उत्तराखंड की कांग्रेस सरकार ने केदार धाम में पूजा-अर्चना को अपनी राजनैतिक प्रतिष्ठा समझ रही है। दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान की ओर से लगातार पूजा सुरू कराने को लेकर मंदिर समिति पर दबाव बनाया जा रहा था।
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती और बदरी-केदार मंदिर समिति के अध्यक्ष और कांग्रेस विधायक गणेश गोदियाल ने भी केदारधाम में पूजा को लेकर दबाव बनाया। सरकार ने अपनी पूरी ताकत संपर्क से कटे गांवों को राहत देने के बजाय पूजा सुरू कर राजनीतिक लाभ लेने में लगा दी।
केदारनाथ में पूजा की पहल को राजनीतिक लाभ लेने के लिए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और कृषि मंत्री डा. हरक सिंह रावत मंदिर का मलबा साफ करते हुए अपनी फोटो खिंचवाते नजर आए। भाजपा के नेता भी पीछे नहीं रहे। पूर्व मुख्यमंत्री व राज्यसभा सदस्य भगत सिंह कोश्यारी और वरिष्ठ भाजपा नेता उमाभारती केदारधाम में पूजा करने पहुंच गए।
तेलगुदेशम पार्टी के नेता रमेश राव और कांग्रेस के हनुमंत राव राजनीतिक लाभ लेने के लिए पूजा के दिन आपस में भिड़ गए। केदारनाथ में पूजा को लेकर वहां के मुख्य पुजारी रावल और जगदगुरू शंकराचार्य में बहस ठन गई। कांग्रेस नेता और सांसद सतपाल महाराज ने कहा कि 5 अक्टूबर से शुरू होने वाले शारदीय नवरात्र से ही केदारनाथ मंदिर में पूजा शुरू की जानी चाहिए थी।
सतपाल महाराज ने कहा कि इस संबंध में सरकार को पुरोहित समाज से भी पूछना चाहिए था। मगर सरकार ने ऐसा नहीं किया। पूजा को सिर्फ 11 मंत्री और विधायकों ने सम्पन्न कराया कोई भक्त वहां मौजूद नहीं था।
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