आओं जलाये दीप वहां जहां अभी भी अंधेरा है। इस अभियान में आप भी जुड़ कर कम से कम एक परिवार को अंधेरे से निकाल कर रौशनी की ओर लाने में भागीदार बन सकते हैं। आज भारत की स्वतंत्रता के 66 साल बीत गए हैं। इसके बाद भी देश की एक अरब 20 लाख आबादी के आधे से ज्यादा लोगों को अभी बिजली नहीं मिल सकी है। असम, बिहार, पूर्वोतर, पश्चिम बंगाल और उत्तरप्रदेश में देश की 40 प्रतिशत जनसंख्या रहती है। मगर आज तक इन राज्यों के गा्रमिण क्षेत्रों में लाखों लोगों ने रातों में उजाले की सफेदी नहीं देखी।
मगर आज सौर्य उर्जा से लोगों में एक नई उम्मीद की किरण जगी है। बिजली संकट इतना गंभीर है कि गाँव तो क्या शहरों में भी भारी कटौती हो रही है। हालत ये है कि शहरों में गगनचुंबी मॉल्स भी अपनी बिजली का इंतजाम करने के लिए सौर्य उर्जा की ओर अपना कदम आगे बढ़ा रहे हैं। ग्रामीण इलाकों में हालत अब भी बदतर है। कई राज्यों की स्थिति यह है कि अभी गाँवों तक बिजली ही नहीं पहुँची है। जहाँ बिजली पहुँच भी गई है वहाँ कभी कुछ घंटों के लिए ही बिजली आती है। कई इलाके में तो बिजली के खंभे तो जरूर लगे हैं लेकिन वहां बिजली की गारंटी कोई नहीं दे सकता। तो कई जगह ऐसे भी हैं जहा बिजली के खंभे तो दिखाई देते हैं मगर उसके उपर आज तक तार नहीं पहुंची। मगर खंभे पर तार के इंतजार में एक नई पीढ़ी जवान हो गई।
तो सवाल ये है कि बिजली की ऐसी विकट समस्या के रहते हुए क्या भारत वास्तव में महाशक्ति बन सकता है? 21वीं सदी में बिजली के बिना विकास भी नामुमकिन है। भारत में फि लहाल 170,000 मेगावॉट से ज्यादा बिजली की उत्पादन क्षमता है और बिजली की वार्षिक मांग चार फीसदी दर से बढ़ रही है। ऐसे में इसे पूरा करना टेढ़ी खीर के समान है। ऐसे में अगर देश से अज्ञानता, असमानता और बेरोजगारी को मिटाना है तो गाँव और शहरों में सौर उर्जा ही एक मात्र स्थायी विकल्प नज़र आरहा है।
देश में आज कई गांव ऐसे भी है जहा पर बिजली नहीं आने से गांव में दुल्हन के पांव पड़ने बंद हो गए हैं। बिजली नहीं होने के कारण लोग इन गांवों में अपने बिटिया की ब्याह तक नहीं करते हैं। देश में आज सरकार भोजन और रोजगार गारंटी की बात तो करती है मगर नई पीढ़ी को रौशनी के बिना सिक्षा कैसे मिलेगी अभी तक इसके बारे में कोई सोचने को तैयार नहीं हैं। गांव-गांव बिजली पहुंचाने के लिए सरकार ने 80 के दशक में राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना कार्यक्रम शुरू किया था। लेकिन भ्रष्टाचार और राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव के कारण यह योजना खटाई में पड़ गई। मगर सरकार गांवों में झुठी ढोल पीट कर वोट लेने में जरूर सफल रही।
आज एक लीटर पेट्रोल के इस्तेमाल से वातावरण में चार किलो कार्बन डाइऑक्साइड पहुंचती है। ऐसे में 2050 तक कार्बन उत्सर्जन में चार फीसदी की कमी करने की जरूरत होगी। ताकी वातावरण में ऑक्सीजन की मात्रा बनी रहे। आज भारत विश्व में छठा सबसे बड़ा ऊर्जा उपभोक्ता राष्ट्र बन चुका है। तो ऐसे में आईये हम सब मिल कर जलाये दीप वहां जहां अभी भी अंधेरा है।
भारत में बिजली संकट
- देश में एक लाख से अधिक गांवों में रहने वाले करीब साढ़े तीन करोड़ लोग आज भी लालटेन युग में जी रहे हैं।
- केन्द्र सरकार की राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना भ्रष्टाचार और राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में ठप पड़ा है।
- भारत में इस समय 101,153 मेगावाट बिजली पैदा होरही है। जोकि जरूरत से 13,000 मेगावाट कम है।
- एक लीटर पेट्रोल के इस्तेमाल से वातावरण में चार किलो कार्बन डाइऑक्साइड पहुंचती है।
- 2050 तक कार्बन उत्सर्जन में चार फीसदी की कमी करने की जरूरत है।
- 2050 तक अक्षय ऊर्जा की हिस्सेदारी करीब 64 प्रतिशत करने की जरूरत है।
- वैकल्पिक उर्जा प्रणालियों में निजी और सरकारी स्तर पर 2050 तक 6,10,000 करोड़ रूपये सालाना निवेश करने की जरूरत है।
- इससे भारत को जीवाश्म ईंधन पर खर्च किये जाने वाले सालाना एक ट्रिलियन रूपये की बचत होगी।
- इससे भारत रोजगार के 24 लाख नये अवसर भी पैदा कर सकेगा।
- 2050 तक भारत की कुल उर्जा जरूरतों का 92 प्रतिशत प्राकृतिक संसाधनों से प्राप्त किये जा सकते हैं।
- प्राकृतिक स्रोत से प्राप्त बिजली की कीमत 2050 में 3.70 रूपये प्रति यूनिट होगी।
- देश में हर वर्ष लगभग एक अरब पैंतीस करोड़ मीट्रिक टन गोबर एवं पशु अपशिष्ट प्राप्त किया जा रहा है।
- इसके माध्यम से बायोगैस उत्पन्न कर 75 फीसद से अधिक बिजली की पूर्ति की जा सकती है।
- एशिया में चीन और जापान के बाद भारत तेल और गैस का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है।
- भारत अपनी कुल ऊर्जा जरूरतों का कोयले से 33 .2 प्रतिशत, जल ऊर्जा से 1.2 प्रतिशत, गैस से 4.2 प्रतिशत, तेल से 22.4 प्रतिशत, परमाणु ऊर्जा से 0.8 प्रतिशत और सौर बायोमॉस व अन्य स्रोतों से 0.1 प्रतिशत उर्जा प्राप्त करता है।
- प्रति व्यक्ति बिजली की खपत के मामले में कनाडा पहले नंबर पर है।
- कनाडा में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 18541 है।
- स्वीडन में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत 16996 है।
- अमेरिका प्रति व्यक्ति बिजली की खपत में 13456 यूनिट है।
- एशियाई देशों मे भी बिजली की खपत का औसत 1470 युनिट प्रति व्यक्ति है।
- भारत में बिजली की खपत प्रति व्यक्ति सिर्फ 569 यूनिट है।
- ग्यारहवीं योजना में बिजली के उत्पादन का लक्ष्य 80,000 मेगावाट रखा गया है।
- 1994-95 में स्थापित क्षमता का 60 फीसदी ही उपयोग हो रहा था।
- 2009-10 में यह बढ़कर 78 फीसदी हो गया है।
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