पूरी दुनिया में हिंदुत्व के बढ़ते
प्रभाव से वामपंथी गैंग घबराया हुआ है. उन्हें समझ नहीं आरहा है कि वो क्या करें. ऐसे
में अपनी हिंदुत्व विरोधी विचारधारा को जिन्दा रखने के लिए विदेशों में कांफ्रेंस
कर रहे हैं, ताकी हिंदुत्व को नुकशान पहुंचा सकें. इसके लिए कई अमेरिकी
विश्वविद्यालयों से इनलोगों ने संपर्क किया है ताकी इनके मंसूबों को धार मिल सके.
“डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व” 10 सितंबर से शुरू हो रहे तीन दिवसीय कार्यक्रम को करीब 40 विश्वविद्यालयों के 45 से अधिक केंद्रों और विभागों ने को-स्पांसर
किया है. इनमें अधिकतर विश्वविधालय अमेरिका के हैं.
अमेरिका सहित विश्व में कई देशों के
हिन्दू संगठनों ने इस कांफ्रेंस पर विश्वविद्यालयों से रोक लगाने की मांग की है. कांफ्रेंस
के विरोध में अमेरिकन हिन्दू संगठनों से अपना आक्रोश जाहिर किया है. “डिस्मेंटलिंग
ग्लोबल हिंदुत्व” के आयोजनकर्ताओं ने एक वेबसाइट भी बनाया है. वेबसाइट के होम पेज
लिखे एक लेख में हिन्दू को “मिलिटेंट” कहा गया है. अगर पूरे वेबसाइट की कंटेंट पर
नज़र डालें तो कांफ्रेंस का उदेश्य सिर्फ हिंदुत्व को नीचा दिखाने और उसे अपमान
करना है. वेबसाइट के माध्यम से आरएसएस, बीजेपी और भारत सरकार के खिलाफ जमकर जहर
उगला गया है.
ऐसे में इस कांफ्रेंस का उदेश्य सिर्फ राष्ट्र
विरोधी माहौल बनाना है. यहां सबसे गौर करने वाली बात ये है की इस सम्मेलन में जिन
वक्ताओं को शामिल किया गया है उनमें वे लोग हैं जो भारत और अमेरिका में हिन्दू
संगठनों के खिलाफ जहर उगलते हैं, हिंदुत्व व राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में
संलिप्त रहते हैं. जिसका खुलासा हम आपको इस कार्यक्रम के अगले रिपोर्ट में करेंगे.
कांफ्रेंस के वेबसाइट पर जिस प्रकार की
भाषा और शब्दों का इस्तेमाल किया गया है, उससे जहीर होता है कि इस पूरे कांफ्रेंस
के जरिये भारत के धार्मिक और अल्पसंख्यक विषयों पर हिंसा को बढ़ावा देने और
राष्ट्रीय एकता और अखंडता को चोट पहुंचाना है. इस कांफ्रेंस के जरिये नागरिकता
संशोधन अधिनियम 2019 को एकबार फिर से मिसइन्टरप्रेट किया जाएगा और लोकतांत्रिक सिद्धांतों को धत्ता बता
कर असंतोष को बढ़ाव दिया जायेगा और राष्ट्र विरोधी माहौल को खड़ा किया जाएगा.
इस कांफ्रेंस में भाजपा शासित केंद्र सरकार और उसके नीतियों को दुष्प्रचार किया जायेगा ताकी किसान आन्दोलन की तरह देश में एक अराजकता का माहौल खड़ा किया जासके. ऐसे में सवाल उन विश्वविधालयों पर भी खड़ा होता है कि कैसे इस तरह के वामपंथी, फासीवादी कांफ्रेंस का समर्थन और को-स्पांसर अमेरिकन विश्वविधालय कर रहे हैं ? सवाल यहां ये भी है की कैसे अमेरिका जैसे लोकतांत्रिक देश, भारत के लोकतंत्र, संविधान, सरकार, धर्म, जाती, लिंग, संप्रदाय जैसे विषयों पर जहर उगलने, असंतोष और वैमनस्य फ़ैलाने की इजाजत दे सकता है..?
डिस्मेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व
कांफ्रेंस के विवादित वक्ता
01. आनंद पटवर्धन: फिल्म निर्माता
विवादों
से नाता:
अयोध्या फैसले पर निराशा जताया था
बाबरी मस्जिद को राष्ट्रीय स्मारक बताया था
02.आयशा किदवई: प्रोफेसर, JNU दिल्ली
विवादों
से नाता: संघ, बीजेपी और सरकार पर विवादित बयान
03.बानू सुब्रमण्यम: प्रोफेसर, मैसाचुसेट्स विश्वविद्यालय, एमहर्स्ट
विवादों से नाता: हिंदुत्व और हिन्दू विरोधी बयान
04. भँवर मेघवंशी: मानवाधिकार कार्यकर्ता
विवादों से नाता: संघ विरोधी, जातिवादी आलोचक
कारसेवक और बाबरी ढांचा गिराने पर
विवादित पुस्तक का लेखन
05.कविता कृष्णन: सीपीआई (एमएल) की पोलित ब्यूरो सदस्य
विवादों से नाता: मोदी और सरकार विरोधी बयान
सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल, जम्मू के दक्षिणपंथी
नेताओं को आतंकवादी कहा, NIA पर सवाल और झूठा आरोप लगाया, गौ रक्षकों को गुंडा कहा
06. मीना कंडास्वामी: कथा लेखिका
विवादों से नाता: नारीवाद का समर्थक और जाति-विरोधी कथा का
लेखन
07. मोहम्मद जुनैद: पाकिस्तानी मूल के
बांग्लादेशी क्रिकेटर
विवादों से नाता: भारत विरोधी बयान, भारतीय क्रिकेटरों पर
अपमानजनक टिप्पणी
08. नंदिनी सुन्दर: प्रोफेसर, दिल्ली
यूनिवर्सिटी
विवादों से नाता: माओवादियों का समर्थक होने का आरोप है
इनपर
छत्तीसगढ़ पुलिस ने नंदिनी सुंदर पर हत्या
का मामला दर्ज की थी.
नंदिनी सुंदर की शिकायत करने वाले ग्रामीणों को नक्सलियों ने हत्या कर दी थी
09. नेहा दीक्षित: पत्रकार और लेखिका
विवादों से नाता: मुजफ्फरनगर दंगों पर हिन्दू विरोधी एकतरफा
रिपोर्टिंग.
सरकार विरोधी इन्वेस्टिगेटिव स्टोरी. सरकार और हिन्दू विरोधी मीडिया संस्थानों के लिए पत्रकारिता करती है
10. रितिका खेड़ा: एसोसिएट प्रोफेसर, आईआईटी
दिल्ली
विवादों से नाता: वन नेशन वन राशन योजना का विरोध
आधार कार्ड की अनिवार्यता का विरोध
केंद्र सरकार की योजनाओं पर सवाल
कुछ महत्वपूर्ण सवाल
1- हिन्दुओं के खात्मे के लिए खुलेआम कांफ्रेंस
करने तक की हिम्मत कैसे हो सकती है ?
2-
40 अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय हिंदुत्व को समाप्त करने के लिए
कैसे एक साथ आए ?
3- हिंदुत्व का ख़ात्मा करने का नारा देने
वालों ने इस्लाम या ईसाइयत के ख़ात्मे का नारा क्यों नहीं दिया ?
4- विश्वभर में फैले हिंदू इस षड्यंत्र को क्यों
नहीं समझ रहें हैं ? अगर समझ रहे हैं तो फिर विरोध क्यों नहीं करते ?
5- कांफ्रेंस के वक्ताओं में अधिकतर नाम हिंदू
है, वह
पहले अपने हिंदू ना होने की घोषणा करें
6- इतने बड़े षड्यंत्र के पीछे कौन है ? इसकी
जांच अभीतक क्यों नहीं हुईं ?
7- साधु-संतों और हिंदू संगठनों का इसपर कोई प्रतिक्रिया
क्यों नहीं आई है ?
8- अमेरिकी सरकार ने इस कांफ्रेंस को अनुमति कैसे
दे दी ?
9- इंटरनेट पर इसका खुला प्रचार हो रहा है, क्या
सोशल मीडिया कंपनियां किसी दूसरे मजहब के विरुद्ध ऐसे कैंपेन को चलने देती ?
10- इस कांफ्रेंस को एक्सपोज करने के लिए संपूर्ण हिन्दू एक क्यों नहीं होता ?
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