एक ऐसा देश जहाँ अगली 16 तारीख से माँ दुर्गा के
नौ अलग अलग रूपों की दिन रात पूजा होगी| महिला पुरुष उपवास कर देवी को खुश
करने के लिए अपना तन मन धन सभी कुछ अर्पित कर देंगे| अब आपको दिखाते हैं
तस्वीर का दूसरा पहलू, इसी देश में नारी को वो चाहे किसी भी उम्र की हो उसे
पुरुष भूखे भेड़िये की तरह देखते हैं और जब भी मौका मिलता है उसकी अबरू को
तार तार कर देते हैं। अबतक तो आप समझ गए होंगे की हम बात कर रहे हैं भारत
देश की अपने वतन की| पिछले कुछ दिनों पर नज़र डालें तो हरियाणा, उत्तर
प्रदेश सहित पश्चिम बंगाल के अलग अलग कोने में नारी पुरुषों की हवस का
शिकार बनी है| कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी कहा, ''ये सच है कि
बलात्कार की घटनाएं बढ़ी हैं लेकिन ऐसा सिर्फ हरियाणा में नहीं देश के सभी
राज्यों में हो रहा हैं|' देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश जहाँ एक
युवा सत्ता का संचालन कर रहा है, वहां पिछले नौ महीनों में 1040 महिलाओं से
बलात्कार की घटनाएं सामने आयी हैं। रोज की खबरें देखने पर बलात्कार की एक
नहीं दो तीन खबरें आखों के सामने होती हैं। देश की राजधानी दिल वालों की
दिल्ली में भी लगातार बलात्कार की खबरें चर्चा में रहती है, यहाँ ये भी जान
लेना आवश्यक है कि ऐसे मामलों में गवाह भी मुकर जाते हैं और दोषी को सजा
नहीं मिल पाती। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आकड़ों के मुताबिक देश में
हर 20 मिनट पर एक बलात्कार होता है।
हमारे ही देश में उपलब्ध आंकड़ो के अनुसार महिलाओं के लिए भारत दुनिया में सबसे खतरनाक स्थान बन चुका है। देश के किसी भी कोने में महिलाएं सुरक्षित नहीं है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा 2011 में दिए गये आंकड़ों पर गौर करें तो सामने आयेगा की हर 20 मिनट पर एक बलात्कार होता है और तीसरा बलात्कार पीड़ित बच्चा होता है। उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि बलात्कार के आरोपी को सजा मिल ही नहीं पाती।
हमने जब उपलब्ध आकड़ों पर जमी धूल झाड़ी तो सामने आया कि वर्ष 2010 में मध्य प्रदेश में सबसे अधिक बलात्कार हुए। वहीँ हरियाणा में पिछले एक महीने के दौरान दर्जन भर बलात्कार के मामले सामने आए हैं।
अब यदि इन आकड़ों पर नज़र डालें तो स्पष्ट होता है कि ये वो मामले हैं जो पुलिस तक पहुंचे| हमारे देश का सामाजिक ढांचा कुछ ऐसा है कि बदनामी और अन्य कारणों से बलात्कार के अधिकतर मामले दर्ज ही नहीं होते। रसूखदार आरोपी के सामने हमारी पुलिस भी नतमस्तक नज़र आती है और समझौता करने का दबाव बना देती है|
प्रत्येक वर्ष बलात्कार के मामलों में बढ़ोतरी होती जा रही है। वर्ष 2011 में देशभर में बलात्कार के कुल 7,112 मामले सामने आए, जबकि 2010 में 5,484 मामले ही दर्ज हुए थे। आंकड़ों के हिसाब से एक वर्ष में बलात्कार के मामलों में 29.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि भारत में प्रतिदिन लगभग 50 बलात्कार के मामले थानों में पंजीकृत होते हैं। इस प्रकार भारतभर में प्रत्येक घंटे दो महिलाएं बलात्कारियों के हाथों अपनी अस्मत गंवा देती हैं, लेकिन आंकड़ों की कहानी पूरी सच्चाई बयां नहीं करती। बहुत सारे मामले ऐसे हैं, जिनकी रिपोर्ट ही नहीं हो पाती।
बलात्कार के मामलों में मध्यप्रदेश सबसे आगे रहा, जहां 1,262 मामले दर्ज हुए, जबकि दूसरे और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश (1,088) और महाराष्ट्र (818) रहे। इन तीनों प्रदेशों के आंकड़े मिला दिए जाएं तो देश में दर्ज बलात्कार के कुल मामलों का 44.5 प्रतिशत इन्हीं तीनों राज्यों में दर्ज किया गया। यह आंकड़ा राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो का है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीबी के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली बलात्कार के मामले में सबसे आगे है। पिछले कुछ दिनों में ही दिल्ली में कार में बलात्कार के कई सनसनीखेज मामले दर्ज हुए। दूसरी ओर राजस्थान की राजधानी जयपुर भी बलात्कार के मामलों में देशभर में पांचवें नंबर पर है। दिल्ली, मुंबई, भोपाल और पुणे के बाद जयपुर का नंबर इस मामले में आता है।
2007 से 2011 की अवधि के दौरान अर्थात चार साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस मामले में दिल्ली नंबर वन रही। एनसीबी के आंकड़ों के मुताबिक देश की राजधानी लगातार चौथे साल बलात्कार के मामले में सबसे आगे है। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में साल 2011 में रेप के 568 मामले दर्ज हुए, जबकि मुंबई में 218 मामले दर्ज हुए।
राज्यों की बात करें तो मध्यप्रदेश इस मामले में सबसे ऊपर है। मप्र में रेप के सबसे अधिक 15,275 मामले दर्ज किए गए। पश्चिम बंगाल में 11,427, यूपी में 8834 और असम 8060 का स्थान है। 7703 रेप केस के साथ महाराष्ट्र इस सूची में पांचवें नंबर पर है यानी कुल 51 हजार 299 बलात्कार हुए।
रिपोर्ट के मुताबिक 2007 से 2008 के बीच 18 से 30 की उम्र के करीब 57,257 लोगों को गिरफ्तार किया गया। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा यह आंकड़े सिर्फ महिला अत्याचार के आधार पर जारी किए गए हैं।
‘विश्व स्वास्थ संगठन के एक अध्ययन के अनुसार, 'भारत में प्रत्येक 54वें मिनट में एक औरत के साथ बलात्कार होता है।’ वहीं महिलाओं के विकास के लिए केंद (सेंटर फॉर डेवलॅपमेंट ऑफ वीमेन) अनुसार, ‘भारत में प्रतिदिन 42 महिलाएं बलात्कार का शिकार बनती हैं। इसका अर्थ है कि प्रत्येक 35वें मिनट में एक औरत के साथ बलात्कार होता है।’
रेप के मामलों की जांच में जुटे पुलिस अधिकारियों का मानना है कि ऐसे अधिकतर मामलों में आरोपी को पीड़िता के बारे में जानकारी होती है। यह एक सामाजिक समस्या है और ऐसे अपराधों पर नकेल कसने के लिए रणनीति बनाना असंभव है।
अधिकारियों की मानें तो इनमें से अधिकांश मामले बेहद तकनीकी होते हैं। अक्सर ऐसे अपराध दोस्तों या रिश्तेदारों द्वारा किए जाते हैं, जो पीड़िता को झूठे वादे कर बहलाते हैं, फिर गलत काम करते हैं। कई बार ऐसे अपराध अज्ञात लोग करते हैं और पुलिस की पहुंच से आसानी से बच निकलते हैं। हालांकि कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि इसमें पीड़िता की रजामंदी होती है। उसे इस बात के लिए रजामंद कर लिया जाता है।
सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि बलात्कार से पीड़ित महिला बलात्कार के बाद स्वयं अपनी नजरों में ही गिर जाती है, और जीवनभर उसे उस अपराध की सजा भुगतनी पड़ती है, जिसे उसने नहीं किया।
हमारे ही देश में उपलब्ध आंकड़ो के अनुसार महिलाओं के लिए भारत दुनिया में सबसे खतरनाक स्थान बन चुका है। देश के किसी भी कोने में महिलाएं सुरक्षित नहीं है। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा 2011 में दिए गये आंकड़ों पर गौर करें तो सामने आयेगा की हर 20 मिनट पर एक बलात्कार होता है और तीसरा बलात्कार पीड़ित बच्चा होता है। उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि बलात्कार के आरोपी को सजा मिल ही नहीं पाती।
हमने जब उपलब्ध आकड़ों पर जमी धूल झाड़ी तो सामने आया कि वर्ष 2010 में मध्य प्रदेश में सबसे अधिक बलात्कार हुए। वहीँ हरियाणा में पिछले एक महीने के दौरान दर्जन भर बलात्कार के मामले सामने आए हैं।
अब यदि इन आकड़ों पर नज़र डालें तो स्पष्ट होता है कि ये वो मामले हैं जो पुलिस तक पहुंचे| हमारे देश का सामाजिक ढांचा कुछ ऐसा है कि बदनामी और अन्य कारणों से बलात्कार के अधिकतर मामले दर्ज ही नहीं होते। रसूखदार आरोपी के सामने हमारी पुलिस भी नतमस्तक नज़र आती है और समझौता करने का दबाव बना देती है|
प्रत्येक वर्ष बलात्कार के मामलों में बढ़ोतरी होती जा रही है। वर्ष 2011 में देशभर में बलात्कार के कुल 7,112 मामले सामने आए, जबकि 2010 में 5,484 मामले ही दर्ज हुए थे। आंकड़ों के हिसाब से एक वर्ष में बलात्कार के मामलों में 29.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि भारत में प्रतिदिन लगभग 50 बलात्कार के मामले थानों में पंजीकृत होते हैं। इस प्रकार भारतभर में प्रत्येक घंटे दो महिलाएं बलात्कारियों के हाथों अपनी अस्मत गंवा देती हैं, लेकिन आंकड़ों की कहानी पूरी सच्चाई बयां नहीं करती। बहुत सारे मामले ऐसे हैं, जिनकी रिपोर्ट ही नहीं हो पाती।
बलात्कार के मामलों में मध्यप्रदेश सबसे आगे रहा, जहां 1,262 मामले दर्ज हुए, जबकि दूसरे और तीसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश (1,088) और महाराष्ट्र (818) रहे। इन तीनों प्रदेशों के आंकड़े मिला दिए जाएं तो देश में दर्ज बलात्कार के कुल मामलों का 44.5 प्रतिशत इन्हीं तीनों राज्यों में दर्ज किया गया। यह आंकड़ा राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो का है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीबी के आंकड़े बताते हैं कि दिल्ली बलात्कार के मामले में सबसे आगे है। पिछले कुछ दिनों में ही दिल्ली में कार में बलात्कार के कई सनसनीखेज मामले दर्ज हुए। दूसरी ओर राजस्थान की राजधानी जयपुर भी बलात्कार के मामलों में देशभर में पांचवें नंबर पर है। दिल्ली, मुंबई, भोपाल और पुणे के बाद जयपुर का नंबर इस मामले में आता है।
2007 से 2011 की अवधि के दौरान अर्थात चार साल के आंकड़ों पर नजर डालें तो इस मामले में दिल्ली नंबर वन रही। एनसीबी के आंकड़ों के मुताबिक देश की राजधानी लगातार चौथे साल बलात्कार के मामले में सबसे आगे है। आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली में साल 2011 में रेप के 568 मामले दर्ज हुए, जबकि मुंबई में 218 मामले दर्ज हुए।
राज्यों की बात करें तो मध्यप्रदेश इस मामले में सबसे ऊपर है। मप्र में रेप के सबसे अधिक 15,275 मामले दर्ज किए गए। पश्चिम बंगाल में 11,427, यूपी में 8834 और असम 8060 का स्थान है। 7703 रेप केस के साथ महाराष्ट्र इस सूची में पांचवें नंबर पर है यानी कुल 51 हजार 299 बलात्कार हुए।
रिपोर्ट के मुताबिक 2007 से 2008 के बीच 18 से 30 की उम्र के करीब 57,257 लोगों को गिरफ्तार किया गया। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा यह आंकड़े सिर्फ महिला अत्याचार के आधार पर जारी किए गए हैं।
‘विश्व स्वास्थ संगठन के एक अध्ययन के अनुसार, 'भारत में प्रत्येक 54वें मिनट में एक औरत के साथ बलात्कार होता है।’ वहीं महिलाओं के विकास के लिए केंद (सेंटर फॉर डेवलॅपमेंट ऑफ वीमेन) अनुसार, ‘भारत में प्रतिदिन 42 महिलाएं बलात्कार का शिकार बनती हैं। इसका अर्थ है कि प्रत्येक 35वें मिनट में एक औरत के साथ बलात्कार होता है।’
रेप के मामलों की जांच में जुटे पुलिस अधिकारियों का मानना है कि ऐसे अधिकतर मामलों में आरोपी को पीड़िता के बारे में जानकारी होती है। यह एक सामाजिक समस्या है और ऐसे अपराधों पर नकेल कसने के लिए रणनीति बनाना असंभव है।
अधिकारियों की मानें तो इनमें से अधिकांश मामले बेहद तकनीकी होते हैं। अक्सर ऐसे अपराध दोस्तों या रिश्तेदारों द्वारा किए जाते हैं, जो पीड़िता को झूठे वादे कर बहलाते हैं, फिर गलत काम करते हैं। कई बार ऐसे अपराध अज्ञात लोग करते हैं और पुलिस की पहुंच से आसानी से बच निकलते हैं। हालांकि कुछ मामलों में यह भी देखा गया है कि इसमें पीड़िता की रजामंदी होती है। उसे इस बात के लिए रजामंद कर लिया जाता है।
सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि बलात्कार से पीड़ित महिला बलात्कार के बाद स्वयं अपनी नजरों में ही गिर जाती है, और जीवनभर उसे उस अपराध की सजा भुगतनी पड़ती है, जिसे उसने नहीं किया।
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