05 December 2013

प्राकृतिक संसाधनों की कमी के लिए जिम्मेदार बांग्लादेशी घुसपैठिए ?

बांग्लादेशी घुसपैठ बढ़ने से आज देश की अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक संसाधनों पर बुरा असर पड़ रहा है। बांग्लादेश सिमा से सटे किसानों की खेतों में मौजूद फसल और प्राकृतिक संसाधनों को बांग्लादेशी सुसपैठिए लूट रहे है। बांग्लादेश सिमा से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक अब ये अपना प्रमुख बाजारों में व्यापार शुरू कर दिए हैं। जिसका सिधा असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है। ये घुसपैठिये आज विपदा के रूप में कहर बरपा रहे है। घुसपैठिए न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को छती पहुंचा रहे है बल्कि जंगलों को काटने, अवैध तरिके से कोयला निकालने और समुंद्र में मछली मारने जैसे कार्यो को अंजाम दे रहे है। पश्चिम बंगाल और असम में ये घुसपैठिए कुंआ तालाब और किसानों की भूमी पर एकाधिकार जमा रहे है। इनके आतंक से वहा पर रहने वाले आम भारतीय नागरीक में लगातार पलायन बढ़ रहा है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 2012 के बांग्लादेश यात्रा के दौरान कपड़ा आयात को ड्यूटी फ्री करने की बात कही थी। जिसके चलते बांग्लादेशी घुसपैठियों का मनोबल और बढ़ गया और वे बांग्लादेश से कपड़ा लाने की तैयारी शुरू कर दिए। जिसके चलते देश के कपड़ा उद्योग और इसमे काम करने वाले लोगों के लिए एक नया संकट उत्पन्न हो सकता है। इस फैसले से देश के 80 फीसदी कपड़ा उत्पादकों पर असर पड़ सकता है। साथ ही लाखों लोगों को बेरोजगार होने का भी खतरा है। साथ ही इससे अवैध घुसपैठ को बढ़ावा मिलेगा। आज इनकी बस्तियों में आतंकवादियों एवं समाजविरोधी तत्वों को शरण मिल रही है। जिसके कारण भारत की बुनियादी सुविधाएं चरमरा रही हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था का दिवाला निकल रहा है। 

इनका आतंक इस कदर बढ़ गया है कि अब ये सट्टा बाजार में भी अपना पैसा लगाने लगे है, तो वहीं दुसरी ओर हजारों घुसपैठिए कंपनियों का शेयर भी खरीदने रहे हैं। यही कारण है कि घुसपैठिए हर जगह नजर आरहे हैं। हाल ही में अगरतला के कंटेनर डिपो ने बांग्लादेश से मोटरसाइकिल के आयात को हरी झंडी दी है। जिसके चलते सस्ती बांग्लादेशी मोटरसाइकिल के कारण भारतीय निर्माताओं पर असर पड़ रहा है। ये बांग्लादेशी  दिल्ली के यमुना नदी से सटे इलाके में अपना झोपड़ी बना कर रह रहे हैं। दिल्ली की ही तरह अन्य शहरों में भी ये घुसपैठिए नदियों के तट पर अपना अतिक्रमण जमा कर रेत माफियाओं के साथ मिलकर अवैध खनन में भी प्रवेश कर चुके है।

2001 की जनगणना के अनुसार पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठियों की संख्या में 28 प्रतिशत और आसाम में 31 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। बांग्लादेश से लगी सीमा के लगभग 50 प्रतिशत गाँव पूरी तरह से बांग्लादेशी बहुल हो चुके हैं। असम में भी सीमावर्ती जिले पूरी तरह से हरे रंग में रंगे जा चुके हैं। ये घुसपैठिए भारत की अर्थव्यवस्था के लिये बोझा बनते जा रहे है, साथ ही इनके चलते देष की प्राकृतिक संसाधन नष्ट होते जा रहे हैं। तो ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या देश की अर्थव्यवस्था और घटते प्राकृतिक संसाधनों के लिए बांग्लादेशी  घुसपैठिए ही जिम्मेदार हैं।

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