देश की राजधानी दिल्ली में जिहाद अपने चरम सीमा
पर है...आए दिन दिल्ली में कोई न कोई जिहाद का एक नया रूप सामने आजाता है. इसबार
एडमिशन जिहाद का एक ऐसा मामला सामने आया जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है. शिक्षा
का मंदिर कहे जाने वाला स्कूल आज जिहादियों के कब्जे में है... हमारे देश में
एक ओर जहां शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े वायदे किये जारहे हैं, वहीँ दूसरी ओर देश की
राजधानी दिल्ली में एक माँ 3 साल से लगातार अपनी बच्ची की एडमिशन करने के लिए
चक्कर लगा रही है..फिर भी उसे एडमिशन नहीं मिल रहा है.
अपनी बच्ची की शिक्षा और भविष्य को लेकर बेबस और
लाचार जहांगीरपुरी की रहने वाली डिम्पी की माँ दिल्ली सरकार
द्वारा संचालित सर्वोधय कन्या विधालय में एडमिशन कराने के लिए हर साल आवेदन करती है,..
मगर हमेशा सीट फूल होने का हवाला देकर उसे एडमिशन नहीं दिया जाता है. जब हमने
स्कूल का एडमिशन लिस्ट चेक किया तो चौकाने वाले तथ्य सामने आए..इस सर्वोधय विधालय
में 80 प्रतिशत से जयादा एडमिशन मुस्लिम समुदाय के बच्चों का किया गया है.
ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया सकता है की इस विधालय में एक खास समुदाय और वर्ग विशेष को हीं एडमिशन दिया जारहा है... ये पूरा खेल एडमिशन जिहाद से जुड़ा हुआ है. आप भी इस पूरे लिस्ट को ध्यान से देखिए कैसे पूरा का पूरा लिस्ट मुस्लिम समुदाय के बच्चों से भरा पड़ा है. लिस्ट में दो-चार नाम SC समुदाय के बच्चों का दिख रहा है..तो आईये हम आपको इसका भी कारण बता देते हैं.
दरअसल
कुछ सीटें विधालय में आरक्षण के तहत रिजर्व्ड है..ऐसे में इस सीट पर किसी अन्य
समुदाय का एडमिशन नहीं होसकता.. इसलिए सूचि में एक्का-दुक्का अगर हिन्दू नाम दिख
रहा है तो सिर्फ और सिर्फ आरक्षण की वजह से है. जो महज एक खानापूर्ति के लिए
दिखाया गया है. ऐसे में इस विधालय का पूरा एडमिशन संदेह के घेरे में है. इस एडमिशन
के माध्यम से कहीं न कहीं एक सन्देश देने की कोशिश की गई है की अगर आपको स्कूल में
एडमिशन कराना है तो आप मुसलमान बन जाईये आपके बच्चे को एडमिशन मिल जायेगा.
आज सर्वोदय विधालय में एडमिशन नहीं मिलने के कारण जहांगीरपुरी की डिम्पी शिक्षा से वंचित है. माता- पिता बच्ची की एडमिशन नहीं मिलने से हताश और निराश हैं और दर-दर भटक रहे हैं. दिल्ली सरकार के नाक के निचे एडमिशन जिहाद चल रहा मगर कोई भी नेता या अधिकारी जिहादियों की सुध लेने वाला नहीं है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है की क्या दिल्ली के सरकारी स्कूल में एडमिशन लेने के लिए मुस्लिम बनना हीं एकमात्र विकल्प है..?
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