साल 2014 के लोकसभा चुनाव के पूर्व सेमीफाइनल माने जा रहे चार राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणाम जिस प्रकार से भाजपा के पक्ष आये है। इसे लेकर लोग सवाल पूछ रहे है क्या वाकई राहुल बनाम मोदी की लड़ाई कांग्रेस पार्टी के युवराज राहुल गांधी की पोल खोल दी है। बीजेपी मध्य प्रदेश में सत्ता में फिर वापसी कर रही है और उसने राजस्थान से कांग्रेस को बाहर कर दिया है। दिल्ली में भी भाजपा सत्ता के करीब है। तो वहीं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर में भाजपा कांग्रेस से आगे निकल गई है।
इन रूझानों के आधार पर दिल्ली के केन्द्रीय सिंहासन के उत्तराधिकारी की तस्वीर काफी हद तक साफ हो गई है। भाजपा की बढ़त से अब ये बात स्पष्ट हो चुकी है कि मोदी बनाम राहुल की लड़ाई जनता ने काफी हद जगजाहीर कर दी है। चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में जिस कदर उभरकर सामने आया है उससे राहुल की प्रधानमंत्री पद की दावेदारी कटघरे में है। तो वहीं बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र मोदी के सिर जीत का सेहरा बंधना लगभग तय माना जा रहा है। राहुल की अघोशित पीएम पद की उम्मीदवारी पर अब सवाल उठने लगा है कि क्या कांग्रेस अपने युवराज को अब भी मोदी के मुकाबले बेहतर मानती है? या फिर पोल खुलने के बाद पार्टी आलाकमान अपने रणनीतियों में कोई बदलाव लाएगी? एक ओर मोदी के पीएम बनने का सपना तो दुसरी ओर राहुल गांधी का राजनीतिक भविष्य दोनों एक साथ जुड़ा हुआ है जिसका फैसला जनता को 2014 में करना है।
रूझानों के बाद दोनों पार्टियों के बीच जुबानी जंग शुरू हो गई है। चार राज्यों में जीत का श्रेय बीजेपी मोदी को देना चाहती है, तो वही कांग्रेस इसे इनकार कर रही है। क्योकि उनके युवराज की पोल खुलती नज़र आरही है। कांग्रेस में चुनावी कमान पार्टी उपाध्यक्ष की कुर्सी संभालने के बाद राहुल गांधी के हाथ में आई है। तो वहीं भाजपा में नमो नाम की गूंज हर ओर सुनाई दे रही है। मगर आज के परिणामों से लगता है कि नमो नाम की गूज 10 जनपथ कि गलियारों में दस्तक दे चुकी है। जिसे लेकर सत्ता की साख और युवाराज की राज दोनों घुंधली हो चली है।
चुनावों में हार या जीत नरेंद्र मोदी को पार्टी के अंदर ही नहीं बल्कि देश की जनता के बीच उनकी हैसियत दिखा दी है। साथ ही राहुल को भी कुछ इसी तरह की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस की हार ने देशभर में राहुल के नेतृत्व में पार्टी के आगे बढ़ने को लेकर सवाल खड़े होने लगा है। भाजपा को अब उम्मीद दिखने लगी है कि विधानसभा चुनावों के सेमीफाइनल के नतीजों से 2014 के लोकसभा चुनाव के फाइनल में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की राह आसान हो गई है। तो वहीं कांग्रेस अपनी जमीन बचाने की जुगत में है। भाजपा ने इसे अपना अंतिम लक्ष्य बना लिया है लेकिन इस मामले पर कांग्रेस में अनश्चियता और घबराहट का माहौल है। ऐसे में स्पष्ट है कि भाजपा जहां इस मुकाबले को अवश्यंभावी बना देना चाहती है, वहीं कांग्रेस को इस स्थिति से डर लग रहा है। मोदी जहां गुजरात में अपना काम दिखाने का दावा करते हैं वहीं राहुल गांधी अनुभव, परिपक्वता और काम दर्शाने के मामले में कमजोर साबित नजर आते हैं। मगर अब रहे सहे कसर चार राज्यों के चुनाव नतीजों ने पूरे कर दिए है। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या राहुल बनाम मोदी की लड़ाई में राहुल गांधी की पोल खुल गई है?
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