बांग्लादेशी घुसपैठ बढ़ने से आज देश के ही लोगों के रोजगार छिनने के साथ ही अन्य समस्याएं पैदा हो रही हैं। घुसपैठियों ने दिल्ली के प्रमुख बाजारों में भी अपने रोजगार शुरू कर दिए हैं। बांग्लादेशी घुसपैठिये देश के लिए आज विपदा के रूप में उभरकर सामने आए है। ये घुसपैठिए न केवल भारतीय मजदूरों का रोजगार छीन रहे है। बल्कि ठेकेदारों की समुह बना कर अपने ही लोगों में ये काम का बंटवारा कर लेरहे है। साथ ही ये घुसपैठिए देष की लागों लोगों पर अपना एकाधिकार जमा रहे है।
बांग्लादेश के कारखानों में मजदूरों को समय पर वेतन का भुगतान नहीं होता है। तो कुछ जगहों में ओवर टाइम का पूरा भुगतान नहीं किया जाता। कितने कारखाने तो ऐसे है जहा पर तय वेतन से कम वेतन दिया जाता है। यही कारण है कि लाखों की संख्या में ये बांग्लादेशी देश में घुसपैठ के जरीए भारतीय मजदुरों का रोजी रोटी छीन रहे हैं। बांग्लादेश में न्यूनतम मजदूरी की दर, 300 टका यानि 37 अमरीकी डॉलर प्रति माह है। मगर भारत में न्यूनतम मजदूरी की दर इससे काफी जयादा है। जिसके चलते बांग्लादेशी किसी भी हाल में हमारे के अंदर घुसना चाहते है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2012 के बांग्लादेश यात्रा के दौरान कपड़ा आयात को ड्यूटी फ्री करने की बात कही थी। जिसके चलते बांग्लादेशी घुसपैठियों का मनोबल और बढ़ गया और वे बांग्लादेश से कपड़ा लाने की तैयारी शुरू कर दिए। जिसके चलते देश के कपड़ा उद्योग और इसमे काम करने वाले लोगों के लिए एक नया संकट उत्पन्न हो सकता है। क्लोडिंग मैन्यूफैक्चरर्स ऑफ इंडिया के के प्रेसीडेंट, राहुल मेहता का कहना है कि इस फैसले के बाद देश के 80 फीसदी कपड़ा उत्पादकों पर असर पड़ सकता है। साथ ही, लाख से ज्यादा लोगों को बेरोजगार होने का भी खतरा है। साथ ही इससे अवैध घुसपैठ को बढ़ावा मिलेगा।
आज स्थिति ये है कि घुसपैठियों की गतिविधियों से तंग आकर भारतीय नागरिकों को ही अपने स्थान से पलायन करना पड़ रहा है। इनकी बस्तियों में आतंकवादियों एवं समाजविरोधी तत्वों को शरण मिल रही है। जिसके कारण भारत की बुनियादी सुविधाएं चरमरा रही हैं और भारतीय कामगारों का रोजगार छिन रहा है। आज बात चाहे नाई की हो या फिर घरों में काम करने वाली नौकारानी की आज ये घुसपैठिए हर जगह नजर आने लगे हैं। देश की पारंपरिक रोजगार करने वाले लोगों की रोजी रोटी आज इन बांग्लादेशियों के चलते खत्म हो रही है।
हाल ही में अगरतला के कंटेनर डिपो ने बांग्लादेश से मोटरसाइकिल के आयात को हरी झंडी दी है। जिसके चलते सस्ती बांग्लादेशी मोटरसाइकिल के कारण भारतीय निर्माताओं पर असर पड़ रहा है। भारतीय निर्माता कंपनी बंद करने को मजबुर है, तो वहीं दुसरी ओर भारतीय मजदुरों के उपर बेरोजगारी का संकट भी मडराने लगा है।
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