अकबर के सभी पूर्वज बाबर-हुमायूं से लेकर तैमूर तक सब भारत में लूट-बलात्कार, धर्म परिवर्तन और मंदिर विध्वंस में लगे रहे.
अकबर इतना ज्यादा नशा करता था कि वह मेहमानों से बात करते- करते नींद में गिर पड़ता था.
अकबर ताड़ी पीने का शौक़ीन था. वह जब ज्यादा पी लेता था तो आपे से बाहर हो जाता था.
अकबर
अक्सर पागलों की जैसी हरकतें करता था.
जहाँगीर ने लिखा है कि अकबर कुछ भी लिखना-पढ़ना नहीं
जानता था.
जबकि वह दिखाता यह था कि वह बड़ा भारी विद्वान है.
अबुल फजल के अनुसार अकबर के हरम में पांच हजार औरतें रहती थीं.
ये
पांच हजार औरतें अकबर की 36 पत्नियों
से अलावा थीं.
आइन-ए-अकबरी के अनुसार अकबर के महल के पास ही एक शराबखाना बनाया गया था.
बैरम खान जो अकबर के पिता तुल्य और संरक्षक था, उसकी हत्या करके अकबर ने उसकी पत्नी अर्थात अपनी
माता के तुल्य स्त्री से शादी की.
ग्रीमन के अनुसार अकबर अपनी रखैलों को अपने
दरबारियों में बाँट देता था.
अकबर औरतों को एक वस्तु की तरह बांटने और खरीदने में
खूब रुचि रखता था.
अकबर के मीना बाजार में नए साल की पहली शाम को
स्त्रियों को सज धज कर आने के आदेश दिए जाते थे.
हेमू के बूढ़े पिता को अकबर ने कटवा डाला. औरतों को शाही
हरम में भिजवा दिया.
अकबर अपने दुश्मनों को फांसी देने सिर कटवाने, शरीर के अंग कटवाने में खूब रूचि रखता था.
2 सितम्बर 1593 के दिन अहमदाबाद में उसने 200 दुश्मनों के सिर काटकर सबसे ऊंची सिरों की मीनार बनायी.
अकबरनामा के अनुसार जब बंगाल का दाउद खान हारा, तो कटे सिरों के आठ मीनार बनाए गए थे.
जब दाउद खान ने मरते समय पानी माँगा तो अकबर ने उसे
जूतों में पानी पीने को दिया था .
कर्नल टोड लिखते हैं कि अकबर ने एकलिंग की मूर्ति
तोड़ी और उस स्थान पर नमाज पढ़ी.
अपने ताकत के नशे में चूर अकबर ने बुंदेलखंड की
प्रतिष्ठित रानी दुर्गावती से लड़ाई की और लोगों का कत्ल किया.
अकबर
अपनी माँ के मरने पर उसकी भी संपत्ति अपने कब्जे में ले ली. जबकि उसकी माँ उसे पूरे
परिवार में बांटना चाहती थी.
कंधार में एक बार अकबर ने बहुत से लोगों को गुलाम
बनाया क्योंकि उसने 1581- 82 में
अकबर की किसी नीति का विरोध किया था.
बाद
में इन गुलामों को मंडी में बेच कर घोड़े खरीदे गए.
जब शाही दस्ते शहर से बाहर जाते थे तो अकबर के हरम
की औरतें जानवरों की तरह पिंजरों में बंद कर दी जाती थीं.
जब अकबर मरा था तो उसके पास दो करोड़ से ज्यादा अशर्फियाँ केवल आगरा के किले में थी.
इसके
बावजूद उसने 1595-1599 की
भयानक भुखमरी के समय एक सिक्का भी देश की सहायता में खर्च नहीं किया.
अकबर ने प्रयागराज में गंगा के तटों पर रहने वाली
सारी आबादी का कत्ल करवा दिया था.
सभी इमारतें गिरवा दीं क्योंकि जब उसने इस शहर को जीता तो लोग उसके इस्तकबाल करने की जगह घरों में छिप गए.
यही कारण है कि प्रयागराज के तटों पर कोई पुरानी इमारतें नहीं है.
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