26 August 2021

हिन्दू बनो नागरिकता लो धर्म छोड़ोगे तो नागरिकता भी जाएगी !

तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से अफगानी शरणार्थियों ने अपना नया ठिकाना भारत में ढूँढना शुरू कर दिया है. दिल्ली में रह रहे अफगानी मूल के लोगों ने अपनी वजूद के लिए संघर्ष शुरू कर दिया है. पिछले कुछ वर्षों से दिल्ली में रह रहे 21 हजार से अधिक लोगों में 60 फीसदी बचे लोगों को शरणार्थी का दर्जा देने, दीर्घकालीक वीजा या तीसरे देशों में जाने के लिए सपोर्ट लेटर जल्द दिलवाने की मांग कर रहे हैं. 

दिल्ली के वसंत विहार स्थित संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) के सामने महिलाएंपुरुषों ने हाथों में पोस्टर बैनर लेकर प्रदर्शन किये किए. ऐसे में सवाल अब ये उठने लगा है की क्या भारत कोई धर्मशाला है जहां पर कोई भी आए और उसे भारत की नागरिकता दे दी जाय...?

अफगान सॉलिडरिटी कमेटी के सामने प्रदर्शन करने वालों में 60 फीसदी से अधिक लोग अफगानी मूल के नागरिक हैं, जिसमे अधिकतर मुस्लिम समुदाय से हैं. ऐसे में इनको नागरिकता देने पर तरह-तरह के सवाल हिन्दुस्थान के लोगों के मन में है. सबसे बड़ी समस्या ये है की क्या ये के धर्म और संस्कृति का सम्मान करेंगे..? क्या अगर इन्हें नागरिकता मिलती है तो उसके साथ कोई शर्त होनी चाहिए..? क्या इन्हें नागरिकता सिर्फ हिन्दू धर्म अपनाने पर हीं देना चहिए..?

क्योंकी आज देश में शरणार्थियों का एक ऐसा वर्ग है जो आए दिन राष्ट्र और हिन्दू धर्म विरोधी गतिविधियों को हवा देने का कार्य कर रहा है. ऐसे में अगर शरणार्थियों को नागरिकता मिलती है तो इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है की ये कानून और संविधान के लिए चुनौती नहीं बनेंगे.

नागरिकता के नाम पर अपना दूकान चलाने वालों ने भी मौका देख अफगानी शरणार्थियों के समर्थन में आवाज़ उठाने लगे हैं. दिल्ली के मंडी हाउस पर वामपंथी महिला और छात्र संगठनों का प्रदर्शन हुआ. वामपंथ के जमावड़ा में जुटे लोगों ने सरकार से अफगानिस्तान के नागरिकों को स्वागत करने की मांग की. भारत ने यूएन रिफ्यूजी कन्वेंशन पर साइन नहीं किए है ऐसे भारत शरणार्थियों को वीजा या शरण देने के लिया बाध्य नहीं है. मगर वामपंथी समूह लगातार अफगानियों को नागरिकता देने की वकालत कर रहा है.

देश की राजधानी दिल्ली, मुंबई, जयपुर और बिहार सहित कई राज्यों में अफगानिस्तान के लोगों के साथ एकजुटता के नाम वामपंथी दलों और संगठनों ने इनके सुर में सुर मिलाया है. मुंबई के सामाजिक कार्यकर्ता, अफगानिस्तान के नागरिकों के साथ एकजुटता से खड़े होने के लिए राष्ट्रव्यापी आह्वान में शामिल हुए. वहीँ आजाद मैदान के प्रेस क्लब में भी एकजुटता बैठक का आयोजन किया गया. 

तो ऐसे में सवाल यहं ये भी खड़ा होता है की क्या अफगानियों के नागरिकता देने के नाम CAA आन्दोलन की तरह कोई बड़ी साजिश तो नहीं रची जारही है.

No comments:

Post a Comment