालिबान के पैरों तले रौंदा जारहा है. शरिया
कानून का आतंक इसकदर है की महिलाएं काम नहीं कर सकती, लड़कियां स्कूल नहीं जा सकती. इतना हीं
नहीं महिलाओं को सार्वजनिक रूप से अपना चेहरा ढंकना पड़ता है और हमेशा एक पुरुष के
साथ रहना पड़ता है. अपने रिश्तेदार के साथ भी कोई महिला या लड़की घर से बाहर नहीं
जासकती है. यहां तक की महिलाओं के लिए सार्वजानिक सौचालय तक का इस्तेमाल करने पर
प्रतिबंध है.
संयुक्त राष्ट्र ने जुलाई में रिपोर्ट दी थी कि अफगानिस्तान में 2021 की शुरुआत के बाद से नागरिकों की मौत में लगभग 50% की वृद्धि हुई है. आकड़े बताते हैं की क्रूरता और यातनाओं का आतंक इतना कठोर है की लोगों के जीवन जीने का अधिकार अब तालिबान के रहमों करम पर निर्भर है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार पहले छह महीनों की तुलना में महिलाएं और बच्चे अधिक संख्या में मारे गए. तालिबान की टेढ़ी तरकश से आम तालिबानियों का जीवन अंधकारमय बन होचुका है और महिलाओं की ज़िन्दगी काली कोठरी में कैद होचुकी है.
तालिबान 15 से 45 बर्ष के उम्र की लड़कियों और महिलाओं की सूचि तैयार कर रहा है, ताकी तालिबानी आतंकी उनसे शादियाँ कर सकें. मतलब साफ और की तालिबान में महिलाओं का जीवन नर्क से बत्तर होने वाला है. आज यही कारण की लोग अब अफगानिस्तान को छोड़ कर किसी भी तरह भाग जाना चाहते है.
महिलाओं के लिए तालिबान के नियम
1. महिलाओं को बिना खून के रिश्तेदार या बुर्के के सड़क पर नहीं निकलना चाहिए
2. किसी भी पुरुष को किसी महिला के आदर्श वाक्य नहीं सुनने चाहिए
3. महिलाओं को ऊँची एड़ी के जूते नहीं पहनने चाहिए
4. किसी महिला की आवाज किसी अजनबी को नहीं सुननी चाहिए
5. महिलाओं को घर के बालकनी से नहीं देखना चाहिए
6. महिलाओं को अपनी तस्वीरें लेने, वीडियो बनाने, अखबारों में प्रदर्शित करना मना है
7. किसी भी स्थान का नाम किसी महिला के नाम पर नहीं होनी चाहिए
8. महिलाओं को टेलीविजन पर या सार्वजनिक सभा में उपस्थित होने की अनुमति नहीं है
9. महिलाओं को सार्वजानिक शौचालय इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है
तालिबान का क्रूर दंड
01. सार्वजनिक जगह पर फांसी देता है
तालिबान
02. चोरों के हाथ काट दिए जाते है
03. व्यभिचार की आरोपी महिलाओं पर पथराव
किया जाता है
04. नेल पॉलिश लगाने पर अंगूठे की नोक काट
दी जाती है
05. पोशाक के उल्लंघन करने पर पैरों और पीठ
पर कोड़े मारा जाता है
06. 1.5 मीटर लंबी धातु से या चमड़े के चाबुक
से पीटाई करता है तालिबान
07. दूसरे धर्म में शादी करने पर मौत या
नाक-कान काट दी जाती है
तालिबान की आतंकी दास्तां
अफगानिस्तान
में मौत का आकड़ा 50 प्रतिशत तक बढ़ गया है
संयुक्त राष्ट्र ने जुलाई में रिपोर्ट
दी थी
अफगानिस्तान में 2021 की शुरुआत के बाद से लगातार मौतें
होरही हैं
नागरिकों की मौत में तेज़ी से बढ़ोतरी
हुई है
आकड़े बताते हैं की क्रूरता और यातनाओं का आतंक कितना
कठोर है
आम अफगानियों का जीवन तालिबान के रहमों करम पर
निर्भर है
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार
महिलाएं और बच्चे अधिक संख्या में मारे गए
तालिबान की वजह से अफगानियों का जीवन अंधकारमय होचुका है
महिलाओं की ज़िन्दगी काली कोठरी में कैद
हो चुकी है
तालिबान 15 से 45 वर्ष के उम्र की
लड़कियों, महिलाओं की सूचि तैयार कर रहा है
तालिबान अपने आतंकियों से लड़कियों और महिलाओं
की शादियां कराना चाहता है
डर के कारण लोग अफगानिस्तान छोड़कर किसी भी तरह भाग जाना चाहते हैं
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