30 June 2020

महाराणा प्रताप का अपमान बार-बार क्यों..?

आज एक बार फिर से महाराणा प्रताप का अपमान हुआ है. हर बार की तरह इस बार भी राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने ये दुस्साहस किया है. महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच हल्दीघाटी युद्ध को 444 साल इसी वर्ष पूरे हो रहे हैं.


इस मौके पर जहां राजस्थान सरकार को महाराणा प्रताप की वीरता और ऐतिहासिक संघर्ष की कहानी को...पूरे राज्य में लोगों को बताना चाहिए. मगर इसके ठीक विपरीत  राजस्थान सरकार महाराणा प्रताप की बीरता को स्कूली किताबों से गायब कर दी है.


राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी कि आरबीएसई कक्षा 10 की सामाजिक विज्ञान की किताब में 2020 के सत्र में...युद्ध की समीक्षा से लेकर मानसिंह पर आक्रमण, वीर महाराणा प्रताप के अश्व चेतक सहित कई तथ्यों को हटा ही दिया है.

 

वहीँ अध्याय 2 में संघर्ष कालीन भारत में महाराणा प्रताप के मानसिंह पर प्रहार का विवरण भी पुस्तक से गायब कर दिया गया है. युद्ध विवरण संक्षिप्त करने के साथ ही परिणाम की समीक्षा भी नहीं है.


2017 के संस्करण की तुलना में 2020 के संस्करण में राजस्थान की सरकार ने क्या कुछ हटा दिया है आईये हम आपको विस्तार से बताते हैं... राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड 10वीं व 12वीं कक्षा की इतिहास की पुस्तक में महाराणा प्रताप से जुड़ी सामग्री में दुर्भावनावश बदलाव किया गया है.


 2017 से चल रही पुस्तक में इतिहासकारों की पाठ्यक्रम कमेटी ने युद्ध का आकलन किया था. अनेकों इतिहासकारों के आकलन के आधार पर उन तथ्यों का उल्लेख किया गया था जो अकबर की सेना की असफलता सिद्ध करते हैं.

 

महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह द्वारा अब्दुल रहीम खानखाना के परिवार की स्त्रियों को बंदी बनाकर लाने पर प्रताप ने नाराजगी जताई थी. महाराणा प्रताप ने खानखाना परिवार की स्त्रियों को सकुशल वापिस उनके शिविर में छोड़ कर आने के आदेश दिए थे.

 

इस प्रसंग को भी हटाया जाना जिसमें महाराणा प्रताप का उदात्त चरित्र एवं मानवीय गुणों के प्रति उनके उच्च कोटि के समर्पण की झलक मिलती है.

 

इससे विद्यार्थियों को हर परिस्थिति में मानवीयता का पालन करने की प्रेरणा मिलती है. पुस्तक के अनुसार मुगल सेना की विजय प्रमाणित नहीं होती, क्योंकि अकबर की मानसिंह और आसफ खान के प्रति नाराजगी थी. मुगल सेना का भयग्रस्त होकर भागना और मेवाड़ की सेना का पीछा ना करना ऐसे परिदृश्य हैं जो इस युद्ध का परिणाम प्रताप के पक्ष में लाकर खड़ा कर देते हैं.


ये सभी उपरोक्त ऐतिहासिक घटनाओं को 2020 के संस्करण से राजस्थान सरकार ने हटा दिया है. आएये अब हम आपको बताते है 2017 के संस्करण के जगह 2020 के संस्करण में क्या कुछ तोड़-मरोड़ कर पेश किया है..युद्ध में अकबर की सेना की असफलता सिद्ध करने वाले तथ्यों को हटाया गया है. इससे भ्रम पैदा होता है कि हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की हार हुई थी. 2020 के संस्करण में महाराणा उदयसिंह को बनवीर का हत्यारा बताया गया है.

 

मानसिंह के हौदे में छिपने के अलावा बलीचा गांव में प्रताप की छतरी बनी होने के जिक्र ओ नीला घोड़ा रा असवारशब्द को भी हटाया गया है. किताब में मानसिंह के हाथी पर चेतक के पैर टिकाने और भाले से मानसिंह पर भरपूर इस अध्याय के लेखक प्रो. चंद्रशेखर शर्मा का कहना है कि पूर्व लेखन में कुछ भी हटाने या जोड़ने का तार्किक आधार जरूरी है.


समीक्षक का नाम भी होना चाहिए, लेकिन पुस्तक में ऐसा नहीं है. यह नैतिक और कानूनी और रूप से गलत है. प्रो. शर्मा ने इस साजिशपूर्ण बदलाव पर अपनी नाराजगी और असहमति जतायी है...तो वही दूसरी ओर श्री राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर दसवीं कक्षा की इतिहास की किताब में महाराणा प्रताप के इतिहास के त्रुटिपूर्ण प्रकाशन में बदलाव की मांग की है.

 

कांग्रेस दशकों से देश के विद्यार्थियों को गुलामी का इतिहास पढ़ाती आई है. कांग्रेस और कम्युनिस्टों की सरकारें हमेशा से ही देश के वीर-वीरांगनाओं और उनसे जुडे शौर्य को इतिहास के पाठ्यपुस्तकों से गायब करती जा रही है. ऐसी सरकारें अकबर को महान बता कर अपनी राजीनीतिक जमीन तलाशती है..तो वहीँ दूसरी ओर महाराणा प्रताप जैसे महान योद्धा को बार-बार कमतर बता कर अपनी सियासी रोटियां सेकने से बाज़ नही आती है.

2017 के संस्करण

2017 से चल रही पुस्तक में इतिहासकारों की पाठ्यक्रम कमेटी ने युद्ध का आकलन किया था.

अनेक इतिहासकारों ने अपने आकलन में अकबर की सेना की असफलता को सिद्ध किया है.

महाराणा प्रताप के पुत्र अमर सिंह द्वारा अब्दुल रहीम खानखाना के परिवार की स्त्रियों को बंदी बनाकर लाने पर प्रताप ने नाराजगी जताई थी.

महाराणा प्रताप ने खानखाना परिवार की स्त्रियों को सकुशल वापस उनके शिविर में छोड़ने के आदेश दिए थे.

इस प्रसंग को भी हटाने से महाराणा प्रताप का उदात्त चरित्र एवं मानवीय गुणों के प्रति उनके उच्च कोटि के समर्पण की झलक दुनिया को नहीं मिल पायी.

इस प्रसंग से विद्यार्थियों को हर परिस्थिति में मानवीयता का पालन करने की प्रेरणा मिलती है.

मुगल सेना का भयग्रस्त होकर भागना और मेवाड़ की सेना का पीछा ना करना ऐसे परिदृश्य हैं जो इस युद्ध का परिणाम महाराणा प्रताप के पक्ष में लाकर खड़ा कर देते हैं.

ये सभी उपरोक्त ऐतिहासिक घटनाओं को 2020 के संस्करण से राजस्थान सरकार ने हटा दिया है. आएये अब हम आपको बताते है 2017 के संस्करण के जगह 2020 के संस्करण में क्या कुछ तोड़-मरोड़ कर पेश किया है.. 

2020 के संस्करण

युद्ध में अकबर की सेना की असफलता सिद्ध करने वाले तथ्यों को हटाया गया है.

इससे भ्रम पैदा होता है कि हल्दी घाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की हार हुई थी.

2020 के संस्करण में महाराणा उदयसिंह को बनवीर का हत्यारा बताया गया है.

मानसिंह के हौदे में छिपने के अलावा बलीचा गांव में प्रताप की छतरी बनी होने के जिक्रओ नीला घोड़ा रा असवारशब्द को भी हटाया गया है.

किताब में मानसिंह के हाथी पर चेतक के पैर टिकाने और भाले से मानसिंह पर भरपूर प्रहार करने की घटना को भी हटा दिया गया है.

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