देश में बांग्लादेशी घुसपैठियों की बढ़ोतरी इस कदर हो रही है कि देश में रह रहे एक खास समुदाय के लोगों का भी अधिकार अब इन बांग्लादेशी घुसपैठिए उठाने लगे हैं। हाल में ही असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई ने कहा था कि असम में मुसलमानों की संख्या में इजाफा होने का कारण उस समुदाय के लोगों को बहुत जयादा सरकारी लाभ नहीं मिल पारहा है। मुख्यमंत्री यह साबित करना चाहते हैं थे कि असम में बांग्लादेशी मुसलमानों का अवैध आगमन ही इसके लिए जिम्मेदार है।
1971 में असम में मुस्लिम आबादी 24.56 प्रतिशत थी, जो 2001 में बढ़कर 30.92 प्रतिशत हो गई। धुबड़ी जिला बांग्लादेश से सटा हुआ है और वहां नदी के रास्ते बांग्लादेश आना-जाना बिल्कुल आसान है। वहां की मुस्लिम आबादी का 1971 में 64.46 था। जो अब बढ़कर 2001 में 74.29 हो गया है। ऐसे में इसका प्रमुख कारण बांग्लादेशी घुसपैठिए ही बताए जा रहे हैं। धुबड़ी जिले में मुस्लिम आबादी 1971 में 64.46 फीसदी से बढ़कर 2001 में 74.29 हो गई। यानी 30 सालों में इस जिले में मुसलमानों की संख्या में 119 फीसदी बढ़ोतरी हुई। जबकि सभी समुदायों के लिए यह आंकड़ा 87.37 फीसदी था। समूचे असम राज्य में इन 30 सालों के दौरान मुसलमानों की आबादी में 129.5 फीसदी वृद्धि दर्ज की गई और देश भर की मुस्लिम जनसंख्या में इस दौरान 133.3 फीसदी इजाफा हुआ। इन आकड़ों से ये साबित होता है कि देष में बांग्लादेशी घुसपैठ अपने चरम सिमा पर है। जानकार बताते है कि किसी भी स्थिति में इतना जयादा जनसंख्या वृध्दि संभव नहीं है।
यहा सबसे सहत्पूर्ण बात ये है कि देश में रोजगार से लेकर राशन पानी जैसे मिलने वाली योजनाओं में ये बांग्लादेशी भागिदार बन रहे हैं। जिससे समाज में असामनता का माहौल बन रहा है। असम में आए दिन जातीय हिंसा हो रहे हैं जिसके पीछे बांग्लादेशी घुसपैठियों का मुख्य हाथ बताया जा रहा है। बांग्लादेशी घुसपैठियों को आतंकी घटनाओ में लगातार इस्तेमाल किया जा रहा है। भारत के सामाजिक ढांचे का नुकसान व आर्थिक संसाधनों का इस्तेमाल में आज सबसे आगे बांग्लादेशी घुसपैठिए बताए जा रहे हैं।
पश्चिम बंगाल में बांग्लादेशी घुसपैठियों ने राज्य का जनसख्या संतुलन ऐसा बदल दिया है कि अब मुसलिम मतदाता ही सूबे में सत्ता की राह तय करने लगे हैं। यही करण है कि ममता ने मुसलिमों को रेलवे के किराए में छूट देने की योजना बनाई थी। साथ ही रंगनाथ मिश्र कमेटी की सिफारिशों को लागू कर मुसलिमों को राज्य की नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था कर भी दी है। ममता ने अपने घोषणापत्र में मुसलिम बहुल एक दर्जन जिलों के लिए सब्जी, फलों, मछलियों और समुद्री भोजन (सी फूड) का व्यापार बढ़ाने और खाद्य प्रसंस्करण के इंतजाम करने का एलान किया है। जिसका सिधा लाभ बांग्लादेशी घुसपैठियों को मिल रहा है। साथ ही ये घुसपैठिए सत्ताधरियों के लिए वोट वैंक की मजबुरी भी बनते जा रहे हैं। तो एसे में सवाल खड़ा होता है किया देश में मुसलमानों की दुर्दशा के लिए बांग्लादेशी घुसपैठिए ही जिम्मेदार हैं ?
No comments:
Post a Comment